गुणवत्तापूर्ण शिक्षा: केवल अंकों से नहीं, व्यक्तित्व विकास में है शक्ति - प्रो. शुक्ला
हल्द्वानी | सीएनई रिपोर्टर उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय के सीका प्रकोष्ठ द्वारा आयोजित व्याख्यानमाला में शिक्षा विशेषज्ञों और कुलपतियों ने दूरस्थ एवं मुक्त शिक्षा की गुणवत्ता पर जोर दिया। चौधरी चरण सिंह मेरठ विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. संगीता शुक्ला ने कहा कि गुणवत्तापूर्ण शिक्षा केवल अंक प्राप्त करने से नहीं, बल्कि व्यक्तित्व निर्माण, नैतिक मूल्यों और […] The post गुणवत्तापूर्ण शिक्षा केवल अंकों से नहीं, व्यक्तित्व निर्माण से होगी: प्रो. शुक्ला appeared first on Creative News Express | CNE News.

गुणवत्तापूर्ण शिक्षा: केवल अंकों से नहीं, व्यक्तित्व विकास में है शक्ति - प्रो. शुक्ला
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हल्द्वानी | शिक्षा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण बहस छिड़ी है, जिसमें उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय के शिक्षा विशेषज्ञों और कुलपतियों ने दूरस्थ और मुक्त शिक्षा की गुणवत्ता पर जोर दिया है। चौधरी चरण सिंह मेरठ विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. संगीता शुक्ला ने इस विषय पर चर्चा करते हुए कहा कि गुणवत्तापूर्ण शिक्षा केवल अंक प्राप्त करने से नहीं, बल्कि व्यक्तित्व निर्माण, नैतिक मूल्यों और सामाजिक संवेदनाओं के विकास से होती है।
गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की महत्वपूर्ण आवश्यकता
प्रो. शुक्ला ने इस अवसर पर साझा किया कि आज की शिक्षा प्रणाली अधिकतर अंक प्रणाली पर निर्भर रहती है, जो विद्यार्थियों की आंतरिक गुणवत्ता पर प्रश्न उठाती है। उन्होंने स्पष्ट किया कि शिक्षा का उद्देश्य केवल शैक्षणिक अंक प्राप्त करना नहीं है, बल्कि विद्यार्थियों का समग्र विकास करना भी है, जिसमें उनके नैतिक मूल्यों और जिम्मेदारियों का भी समावेश होना चाहिए।
उनके अनुसार, इस शिक्षा प्रणाली का एक नया दृष्टिकोण होना चाहिए, जिसमें शिक्षण का उद्देश्य केवल किताबी ज्ञान तक सीमित न हो। शिक्षकों को चाहिए कि वे विद्यार्थियों में नेतृत्व क्षमता और सामाजिक चेतना का विकास करें, जिससे हर छात्र समाज में एक सक्षम नागरिक बन सके।
दूरस्थ एवं मुक्त शिक्षा का महत्व
दूरस्थ एवं मुक्त शिक्षा पर चर्चा करते हुए, कुलपतियों ने बताया कि यह न सिर्फ छात्रों के लिए समय की बचत करती है, बल्कि उन्हें उनके व्यक्तित्व का विकास करने का भी अवसर देती है। इस प्रणाली के माध्यम से, हर छात्र चाहे उसके सामाजिक या आर्थिक पृष्ठभूमि कैसी भी हो, उच्च गुणवत्ता की शिक्षा प्राप्त कर सकता है।
इस नए शिक्षा स्वरूप ने छात्रों को सीखने के नए अवसर प्रदान किए हैं। तकनीक ने इसे संभव बनाया है कि छात्र अपने अध्ययन के लिए लचीले समय का चयन कर सकें, जो उनके विकास में सहायक सिद्ध होता है।
उपसंहार
इस व्याख्यानमाला के माध्यम से यह स्पष्ट हो गया है कि विश्वविद्यालयों एवं शिक्षण संस्थानों को केवल अंकों की दृष्टि से नहीं, बल्कि व्यक्तित्व के विकास के दिशा में भी ध्यान केंद्रित करना चाहिए। प्राप्त अंक केवल एक मापदंड होते हैं, जबकि असली शिक्षा का मापदंड विद्यार्थियों का समग्र विकास है।
क्या शिक्षा प्रणाली खुद को एक ऐसी दिशा में मोड़ पाएगी जहाँ गुणवत्ता और नैतिक मूल्य दोनों का महत्व हो? प्रो. शुक्ला ने इस संदर्भ में सकारात्मक संकेत दिए हैं कि यह संभव है। हमें केवल इस दिशा में सक्रिय प्रयास करने की आवश्यकता है।
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