पर्यावरण के प्रति जिम्मेदारी: मेनका गांधी ने वन विभाग की भूमिका पर उठाए सवाल, मुख्यमंत्री धामी को लिखा पत्र
बीजेपी नेता मेनका गांधी ने वन महकमे की भूमिका पर उठाए सवाल, मुख्यमंत्री धामी को लिखा पत्र सांसद मेनका गांधी ने मुख्यमंत्री धामी को पत्र लिख वन विभाग की भूमिका पर सवाल उठाए हैं। दरअसल, रुड़की में वन विभाग की टीम ने छापा मारकर 70 कोबरा और 16 रसल वाइपर कब्जे में लिए थे। इस […] The post मेनका गांधी ने वन महकमे की भूमिका पर खड़े किए सवाल, मुख्यमंत्री धामी को भेजा पत्र appeared first on The Lifeline Today : हिंदी न्यूज़ पोर्टल.

पर्यावरण के प्रति जिम्मेदारी: मेनका गांधी ने वन विभाग की भूमिका पर उठाए सवाल, मुख्यमंत्री धामी को लिखा पत्र
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कम शब्दों में कहें तो, बीजेपी नेता मेनका गांधी ने सीएम धामी को पत्र लिखकर वन विभाग की भूमिका पर गंभीर सवाल उठाए हैं। रुड़की में अवैध सर्प विष संग्रहण केंद्र के संचालन के संबंध में उन्होंने गहरी चिंता व्यक्त की है।
सांसद मेनका गांधी, जो पीपल फॉर एनिमल्स की संस्थापक भी हैं, ने हाल ही में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को पत्र लिखा जिसमें उन्होंने रुड़की के ग्राम खंजरपुर में वन विभाग की एक टीम द्वारा छापेमारी के बाद उठे मुद्दों की गंभीरता पर प्रकाश डाला। 10 सितंबर को हुई इस छापेमारी में 70 कोबरा और 16 रसल वाइपर को कब्जे में लिया गया था।
क्यों उठाए सवाल?
बता दें कि इस सर्प विष संग्रहण केंद्र को संचालन की अनुमति दिसंबर 2023 में समाप्त हो चुकी थी, फिर भी इसे अवैध रूप से संचालित किया जा रहा था। मेनका गांधी ने अपने पत्र में कहा है कि हरिद्वार वन प्रभाग के डीएफओ एवं एसडीओ को पहले से इस सेंटर की सूचना दी गई थी, लेकिन कोई प्रभावी कार्रवाई नहीं की गई। इस लापरवाही पर उन्होंने कड़ी निंदा की।
मामले की गंभीरता
मेनका गांधी ने इस पत्र में न केवल विभाग की भूमिका पर सवाल उठाए हैं, बल्कि हरिद्वार डीएफओ एवं एसडीओ को निलंबित करने और उनके भ्रष्टाचार की जांच की भी मांग की है। उन्होंने कहा है कि इस मामले में संचालक वेनम और उससे जुड़े अभिलेखों को लेकर फरार हो गया, जो कि एक गंभीर संकेत है।
भ्रष्टाचार का मामला?
गांधी ने स्पष्ट रूप से इस मामले को वन विभाग में व्यापक भ्रष्टाचार का एक उदाहरण बताया है। उन्होंने मंत्रालय से मांग की है कि अवैध रूप से संचालित इस केंद्र के संचालकों के साथ किसी भी प्रकार की मिलीभगत का जांच किया जाए।
इस पत्र को भेजने की पृष्ठभूमि में, पर्यावरण और वन्यजीव संरक्षण के प्रति गांधी का समर्पण और उनकी सक्रियता एक बार फिर से उजागर हुई है। उनकी पहल ने इस मुद्दे की गंभीरता को उठाते हुए पर्यावरणीय जिम्मेदारी की आवश्यकता को भी रेखांकित किया है।
शासन की प्रतिक्रिया
इस मामले में वन विभाग के प्रमुख संरक्षक से शासन ने आख्या मांगी है, ताकि इस मुद्दे की जांच की जा सके। यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी या नहीं, ताकि भविष्य में इस प्रकार की घटनाएं न हों।
वन महकमे की इस लापरवाही ने न केवल जीव-जंतुओं के संरक्षण के प्रति गंभीर सवाल उठाए हैं, बल्कि यह उन कर्मचारियों के खिलाफ भी उचित कार्रवाई की आवश्यकता को दर्शाता है जो अपनी ज़िम्मेदारियों के प्रति लापरवाह रहे हैं।
संसद में अपनी बातें रखते हुए मेनका गांधी ने कहा कि हमें भारत में वन्य जीवों का संरक्षण करना है, और इसके लिए हमें जिम्मेदार अधिकारियों की आवश्यकता है जो अपनी जिम्मेदारियों को सही से निभा सकें।
निष्कर्ष
मेनका गांधी की यह पहल न केवल वन महकमे की भूमिका को उजागर करती है, बल्कि समाज में जागरूकता फैलाने का भी एक प्रयास है। हमें उम्मीद है कि इस मुद्दे पर संबंधित विभाग गंभीरता से विचार करेंगे और उचित कार्रवाई करेंगे। सृष्टि और जीव-जंतुओं की सुरक्षा सिर्फ सरकार की जिम्मेदारी नहीं बल्कि हम सभी की जिम्मेदारी है।
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सादर,
टीम धर्म युद्ध
अनीता शर्मा