ऋषिकेश के एम्स में 2.73 करोड़ रुपये के घपले का बड़ा खुलासा
एफएनएन, देहरादून: ऋषिकेश स्थित एम्स (अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान) में 2.73 करोड़ रुपए के घपले का मामला सामने आया है. इस मामले में पूर्व निदेशक समेत कई लोगों पर मुकदमा भी दर्ज हुआ है. आरोप है कि कोरोनरी केयर यूनिट (CCU) की स्थापना के दौरान बड़े पैमाने पर अनियमितताएं की गईं. कई जरूरी उपकरण और सामग्री […] The post ऋषिकेश स्थित एम्स (अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान) में 2.73 करोड़ रुपए के घपले का मामला आया सामने appeared first on Front News Network.

ऋषिकेश स्थित एम्स में 2.73 करोड़ रुपये के घपले का बड़ा खुलासा
Breaking News, Daily Updates & Exclusive Stories - Dharm Yuddh
कम शब्दों में कहें तो ऋषिकेश स्थित एम्स (अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान) में 2.73 करोड़ रुपये के गबन का मामला सामने आया है, जिसमें कई वरिष्ठ अधिकारियों पर आरोप लगाया गया है। यह मामला अब सीबीआई के हवाले कर दिया गया है और संबंधित विभाग की जांच चल रही है।
घपले का सिलसिला
ऋषिकेश स्थित एम्स ने हाल ही में 2.73 करोड़ रुपये के एक बड़े घपले का खुलासा किया है, जिसमें पूर्व निदेशक और अन्य वरिष्ठ स्वास्थ्य अधिकारियों पर गंभीर आरोप लगे हैं। आरोप के अनुसार, कोरोनरी केयर यूनिट (CCU) की स्थापना के दौरान अनियमितताएं की गईं, जिसके परिणामस्वरूप कई आवश्यक उपकरणों और सामग्रियों को खरीदा नहीं गया।
सीबीआई जांच की पुष्टि
सीबीआई (सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन) ने इस मामले की जांच का आरंभ किया और पाया कि एम्स ऋषिकेश के तत्कालीन निदेशक डॉ. रविकांत और अन्य अधिकारियों ने ठेकेदार के साथ मिलकर सरकारी धन का दुरुपयोग किया। उनके द्वारा कागजों में हेरफेर करने की भी पुष्टि हुई है।
मामले में किए गए उपाय
जांच के बीच, सीबीआई टीम ने 26 मार्च 2025 को एम्स के कार्डियोलॉजी विभाग की छापेमारी की, जहां 16 बिस्तरों वाले कोरोनरी केयर यूनिट की निविदा फाइल की मांग की गई। अधिकारियों ने बताया कि संबंधित फाइलें लंबे समय से गायब हैं। सीबीआई ने कहा कि रिकार्ड रूम में भी जांच की गई, लेकिन कोई आवश्यक दस्तावेज नहीं मिले।
अनियमितताओं का गहराई से विश्लेषण
जांच से यह स्पष्ट हुआ कि 5 दिसंबर 2017 को दिया गया ठेका न केवल अधूरी सामग्री के साथ दिया गया, बल्कि इस दौरान हुए निर्माण के कार्य भी अधूरे थे। रिपोर्ट में संकेत मिला है कि ठेकेदार प्रो मेडिक डिवाइसेज ने तय सामग्री या उपकरण अस्पताल को नहीं दिए।
- 200 वर्ग मीटर ठोस सामग्री सतह दीवार पैनल
- 91 वर्ग मीटर ठोस खनिज सतह छत
- 10 मल्टी पैरा मॉनिटर/एयर प्यूरीफायर
अस्पताल में इन सामग्रियों का कोई भी सुराग नहीं मिला, जिससे यह स्पष्ट होता है कि यूनिट न केवल अधूरी थी, बल्कि इसके हालत भी खराब थे।
भ्रष्टाचार और दंड
संयुक्त जांच समिति (JSC) की रिपोर्ट में कहा गया है कि 2.73 करोड़ रुपये के सामान की खरीद कभी पूरी नहीं हुई, फिर भी इनका भुगतान कर दिया गया। इसके अलावा, ठेकेदार के मालिक पुनीत शर्मा को भी इस गड़बड़ी के लिए जिम्मेदार पाया गया, हालांकि वह अब जीवित नहीं हैं।
अगले कदम
सीबीआई ने इस मामले की गंभीरता को देखते हुए आरोपियों के खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक कानून के तहत मामला दर्ज कर लिया है। यह केवल वित्तीय धोखाधड़ी नहीं है, बल्कि इस प्रकरण ने एम्स की साख को भी गहरा धक्का पहुँचाया है।
इस अप्रत्याशित घटना ने इसलिए भी सभी को चौका दिया है क्योंकि एम्स जैसे प्रतिष्ठित संस्थान में इस तरह के घोटाले का होना गंभीर सवाल खड़ा करता है। अब देखना यह है कि जांच आगे कैसे बढ़ती है और इस मामले में क्या कार्रवाई होती है।
इस पूरे मामले की ताजा जानकारी और खबरों के लिए, कृपया हमारी वेबसाइट धर्म युद्ध पर जाएँ।
सादर,
टीम धर्म युद्ध
कविता शर्मा