मध्यप्रदेश में मंत्री की बदजुबानी का साया: सिस्टम में छिपा है खेल
सिस्टम के शिष्टाचारी…बदजुबान मंत्री की कहानी मध्यप्रदेश के एक मंत्री इन दिनों परेशान हैं। कारण कुछ और नहीं बल्कि उनकी

मध्यप्रदेश में मंत्री की बदजुबानी का साया: सिस्टम में छिपा है खेल!
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कम शब्दों में कहें तो, मध्यप्रदेश के एक मंत्री इस समय कई संकटों का सामना कर रहे हैं। उनके ऊपर दो महत्वपूर्ण विभागों की जिम्मेदारी होने के बावजूद, हालात बदहाल हैं। इसकी मुख्य वजह उनकी बदजुबानी और मीडिया में आने वाले उनकी विवादों से भरे तर्क हैं। जनता के सवालों से भागने का यह सिलसिला प्रश्न उठाता है कि क्या जिम्मेदारी निभाने का समय आ गया है? – टीम धर्मयुद्ध
रात में निर्माण भवन का विवादित दौरा
पीडब्ल्यूडी विभाग के भीतर हालात दिन-प्रतिदिन खराब होते जा रहे हैं। हाल ही में, जब एक वरिष्ठ अधिकारी रात के समय निर्माण भवन पहुंचे, तो मामला बेहद पेचीदा हो गया। बताया जा रहा है कि इस बार टेंडर की प्रक्रिया में कुछ विशेष शर्तें जोड़ी गई थीं, जो एक बड़ी कंपनी को लाभ पहुंचाने का प्रयास दिखा रही थीं। जब कांग्रेस के एक नेता को इस मामले का पता चला, तो उन्होंने ट्वीट किया। हालांकि, भगवान का शुक्र है कि उन्होंने ट्वीट को जल्द ही हटा लिया, लेकिन तब तक यह खबर श्यामला हिल्स तक फैल चुकी थी। इस घटना ने विभाग में उठते सवालों में इजाफा किया है, जिससे मंत्री की छवि पर बुरा प्रभाव पड़ा है।
सदन की कार्यवाही में हंगामा
मध्यप्रदेश विधानसभा में मानसून सत्र चल रहा है, जिसमें कुल 10 बैठकें निर्धारित की गई थीं। पहले पांच दिनों में विपक्ष ने विभिन्न मुद्दों को उठाया, लेकिन जैसे ही सत्र का पांचवां दिन आया, कांग्रेस विधायकों ने हंगामा शुरु कर दिया। इस हंगामे की खास वजह थी कांग्रेस प्रदेश प्रभारी हरीश चौधरी का विधानसभा में आना। विपक्ष ने अचानक विजय शाह के इस्तीफे की मांग की, जिससे सदन की कार्यवाही बाधित हो गई। यह घटनाक्रम संविधान और लोकतंत्र के लिए चिंता का विषय है।
पुलिस ट्रेनिंग सेंटर में चल रहा है सेटिंग का खेल
मध्यप्रदेश में 6,500 से अधिक पदों पर पुलिस जवानों की भर्ती जारी है, लेकिन भर्ती प्रक्रिया में सेटिंग के खेल की चर्चा हो रही है। नियमों के अनुसार, यदि कोई जवान लगातार 30 दिन गैरहाजिर रहता है, तो उसे फिर से ट्रेनिंग में शामिल होना होता है। लेकिन खबरों के अनुसार, कुछ नए जवान 30 दिन से अधिक गैरहाजिर रहने के बावजूद सेटिंग के जरिए अपनी ट्रेनिंग को जारी रख रहे हैं। यह स्थिति न केवल विभाग के लिए चिंताजनक है, बल्कि समाज के लिए भी एक बड़ा सवाल खड़ा करती है। क्या सरकार इस अनियमितता पर ध्यान देगी? यह देखना महत्वपूर्ण होगा।
इन सभी घटनाओं में छिपी बुराइयाँ और मानवीय चेतना को जगाने की आवश्यकता है। हमें एकजुट होकर सिस्टम में सुधार के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए।
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