दिल्ली हाईकोर्ट CAG रिपोर्ट सार्वजनिक करने को लेकर फैसला देगा:कोर्ट ने आतिशी सरकार को फटकार लगाई थी, रिपोर्ट में शराब नीति का जिक्र
दिल्ली हाईकोर्ट आज दिल्ली सरकार के कामकाज से जुड़ी CAG रिपोर्ट सार्वजनिक करने वाली याचिका पर फैसला देगा। इसमें रिपोर्ट को विधानसभा में पेश करने की भी मांग की गई है। कोर्ट ने 16 जनवरी को आदेश सुरक्षित रख लिया था। भाजपा के 7 विधायकों ने दिल्ली विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने की मांग करते हुए याचिका लगाई है। उनका कहना है कि 14 मामलों पर CAG की रिपोर्ट पर सदन में चर्चा करवानी चाहिए। सरकार का तर्क है कि विधानसभा का कार्यकाल खत्म होने वाला है, इसलिए रिपोर्ट सदन में लाने का फायदा नहीं है। इसे लेकर हाईकोर्ट ने 13 जनवरी को आतिशी सरकार को फटकार लगाई थी। जस्टिस सचिन दत्ता की बेंच ने कहा था- CAG रिपोर्ट पर जिस तरह से दिल्ली सरकार ने अपने कदम पीछे खींचे हैं, उससे इनकी ईमानदारी पर संदेह पैदा होता है। रिपोर्ट स्पीकर को भेजकर फौरन विधानसभा में चर्चा करानी चाहिए थी। यह दुर्भाग्यपूर्ण है। लीक हुई रिपोर्ट में शराब नीति का भी जिक्र सूत्रों के मुताबिक CAG रिपोर्ट में शराब घोटाले से भी जुड़ी जानकारी है। 11 जनवरी को CAG की एक रिपोर्ट लीक हुई थी, जिसे भाजपा ने दिखाया था। भाजपा नेताओं ने रिपोर्ट के हवाले से बताया था कि शराब नीति से दिल्ली सरकार को 2026 करोड़ रुपए का रेवेन्यू लॉस हुआ है। दिल्ली में 2021 में नई शराब नीति लागू की गई थी। इसमें लाइसेंस आवंटन को लेकर कई सवाल खड़े हुए। नीति वापस लेनी पड़ी। अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया पर भ्रष्टाचार का आरोप लगा। दोनों जेल भी गए। CM और डिप्टी CM पद छोड़ना पड़ा। दोनों फिलहाल जमानत पर बाहर हैं। रिपोर्ट में दावा- फैसलों पर LG की मंजूरी तक नहीं ली गई रिपोर्ट में बताया गया है कि डिप्टी चीफ मिनिस्टर जिस ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स की अगुआई कर रहे थे, उसने एक्सपर्ट पैनल के सुझावों को खारिज कर दिया था। कैबिनेट ने नीति को मंजूरी दे दी थी और कई अहम फैसलों पर तब के उप-राज्यपाल की मंजूरी भी नहीं ली गई थी। रिपोर्ट के मुताबिक, शिकायतों के बावजूद सभी को नीलामी की बोली लगाने की मंजूरी दे दी गई थी। जिन्हें घाटा हुआ था, उन्हें भी लाइसेंस दे दिए गए या रिन्यू कर दिए गए थे। CAG रिपोर्ट में शराब नीति को लेकर क्या-क्या ... 21 दिसंबर को LG ने केजरीवाल के खिलाफ केस चलाने की अनुमति दी दिल्ली के एलजी वीके सक्सेना ने 21 दिसंबर को प्रवर्तन निदेशालय (ED) को शराब नीति मामले में अरविंद केजरीवाल के खिलाफ केस चलाने की इजाजत दे दी थी। ED ने 5 दिसंबर को एलजी से केजरीवाल के खिलाफ ट्रायल चलाने की अनुमति मांगी थी। पूर्व मुख्यमंत्री के खिलाफ ED ने इस साल मार्च में प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग (PMLA) के तहत केस दर्ज किया था। 21 मार्च को 4 घंटे की पूछताछ के बाद केजरीवाल को अरेस्ट किया गया था। केजरीवाल को इस केस में जमानत मिल गई थी, लेकिन ED ट्रायल शुरू नहीं कर पाई थी। ----------------------------------- ये खबर भी पढ़ें... योगी आदित्यनाथ बोले- AAP झूठ बोलने की ATM, दिल्ली में रोहिंग्या-बांग्लादेशियों को बसाया उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 23 जनवरी को कहा था कि AAP झूठ बोलने की ATM है, इन्होंने जनता से झूठे वादे किए। दिल्ली में रोहिंग्या और बांग्लादेशियों को बसाया। केजरीवाल दिल्ली में विकास नहीं चाहते। दिल्ली में बिजली यूपी से 3 गुना महंगी है। पूरी खबर पढ़ें...
