समाजसेवी गांधीमोहन सक्सेना ने स्वर्गस्थ माता सुखरानी कुंवर-पिता कुंवर बनवीर बहादुर की पावन स्मृति में कराई वार्षिक काव्यगोष्ठी

फ्रंट न्यूज नेटवर्क ब्यूरो, बरेली । कवि गोष्ठी आयोजन समिति एवं सर्वोदय समाज, बरेली के संयुक्त तत्वावधान में  इंदिरा नगर, बरेली में समाजसेवी गांधी मोहन सक्सेना के संयोजन में उनके पिता स्वर्गीय कुॅंवर बनवीर बहादुर एवं माता स्वर्गीया सुखरानी कुॅंवर की पावन स्मृति में सरस काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। समारोह की अध्यक्षता साहित्यकार […] The post समाजसेवी गांधीमोहन सक्सेना ने स्वर्गस्थ माता सुखरानी कुंवर-पिता कुंवर बनवीर बहादुर की पावन स्मृति में कराई वार्षिक काव्यगोष्ठी appeared first on Front News Network.

फ्रंट न्यूज नेटवर्क ब्यूरो, बरेली । कवि गोष्ठी आयोजन समिति एवं सर्वोदय समाज, बरेली के संयुक्त तत्वावधान में  इंदिरा नगर, बरेली में समाजसेवी गांधी मोहन सक्सेना के संयोजन में उनके पिता स्वर्गीय कुॅंवर बनवीर बहादुर एवं माता स्वर्गीया सुखरानी कुॅंवर की पावन स्मृति में सरस काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया

समारोह की अध्यक्षता साहित्यकार रणधीर प्रसाद गौड़ 'धीर' ने की। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि साहित्यकार-पत्रकार गणेश पथिक एवं विशिष्ट अतिथि मशहूर शायर राम कुमार भारद्वाज ‘अफरोज रहे।

मंचासीन अतिथियों द्वारा माँ शारदे और कुंवर बनवीर बहादुर-सुखरानी कुंवर के चित्रों पर माल्यार्पण-दीप प्रज्ज्वलन एवं मोहन चंद पांडेय 'मनुज' द्वारा माॅं वाणी के लयबद्ध-भावभरे वंदनागीत के सुंदर प्रस्तुतीकरण से कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया। सरस काव्य गोष्ठी में अधिकांश कवियों ने माता-पिता की महिमा और उनके सम्मान को बखानती अपनी एक से बढ़कर एक रचनाऍं प्रस्तुत कर देर शाम तक समां बाॅंधे रखा।

इस भावपूर्ण किंतु विचारोत्तेजक काव्य गोष्ठी में कवयित्री-चिंतक डॉ. सुचित्रा डे ने विचारोत्तेजक काव्यपाठ के साथ ही अपनी समृद्ध विरासत को गुमनामियों में गंवाते और पर्यावरण पर मंडराते भयावह संकट से जूझते अपने शहर की बड़ी चिंताएं भी साझा कीं।

संस्था के सचिव-सुकवि उपमेंद्र सक्सेना एडवोकेट ने अपने स्वर्गस्थ पिता जन कवि ज्ञानस्वरूप ‘कुमुद’ जी को समर्पित उन्हीं का लोकप्रिय गीत और अपना भी चर्चित गीत सुनाकर खूब वाहवाही और भरपूर तालियां बटोरीं।

एक विवशता शब्द तुम्हारा, अधर- अधर पर गीत हमारे।
मुझको ही समझाते हैं सब, लिखे पत्र क्यों बिना विचारे ।।
भावुक मन पर चाबुक था कब?, उलझा यह मन अगर- मगर में।
जाने कितनी उठीं अंगुलियां, मुझ पर मेरे महानगर में।।

######

श्वेत कबूतर राज भवन के
दिखा रहे हैं सपने झूठे।
उसकी यह आवाज दबाते
जो फरियादी इनसे रूठे।

मुख्य अतिथि कवि-पत्रकार गणेश ‘पथिक’

बहुचर्चित कवि-ग़ज़लकार राज शुक्ल ‘ग़ज़लराज’ ने अपनी यह सदाबहार ग़ज़ल सुनाकर भरपूर वाहवाही और तालियां बटोरीं-

यूँ साजिशों की उठती नज़र देखता रहा
कितना सहेगा मेरा जिगर देखता रहा

ज़ुल्मत मिटाने की थीं जिसे ख़्वाहिशें बहुत
चुपचाप वो हवा का कहर देखता रहा

जो अड़ गये बचाने को वो क़त्ल कर दिये
हर कोई उस सितम का असर देखता रहा

किस कौम का था कितना लहू बह गया यहाँ
मंज़र ये राज शामो -सहर देखता रहा

उनके अतिरिक्त साहित्य सुरभि के अध्यक्ष राम कुमार कोली, डॉ. अखिलेश कुमार गुप्ता, लक्ष्वेश्वर राजू, पूनम गंगवार ‘पुष्पा’, डॉ. रेनू श्रीवास्तव, योगेश जौहरी, राजीव बिसारिया,मनोज सक्सेना मनोज, लोकगीतों के धनी रामधनी निर्मल, हास्य कवि मनोज दीक्षित टिंकू, राज कुमार अग्रवाल ‘राज’, प्रताप मौर्य मृदुल, अशोक कुमार सक्सेना, नरेश सक्सेना, डी.पी. शर्मा निराला, रामकृष्ण शर्मा, रीतेश साहनी एवं रमेश रंजन आदि ने भी सरस काव्य पाठ किया और भरपूर प्रशंसा-सराहना प्राप्त की।

गोष्ठी में काव्यरस मर्मज्ञ कांग्रेस नेता योगेश जौहरी, वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव बिसारिया और अशोक कुमार सक्सेना, नरेश सक्सेना तथा बड़ी संख्या में मातृ शक्ति की भी सशक्त सहभागिता रही। ग़ज़लकार-आशुकवि राज शुक्ल ‘ग़ज़लराज’ ने अपनी सटीक आशु कविताओं से पूरे कार्यक्रम का बेहद ही सफल-सरस, भावपूर्ण एवं यादगार संचालन किया और गोष्ठी को सफलता के शिखर पर पहुंचाने में अविस्मरणीय योगदान दिया।

The post समाजसेवी गांधीमोहन सक्सेना ने स्वर्गस्थ माता सुखरानी कुंवर-पिता कुंवर बनवीर बहादुर की पावन स्मृति में कराई वार्षिक काव्यगोष्ठी appeared first on Front News Network.