ग्रामीण औद्योगिक पार्क बंद, महिलाएं 20 किलोमीटर चलकर कलेक्ट्रेट पहुंची: रोजगार पर संकट
लक्ष्मीकांत बंसोड़, बालोद। जिले के ग्राम अरमूरकसा और अवारी की 40 से 50 महिलाएं गुरुवार को 20 किलोमीटर पैदल चलकर

ग्रामीण औद्योगिक पार्क बंद, महिलाएं 20 किलोमीटर चलकर कलेक्ट्रेट पहुंची: रोजगार पर संकट
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कम शब्दों में कहें तो, बालोद जिले की महिलाएं अपनी आजीविका के लिए जूझ रही हैं।
लक्ष्मीकांत बंसोड़, बालोद। छात्रों को रोजगार उपलब्ध कराने वाले ग्रामीण औद्योगिक पार्क में पिछले 6 माह से आर्थिक गतिविधियाँ रुकी हुई हैं। इस संबंध में, ग्राम अरमूरकसा और अवारी की लगभग 40 से 50 महिलाएं गुरुवार को 20 किलोमीटर पैदल चलकर कलेक्ट्रेट पहुंचीं। उनका उद्देश्य मिलेट्स चिक्की के उत्पादन को फिर से बहाल कराना था, ताकि वे अपनी आजीविका को सुरक्षित कर सकें।
महिलाओं का संघर्ष
महिलाओं ने बताया कि जब से औद्योगिक पार्क बंद हुआ है, उनका रोजगार छिन गया है। उन्होंने कलेक्ट्रेट पहुँचकर प्रशासन से मांग की कि उनकी स्थिति को समझा जाए और जल्द से जल्द कार्य शुरू किया जाए। महिलाएं इस पार्क के माध्यम से न केवल अपना परिवार चला रही थीं, बल्कि क्षेत्र में आर्थिक विकास में भी योगदान दे रही थीं।
अर्थव्यवस्था पर प्रभाव
महिलाओं का कहना है कि काम बंद होने की स्थिति में वे गंभीर आर्थिक संकट का सामना कर रही हैं। उनके पास अब रोजमर्रा के खर्च को पूरा करने के लिए भी पैसे नहीं हैं। यह स्थिति उनके बच्चों की शिक्षा और परिवार की सेहत पर भी प्रतिकूल प्रभाव डाल रही है।
स्थानीय प्रशासन का प्रतिक्रिया
इस मामले में, स्थानीय प्रशासन ने महिलाओं की मांग को गंभीरता से लिया है। अधिकारियों ने उन्हें आश्वासन दिया है कि वे इस समस्या को उचित स्तर पर उठाएंगे। प्रशासन का कहना है कि वे जल्दी ही इस औद्योगिक पार्क के संचालन को पुनः प्रारंभ करने के लिए समुचित कदम उठाएंगे।
समुदाय की एकजुटता
महिलाओं ने इस संकट के खिलाफ एकजुटता भी दिखाई है। उन्होंने न केवल अपने अधिकारों के लिए आवाज उठाई, बल्कि पूरे समुदाय को इस मुद्दे पर एकजुट करने का प्रयास किया। वे उन सभी को प्रोत्साहित कर रही हैं जो इस पार्क पर निर्भर हैं कि वे आगे आएं और अपनी आवाज उठाएं।
महिलाओं का यह आंदोलन उन सभी के लिए एक प्रेरणा है जो किसी भी प्रकार की आर्थिक कठिनाई का सामना कर रहे हैं और उन्हें अपने हक के लिए लड़ने की आवश्यकता है।
उनका मानना है कि यदि इस पार्क का संचालन फिर से शुरू होता है तो न केवल उनकी, बल्कि पूरे समुदाय की आर्थिक स्थिति में सुधार होगा।
अंत में, ध्यान दें, यह केवल रोजगार का मुद्दा नहीं है, बल्कि सामाजिक और आर्थिक न्याय का भी मामला है। महिलाएं इस बात के लिए लड़ रही हैं कि उन्हें भी अपने हक से वंचित न किया जाए।
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सादर,
टीम धर्म युद्ध
सोनिया शर्मा