दिल्ली हाईकोर्ट CAG रिपोर्ट सार्वजनिक करने को लेकर फैसला देगा
दिल्ली हाईकोर्ट ने आगामी शासन मामलों पर ध्यान देने के लिए CAG की रिपोर्ट को सार्वजनिक करने के मामले में एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाने की तैयारी की है। इस मामले में अदालत ने दिल्ली सरकार, जिसमें उपमुख्यमंत्री आतिशी भी शामिल हैं, को फटकार लगाई है। यह रिपोर्ट, जो शराब नीति के मुद्दे पर आधारित है, ने सरकार के क्रियाकलापों और पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं।
कोर्ट की फटकार: क्या है मामला?
दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा प्रस्तुत दृश्य में, न्यायालय ने स्पष्ट किया है कि सरकार को अपने दायित्वों का पालन करना चाहिए और जनता के हित में जानकारी का खुलासा करना चाहिए। CAG रिपोर्ट में शराब नीति के कई पहलुओं का जिक्र किया गया है, जिसने संभावित भ्रष्टाचार और प्रशासन की खामियों की ओर इशारा किया है। शराब नीति में पारदर्शिता ना होना, और राज्य सरकार के फैसले, इन सब ने कोर्ट का ध्यान खींचा है।
शराब नीति पर CAG रिपोर्ट का महत्व
CAG (कंप्ट्रोलर और ऑडिटर जनरल) की यह रिपोर्ट सिर्फ एक दस्तावेज नहीं बल्कि सरकार की दिशा और नीतियों का एक गंभीर आकलन है। इस रिपोर्ट में शराब बिक्री, लाइसेंसिंग प्रक्रिया तथा राजस्व संग्रह के मुद्दे शामिल हैं। अदालत ने इस बात पर जोर दिया है कि ऐसे महत्वपूर्ण दस्तावेजों को जनता के सामने लाया जाना चाहिए ताकि उचित निगरानी और पारदर्शिता बनाए रखी जा सके।
अगले कदम और अपेक्षित परिणाम
अगली सुनवाई में, कोर्ट इस मामले पर अंतिम निर्णय देने वाला है। अगर अदालत CAG रिपोर्ट को सार्वजनिक करने का आदेश देती है, तो यह दिल्ली सरकार के लिए एक गंभीर चुनौती बन सकती है। इससे न केवल सरकार की छवि पर असर पड़ेगा, बल्कि यह आम आदमी के लिए भी महत्वपूर्ण जानकारी उपलब्ध कराएगा।
नागरिकों का मानना है कि इस तरह के फैसले से प्रशासनिक जवाबदेही को बढ़ावा मिलेगा और सरकार द्वारा किए गए निर्णयों की पारदर्शिता में सुधार होगा।
बेशक, ये घटनाक्रम लोकतंत्र की मजबूती और सरकारी जवाबदारी को सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
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