देवउठनी एकादशी: 1 नवंबर से शहनाई की गूंज, जानिए इस दिन विवाह के शुभ मुहूर्त

देवउठनी एकादशी का पर्व इस बार 1 नवंबर, शनिवार को मनाया जाएगा. मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु योगनिद्रा

देवउठनी एकादशी: 1 नवंबर से शहनाई की गूंज, जानिए इस दिन विवाह के शुभ मुहूर्त
देवउठनी एकादशी का पर्व इस बार 1 नवंबर, शनिवार को मनाया जाएगा. मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु योग�

देवउठनी एकादशी: 1 नवंबर से शहनाई की गूंज, जानिए इस दिन विवाह के शुभ मुहूर्त

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कम शब्दों में कहें तो, देवउठनी एकादशी का पर्व इस साल 1 नवंबर, शनिवार को मनाया जाएगा, जो विवाहोत्सव का नई शुरुआत को दर्शाता है। इस दिन भगवान विष्णु की योगनिद्रा के बाद धरती पर पुनः क्रियात्मकता का आरंभ होता है।

देवउठनी एकादशी का महत्व

देवउठनी एकादशी का पर्व हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है। इस दिन भगवान विष्णु की आराधना की जाती है और मान्यता है कि इस दिन से विवाह, प्रमुख अनुष्ठान और गोदभराई जैसी रस्मों का आयोजन शुरू होता है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार, इस दिन भगवान विष्णु का बिस्तर से जागृत होना कई शुभ संयोगों का निर्माण करता है, जिसके परिणामस्वरूप जीवन में प्रेम, शांति और समृद्धि आती है।

विवाह के शुभ मुहूर्त

जिन जोड़ों की शादी देवउठनी एकादशी के शुभ अवसर पर होगी, उन्हें इस दिन के विशेष मुहूर्त के बारे में जानना जरूरी है। इस दिन विवाह के लिए उपयुक्त समय निम्नलिखित है:

  • प्नुर्ता मुहूर्त: सुबह 6:30 बजे से 8:00 बजे तक
  • मध्यान्ह मुहूर्त: दोपहर 12:00 बजे से 1:30 बजे तक
  • शाम का मुहूर्त: शाम 6:00 बजे से 7:30 बजे तक

विवाह समारोह की तैयारी

देवउठनी एकादशी पर विवाह समारोह को भव्य और यादगार बनाने के लिए कुछ प्रमुख बातें ध्यान में रखें:

  • शादी का स्थान: स्थान का चुनाव भव्य और शुभ होना चाहिए।
  • पंडित जी की व्यवस्था: उचित समय पर पूजन हेतु पंडित जी का चुनाव करें।
  • साज-सज्जा: स्थल की सजावट धार्मिकता और खुशी का एहसास दिलाने वाली होनी चाहिए।
  • आमंत्रण: मित्रों और परिवार वालों को सही समय पर आमंत्रण भेजें।

दुल्हन और दूल्हा के लिए विशेष सुझाव

इस पावन अवसर पर दुल्हन और दूल्हा अपनी उपयुक्त तैयारियों के लिए कुछ खास बातें ध्यान में रखें:

  • पहनावे का चयन: दुल्हन को पारंपरिक रेड-लहंगा या सौंदर्य बढ़ाने वाली साड़ियों का चयन करना चाहिए।
  • दूल्हे का परिधान: दूल्हे को खादी या क्रीम रंग की शेरवानी पहननी चाहिए।
  • ज्वेलरी का महत्व: सही ज्वेलरी का चयन आपकी खूबसूरती को और बढ़ा सकता है।

समापन में

देवउठनी एकादशी का पर्व एक नए अध्याय का आरम्भ है। इसे समर्पित पूजा और आनंद की विधियों के माध्यम से मनाना हमें अनंत आशीर्वाद प्रदान कर सकता है। इस विशेष दिन पर बनने वाले रिश्ते सुख और समृद्धि से भरपूर हों, यही हमारी शुभकामनाएँ हैं।

इसके अतिरिक्त, इस दिन की तैयारी हेतु विस्तृत जानकारी और समस्त रस्मों का पालन करना महत्वपूर्ण है। विवाह समारोह की सफलता हेतु उचित तैयारी आवश्यक होती है।

इस शुभ अवसर से जुड़ी और भी जानकारी के लिए, अवश्य यहां क्लिक करें.

Team Dharm Yuddh
स्नेहा शर्मा