जंगल में प्राकृतिक आपदा: बाघ, तेंदुए और हाथियों की बेबसी का सत्य

एफएनएन, हल्द्वानी : आसमान से बरसी आफत से न केवल इंसानी बस्तियां प्रभावित हुई हैं बल्कि जंगल भी आपदा की मार से अछूता नहीं रहा। तेज बारिश और उफनते नालों-नदियों के बीच बेजुबान वन्यजीवों ने अपनी जान गंवाई। बाघ, तेंदुए और हाथियों सहित अन्य प्राणी बारिश के सामने बेबस नजर आए। प्राकृतिक आपदा ने जंगल […] The post प्राकृतिक आपदा से जंगल में बेजुबान वन्यजीवों ने जान गंवाई, बाघ, तेंदुए और हाथियों सहित अन्य प्राणी बेबस नजर आए appeared first on Front News Network.

जंगल में प्राकृतिक आपदा: बाघ, तेंदुए और हाथियों की बेबसी का सत्य
एफएनएन, हल्द्वानी : आसमान से बरसी आफत से न केवल इंसानी बस्तियां प्रभावित हुई हैं बल्कि जंगल भी आपद�

जंगल में प्राकृतिक आपदा: बाघ, तेंदुए और हाथियों की बेबसी का सत्य

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एफएनएन, हल्द्वानी : हाल ही में आई प्राकृतिक आपदा ने न केवल मानव बस्तियों को प्रभावित किया है, बल्कि जंगल में भी जीव-जंतुओं का जीवन संकट में डाल दिया है। आसमान से बरसते पानी और उफनते नालों के बीच बेजुबान वन्यजीवों ने अपनी जान गंवाई। बाघ, तेंदुए और हाथियों सहित अनेक प्राणी इस प्राकृतिक प्रकोप के आगे बेबस नजर आए हैं, जिससे जंगल में मातम का माहौल व्याप्त हो गया है।

प्राकृतिक आपदा का प्रभाव

इस भयंकर आपदा ने कई जीवों की जान ली है। यदि हम बात करें कॉर्बेट टाइगर रिजर्व और अन्य संरक्षित क्षेत्रों की, तो यहाँ पर वन्य जीवों के बीच आपसी संघर्ष में मौतें देखने को मिली हैं, लेकिन ऐसे में बारिश के कारण होने वाली घटनाएँ हमेशा एक बड़ी आफत बनी रहती हैं। हालाँकि, बादल फटने जैसे मामलों में आमतौर पर वन्य जीवों की जान जाने के मामले कम देखे गए हैं, फिर भी वर्षा की वजह से जानवरों का नुकसान प्रश्नवाचक बना हुआ है।

बेजुबान वन्यजीवों के संकट के मामले

केस 1: चार सितंबर को बाजपुर के लेवड़ा नदी में पुल के नीचे तेंदुए को घायल अवस्था में पाया गया। उसके शरीर पर कई चोट के निशान थे, और इसका अनुमान है कि उसे बाढ़ के दौरान चोटें आई हैं।

केस 2: छह सितंबर को कोटद्वार के निकट मालन नदी में एक हाथी का बच्चा बह गया था। इसे वन कर्मियों ने रेस्क्यू कर सफलतापूर्वक बचाया। यह बच्चा अपने झुंड से बिछड़कर नाले में बह गया था, लेकिन सौभाग्य से उसे बचा लिया गया।

केस 3: नौ सितंबर को चंपावत जिले के टनकपुर में एक बरसाती नाले में तेंदुए का शव पाया गया। आशंका जताई जा रही है कि नाले में बहने से इसकी मौत हुई। रिपोर्ट का इंतजार अभी बाकी है।

केस 4: आठ सितंबर को रामनगर वन प्रभाग के कालाढूंगी में, चकलुआ बीट में एक बाघ का शव नाले में मिला। इसकी उम्र लगभग सात वर्ष मानी गई है। वन्य जीवों का कहना है कि घायल बाघ आमतौर पर आपदा का सामना नहीं कर पाता और पानी में बहकर मरने की आशंका बनी रहती है।

बिगड़ा हुए जंगल का दृश्य

कार्बेट टाइगर रिजर्व से सटी कोसी नदी में हिरण और हाथियों के फंसने का एक वीडियो भी सामने आया है। तीन सितंबर को कोसी नदी के एक टीले पर पांच हिरण फंस गए थे। इसके अगले दिन, चार सितंबर को रामनगर वन प्रभाग में मोहान के पास नदी में दो हाथियों को बहने से सुरक्षित बचाया गया।

वन्यजीवों की दुर्दशा और संरक्षण की आवश्यकता

दैवीय आपदा से विशेष रूप से सरीसृपों को अधिक परेशानी होती है। उम्रदराज और घायल प्राणी इन प्राकृतिक डिजास्टर से बाहर नहीं निकल पाते हैं। उनकी मौतें आमतौर पर बहने के कारण होती हैं। ऐसे में उम्मीद जताई जा रही है कि वन्यजीवों के संकट की दिशा में सरकारी और गैर-सरकारी संस्थाओं का ध्यान आकर्षित होगा।

मानसून के दौरान वन्य जीवों के आवास स्थलों पर गंभीर प्रभाव पड़ता है, जिससे उनकी हताहत होने की संभावना बढ़ जाती है। इस बार अभी तक ऐसा कोई रिकॉर्ड नहीं मिला है जिसमें कहा जा सके कि प्राकृतिक आपदा के कारण वन्यजीवों की मौतें हुई हैं।

समापन

इस स्थिति को ध्यान में रखते हुए, वनों की सुरक्षा और संरक्षण को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। मेरी आशा है कि इस मुद्दे पर जागरूकता बढ़ेगी और संवेदनशीलता से कदम उठाए जाएंगे, ताकि वन्य जीवों का अस्तित्व सुरक्षित किया जा सके।

कम शब्दों में कहें तो, प्राकृतिक आपदा ने जंगल में बेजुबान वन्यजीवों की जान को खतरे में डाल दिया है, और ये स्थिति सिर्फ मानव ही नहीं, बल्कि पूरे पारिस्थितिकी तंत्र के लिए चिंता का विषय है।

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– सुमन नायर, टीम धर्म युद्ध