शराब डिस्टिलरी से नदी के प्रदूषण का गंभीर मामला: सरकार ने हाईकोर्ट में पेश की नई सैंपल रिपोर्ट, अगस्त में होगी अगली सुनवाई
वीरेन्द्र गहवई, बिलासपुर। शराब डिस्टिलरी से निकलने वाले पानी से नदी के प्रदूषित होने के मामले में सोमवार को हाईकोर्ट

शराब डिस्टिलरी से नदी के प्रदूषण का गंभीर मामला: सरकार ने हाईकोर्ट में पेश की नई सैंपल रिपोर्ट, अगस्त में होगी अगली सुनवाई
लेखिका: सुमित्रा शर्मा, साक्षी अग्रवाल, टीम धर्मयुद्ध
वीरेन्द्र गहवई, बिलासपुर। हाल ही में शराब डिस्टिलरी से निकलने वाले अपशिष्ट जल के कारण छत्तीसगढ़ की शिवनाथ नदी में प्रदूषण के गंभीर मामले पर सोमवार को हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। इस अवसर पर राज्य सरकार ने कोर्ट के समक्ष पिछले 5 महीनों में लिए गए पानी के सैंपलों की रिपोर्ट प्रस्तुत की। रिपोर्ट में यह दर्शाया गया कि पानी में पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन पाई गई है, जिससे प्रदूषण की स्थिति पर चिंता का विषय बन गया है। इसके बावजूद, कोर्ट ने मामले की निगरानी रखने का निर्णय लेते हुए अगली सुनवाई अगस्त में निर्धारित की है।Breaking News, Daily Updates & Exclusive Stories - Dharm Yuddh
प्रदूषण का कारण
शिवनाथ नदी में प्रदूषण का प्रमुख कारण डिस्टिलरी से निकलने वाला अपशिष्ट जल है। इसके अनुसार, जल में पाए जाने वाले हानिकारक केमिकल नदी के पारिस्थितिकी तंत्र को गंभीर नुकसान पहुंचा रहे हैं। पिछले कुछ महीनों में मछलियों और अन्य जलीय जीवन के मरने की कई घटनाएं सामने आई हैं। यह स्थानीय समुदाय के लिए भी चिंता का विषय बन गया है और उनके जीवनयापन पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रहा है।
सरकार की कार्रवाई
सरकारी अधिकारियों ने इस मुद्दे को गंभीरता से लेते हुए उच्च न्यायालय को अवगत कराया है कि पर्यावरण संरक्षण मंडल द्वारा पूर्व में दिए गए निर्देशों के अनुसार, डिस्टिलरी का निरीक्षण किया गया है। निरीक्षण में देखा गया कि डिस्टिलरी ने अपने अपशिष्ट जल को उपचारित करने और पुनः उपयोग के लिए एक अत्याधुनिक बहु-प्रभाव वाष्पीकरण प्रणाली स्थापित की है। इस कार्रवाई से यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि जल प्रदूषण की समस्या को नियंत्रित किया जा सके।
उक्त परीक्षण के परिणाम
सरकार ने अदालत को बताया कि लगातार पानी का सैंपल लेने का कार्य जारी है और वर्तमान में पानी में ऑक्सीजन का स्तर 5 से ऊपर पाया गया है। मछली पालन के लिए आवश्यक ऑक्सीजन का मानक स्तर 4 होता है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि अभी के लिए नदी का जल सही स्थिति में है। हालांकि, यह आवश्यक है कि भविष्य में भी सैंपलों का परीक्षण नियमित रूप से किया जाए ताकि स्थिति पर नजर रखी जा सके।
आगे की सुनवाई
अगली सुनवाई अगस्त में होनी है, जहां कोर्ट प्रदूषण की स्थिति की समीक्षा करेगा। यह महत्वपूर्ण है कि भविष्य में नदी की स्थिति का ध्यान रखा जाए और प्रदूषण के स्रोत को तत्काल प्रभाव से बंद किया जाए। सभी हितधारकों की जिम्मेदारी है कि वे मिलकर पर्यावरण की सुरक्षा के लिए कार्य करें।
सरकार को इस दिशा में तत्परता से कार्रवाई करने की आवश्यकता है ताकि नदी के पारिस्थितिकी तंत्र को सुरक्षित रखा जा सके और स्थानीय नागरिकों को इस समस्या से मुक्ति मिल सके। इसके लिए सभी संबंधित विभागों को मिलकर कार्य करना होगा।
कम शब्दों में कहें तो, यह मामला पर्यावरण संरक्षण के लिए एक महत्वपूर्ण परीक्षण है और इसे उचित ध्यान देने की आवश्यकता है। अधिक अपडेट के लिए यहां क्लिक करें.
सादर,
टीम धर्मयुद्ध