हिमालय के अद्भुत दृश्यों और पर्यावरणीय चुनौतियों पर गहन परिचर्चा

स्लाइड शो एवम् व्याख्यान डॉ. मिराल की पुस्तक “गंगोत्री ग्लेशियर ऑफ हिमालया: पैराडाइज इन पेरिल” का अनावरण सीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ा। रविवार को उत्तराखण्ड सेवा निधि परिसर में आयोजित विशेष कार्यक्रम में प्रख्यात ट्रैकर एवं हिमालय के ग्लेशियर के शोध अध्येता डा.महेंद्र सिंह मिराल ने हिमालय के अद्भुत और बिहंगम दृश्यों के साथ-साथ वहां मौजूद पर्यावरणीय […] The post हिमालय के अद्भुत दृश्यों और पर्यावरणीय चुनौतियों पर हुई गहन चर्चा appeared first on Creative News Express | CNE News.

हिमालय के अद्भुत दृश्यों और पर्यावरणीय चुनौतियों पर गहन परिचर्चा
स्लाइड शो एवम् व्याख्यान डॉ. मिराल की पुस्तक “गंगोत्री ग्लेशियर ऑफ हिमालया: पैराडाइज इन पेरिल” क�

हिमालय के अद्भुत दृश्यों और पर्यावरणीय चुनौतियों पर गहन परिचर्चा

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कम शब्दों में कहें तो, डॉ. महेंद्र सिंह मिराल ने अपने व्याख्यान में हिमालय के अद्भुत दृश्यों और वायु व जलवायु संबंधी चुनौतियों की चर्चा की।

अल्मोड़ा, उत्तराखंड में रविवार को उत्तराखण्ड सेवा निधि परिसर में एक विशेष कार्यक्रम आयोजित किया गया, जहाँ प्रख्यात ट्रैकर और हिमालय के ग्लेशियर्स के शोध अध्येता डॉ. महेंद्र सिंह मिराल ने अपनी पुस्तक “गंगोत्री ग्लेशियर ऑफ हिमालया: पैराडाइज इन पेरिल” का अनावरण किया। इस कार्यक्रम में उन्होंने हिमालय के भव्य दृश्यों के साथ वहां उपस्थित पर्यावरणीय चुनौतियों पर गहन चर्चा की।

हिमालय की अनमोल सम्पत्ति

हिमालय केवल प्राकृतिक सौंदर्य का ही नहीं, बल्कि जैव विविधता का भी अनमोल खजाना है। यह पर्वत श्रृंखला न केवल पर्यटकों के लिए अपितु स्थानीय समुदायों के लिए भी जीवनदायिनी स्रोत है। डॉ. मिराल ने अपने व्याख्यान में जलवायु परिवर्तन, ग्लेशियर्स के पिघलने, और अंधाधुंध शहरीकरण जैसे मुद्दों को उजागर किया। उन्होंने बताया कि बढ़ते तापमान के कारण नदियों का जल स्तर घटने लगा है, जिससे पर्यावरण और स्थानीय जीवन पर गंभीर खतरा उत्पन्न हो रहा है।

कार्यक्रम का उद्देश्य

इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य हिमालय में पर्यावरणीय स्थिति के महत्व के बारे में लोगों को जागरूक करना था। डॉ. मिराल ने अपनी पुस्तक के माध्यम से कहा कि हमें इन चुनौतियों का सामना करने के लिए सक्रिय कदम उठाने की आवश्यकता है। उन्होंने ये भी कहा कि "हमारी जिम्मेदारी है कि हम इन अद्भुत दृश्यों की सुरक्षा के लिए निरंतर प्रयास करें।" उपस्थित दर्शकों, विशेषकर युवाओं, ने डॉ. मिराल के विचारों से प्रेरित होकर पर्यावरण संरक्षण में सक्रिय भागीदारी की प्रेरणा ली।

पर्यावरणीय समस्याओं के समाधान

डॉ. मिराल ने यह भी उल्लेख किया कि हमें सरकारी योजनाओं के साथ-साथ व्यक्तिगत स्तर पर भी पर्यावरण संरक्षण की दिशा में कार्य करना चाहिए। इसके लिए शैक्षणिक कार्यक्रमों का आयोजन आवश्यक है। उन्होंने यह सुझाव देते हुए कहा कि स्थानीय समुदायों को विकास योजनाओं में शामिल करना चाहिए ताकि वे अपनी सांस्कृतिक और प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा कर सकें।

निष्कर्ष

ग्लेशियर्स की स्थिति और उनके संरक्षण के लिए डॉ. महेंद्र सिंह मिराल के विचार एक महत्वपूर्ण अनुसंधान और जागरूकता का उदाहरण हैं। हमें हिमालय के इस महत्वपूर्ण क्षेत्र की पर्यावरणीय समस्याओं की अनदेखी नहीं करनी चाहिए। सभी का सहयोग आवश्यक है ताकि हम इस अद्भुत प्राकृतिक सौंदर्य को बचा सकें। इस विषय पर सभी नवीनतम जानकारियों के लिए हमारे साथ जुड़े रहें।

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लेख लेखिका: प्रिया शर्मा और सिमा देसाई, टीम धर्मयुद्ध

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