संवाद की पत्रकारिता: प्रो. संजय द्विवेदी का दृष्टिकोण

रांची विश्वविद्यालय के पूर्व विद्यार्थी सम्मेलन में संवाद, सम्मान और सांस्कृतिक प्रस्तुतियां रांची,( झारखंड)। भारतीय जन संचार संस्थान (आईआईएमसी) के पूर्व महानिदेशक प्रोफेसर संजय द्विवेदी का कहना है कि भारतीय संचार परंपरा में हर संवाद लोक मंगल और संकटों के समाधान के लिए है, जबकि पश्चिम में उपजी पत्रकारिता विवाद, संघर्ष और वितंडावाद पैदा करती […] The post विवाद नहीं संवाद की पत्रकारिता कीजिए- प्रो.संजय द्विवेदी appeared first on The Lifeline Today : हिंदी न्यूज़ पोर्टल.

संवाद की पत्रकारिता: प्रो. संजय द्विवेदी का दृष्टिकोण
रांची विश्वविद्यालय के पूर्व विद्यार्थी सम्मेलन में संवाद, सम्मान और सांस्कृतिक प्रस्तुतियां �

संवाद की पत्रकारिता: प्रो. संजय द्विवेदी का दृष्टिकोण

Breaking News, Daily Updates & Exclusive Stories - Dharm Yuddh

रांची, (झारखंड)। हाल ही में रांची विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित पूर्व विद्यार्थियों के सम्मेलन 'स्पंदन' में भारतीय जन संचार संस्थान (आईआईएमसी) के पूर्व महानिदेशक प्रो. संजय द्विवेदी ने पत्रकारिता की भूमिका और उसकी आवश्यकताओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि भारतीय संचार परंपरा संवाद को प्राथमिकता देती है, जो कि न केवल लोक मंगल के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि समाज में संकटों के समाधान का भी माध्यम है।

संवाद की गहराई

प्रो. द्विवेदी ने स्पष्ट किया कि "भारतीय संस्कृति में संवाद एक सदियों पुरानी परंपरा है, जिसे हमेशा से लोक कल्याण का साधन माना जाता रहा है।" इसके विपरीत, उनके अनुसार, पश्चिमी पत्रकारिता अक्सर विवाद, संघर्ष, और वितंडावाद को प्रोत्साहित करती है। उन्होंने यह भी कहा कि हमें आवश्यक है कि हम भारतीय पत्रकारिता के मूल्यों को स्थापित करें ताकि हम समाज में सकारात्मक परिवर्तन ला सकें। उनके विचारों को सुनकर उपस्थित लोगों ने सहमति जताई और यह सिद्ध किया कि संवादात्मक पत्रकारिता हमारे समाज के लिए कितनी महत्वपूर्ण है।

मीडिया की जिम्मेदारियों पर जोर

झारखंड के वित्त एवं संसदीय कार्य मंत्री राधा कृष्ण किशोर ने समारोह के दौरान मीडिया की जिम्मेदारियों पर ध्यान केंद्रित करते हुए कहा, "मीडिया को केवल समाज की घटनाओं पर नजर नहीं रखनी चाहिए, बल्कि महिलाओं और बच्चों के कल्याण के मुद्दों पर भी सक्रियता से काम करना चाहिए।" उन्होंने रांची विश्वविद्यालय के पत्रकारिता विभाग की सराहना की, जिससे कई उत्कृष्ट पत्रकार निकले हैं जिन्होंने समाज की सच्चाइयों को उजागर किया है।

सांस्कृतिक प्रस्तुतियों और सम्मान का आयोजन

इस कार्यक्रम में सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के साथ-साथ प्रतिभाशाली पूर्व विद्यार्थियों और पिछले पांच वर्षों के उत्कृष्ट छात्रों का सम्मान भी किया गया। प्रोफेसर ऋता शुक्ल ने विद्यार्थियों की राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाने की संभावनाओं पर चर्चा की। कार्यक्रम में श्याम प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय के प्रभारी कुलपति और कई वरिष्ठ पत्रकारों ने भी अपने विचार साझा किए।

सकारात्मक बदलाव की imperative आवश्यकता

प्रो. संजय द्विवेदी ने सभी पत्रकारों से संवादात्मक पद्धति अपनाने की अपील की, जिससे समाज में एक सकारात्मक बदलाव संभव हो सके। उन्होंने शिक्षकों और विद्यार्थियों को 38 वर्षों के शानदार सफर की बधाई देते हुए संवाद के महत्व पर जोर दिया। उनका मानना है कि यदि पत्रकारिता समाज में संवाद उत्पन्न करने में सफल होती है, तो निश्चित ही समाज में बदलाव के सकारात्मक संकेत देखने को मिलेंगे।

इस संवाद के माध्यम से हमें यह सोचने की जरूरत है कि कैसे हम पत्रकारिता को समाज के कल्याण के लिए एक प्रभावशाली औजार बना सकते हैं।

यह लेख लक्ष्मी शर्मा और नेहा अग्रवाल द्वारा लिखा गया है और टीम धर्म युद्ध की ओर से हस्ताक्षरित है।

Keywords:

journalism, communication, dialogue, media responsibility, positive change, Indian culture, social issues, Sankat Samadhan, non-controversial journalism