दिल्ली की NCERT किताब से हटाया गया मुगल और दिल्ली सल्तनत का चैप्टर, महाकुंभ को मिली जगह

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दिल्ली की NCERT किताब से हटाया गया मुगल और दिल्ली सल्तनत का चैप्टर, महाकुंभ को मिली जगह
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दिल्ली की NCERT किताब से हटाया गया मुगल और दिल्ली सल्तनत का चैप्टर, महाकुंभ को मिली जगह

इन दिनों दिल्ली में NCERT की पाठ्यपुस्तकों में संशोधन की चर्चा जोरों पर है। हाल ही में एक विवादास्पद निर्णय के तहत, NCERT ने अपनी किताबों से मुगल और दिल्ली सल्तनत से संबंधित अध्यायों को हटा दिया है। यह कदम कई शिक्षकों, छात्रों और अभिभावकों के बीच असहमति का कारण बना है।

मुगल और दिल्ली सल्तनत का अध्याय हटाने का कारण

NCERT द्वारा इन अध्यायों को हटाने के पीछे के कारणों में ऐतिहासिक दृष्टिकोण को नई व्याख्या के रूप में प्रस्तुत करना बताया गया है। शिक्षा मंत्रालय का कहना है कि पाठ्यक्रम में ऐसे विषयों को शामिल किया जाएगा जो भारतीय संस्कृति और धरोहर के महत्व को बढ़ावा देते हैं।

महाकुंभ को मिली जगह

इस संशोधन के दौरान, NCERT ने महाकुंभ जैसे महत्वपूर्ण धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजनों को पाठ्यक्रम में शामिल करने का निर्णय लिया है। विशेष रूप से, महाकुंभ के महत्व को समझाने के लिए नए पाठ तैयार किए जा रहे हैं, जिससे छात्रों को भारतीय धार्मिक परंपराओं का बेहतर ज्ञान मिल सके।

इस बदलाव का प्रभाव

यह बदलाव न केवल शिक्षा के क्षेत्र में प्रभाव डालेगा बल्कि सामाजिक और राजनीतिक स्तर पर भी विभिन्न प्रतिक्रियाओं का केंद्र बन सकता है। कई विशेषज्ञों का मानना है कि यह निर्णय सांस्कृतिक विविधता को कम करता है। फिर भी, कुछ लोग इसे ऐतिहासिक सटीकता के लिए आवश्यक मानते हैं।

समाज में पैदा हुआ विवाद

इस मुद्दे पर विभिन्न समुदायों के बीच तीव्र चर्चाएँ हो रही हैं। अभिभावकों और शिक्षकों ने इस रूपांतरण को लेकर अपनी चिंताओं को व्यक्त किया है, जबकि कुछ इसे एक सकारात्मक कदम मानते हैं। सभी की राय यह है कि शिक्षा का उद्देश्य ज्ञान और समझ को बढ़ाना होना चाहिए।

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शिक्षा के इस बदलाव पर गहनता से विचार करने की आवश्यकता है, और इसे एक व्यापक दृष्टिकोण से समझना चाहिए। NCERT की यह पहल भारतीय संस्कृति की नई परिभाषा की ओर अग्रसर हो सकती है। Keywords: NCERT किताब में बदलाव, मुगल और दिल्ली सल्तनत हटाना, महाकुंभ का अध्याय, दिल्ली में शिक्षा, भारतीय संस्कृति पाठ्यक्रम, NCERT सुधार, शिक्षा मंत्रालय, विवादित पाठ्यक्रम, अभिभावकों की चिंताएं, सांस्कृतिक पहचान.