बिहार चुनाव: 35 लाख मतदाता गायब, SIR प्रक्रिया में नए खुलासे

Bihar Voter Revision: बिहार में इस साल विधानसभा का चुनाव होना है। चुनाव से पहले निवार्चन आयोग मतदाता सूची पुनरीक्षण

बिहार चुनाव: 35 लाख मतदाता गायब, SIR प्रक्रिया में नए खुलासे

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कम शब्दों में कहें तो, बिहार में विधानसभा चुनावों की तैयारी करते हुए निवार्चन आयोग ने मतदाता सूची का पुनरीक्षण (SIR) किया है, जिसमें 35 लाख से अधिक मतदाता गायब होने का चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। आइए, जानते हैं इस मामले की पूरी जानकारी।

लापता हुए 35 लाख से ज्यादा मतदाता

बिहार में इस साल होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए निवार्चन आयोग द्वारा की जा रही मतदाता सूची पुनरीक्षण प्रक्रिया के तहत, 25 जुलाई 2025 को जारी प्रेस नोट के अनुसार, राज्य की कुल मतदाता संख्या 7.23 करोड़ है। इस सूची में से 22 लाख मृत मतदाताओं के नाम हटा दिए गए हैं, लेकिन चिंता की बात यह है कि 35 लाख से ज्यादा मतदाता या उनके पते ट्रेस नहीं किए जा सके हैं। यदि यह स्थिति बनी रहती है, तो यह आगामी चुनावों को गंभीर प्रभावित कर सकती है। आयोग ने 1 अगस्त 2025 तक SIR प्रक्रिया को पूरा करने का लक्ष्य रखा है।

हर विधानसभा से 26 हजार मतदाता बाहर

SIR प्रक्रिया के अंतर्गत, आयोग ने खुलासा किया है कि लगभग 26,000 मतदाता हर विधानसभा क्षेत्र से हटाए जा चुके हैं। इस संदर्भ में, मृत मतदाता सहित कुल मिलाकर लगभग 65.2 लाख नाम मतदाता सूची से हटाए जाने के संभावित हैं। ऐसे आंकड़े विपक्ष के लिए चुनौती उत्पन्न करते हैं और राजनीतिक खेल-खिलवाड़ को प्रभावित कर सकते हैं।

राजनीतिक दलों को सूची सौंपी गई

निवेश न कराने वाले, मृतकों और स्थायी रूप से प्रवास कर चुके मतदाताओं की पूरी सूची सभी प्रमुख राजनीतिक दलों को सौंप दी गई है। इसमें बहुजन समाज पार्टी, भारतीय जनता पार्टी एवं कम्यूनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (मार्क्ससिस्ट) जैसी प्रमुख पार्टियां शामिल हैं। इस कदम से SIR प्रक्रिया को पारदर्शिता प्रदान करने का उद्देश्य है। यह सुनिश्चित करना कि आगामी चुनावों के लिए मतदान करने वाले सही मतदाता सूची में शामिल हों।

चुनाव आयोग ने कहा, सभी का योगदान जरूरी

चुनाव आयोग ने SIR प्रक्रिया के पहले चरण को सफल बनाने में विभिन्न अधिकारियों और 12 प्रमुख राजनीतिक दलों के योगदान की सराहना की है। बिहार में कार्यरत CEO, DEOS, EROS और पोलिंग बूथों पर तैनात वॉलंटियर्स की मेहनत को भी सराहा गया है, जिन्होंने इस प्रक्रिया को संभव बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

आपत्ति दर्ज कराने की प्रक्रिया

SIR ऑर्डर के अनुसार, सभी निर्वाचक या राजनीतिक दल 1 से 1 सितंबर के बीच किसी भी अयोग्य मतदाता के नाम को लेकर ERO के पास आपत्ति दर्ज करा सकते हैं। यह प्रक्रिया सही मतदाता सूची को सुनिश्चित करने में मदद करेगी और त्रुटियों को दूर करने का एक अवसर प्रदान करेगी।

निष्कर्ष

बिहार में SIR प्रक्रिया सूचना संग्रह के माध्यम से चल रही है, लेकिन 35 लाख लापता मतदाताओं की संख्या एक गंभीर चिंता का विषय है जो चुनावी राजनीति में भारी चुनौतियाँ पैदा कर सकती है। इस स्थिति को सुधारने के लिए आयोग को प्रभावी कदम उठाने की जरूरत है। सभी राजनीतिक दलों को भी इस मुद्दे पर ध्यान केंद्रित करना होगा और पहले से ही आवश्यक कार्रवाई करनी होगी।

युवाओं और मतदाताओं से हम विनम्र निवेदन करते हैं कि वे अपने नाम की जांच अवश्य करें और किसी भी प्रकार की त्रुटि के लिए अपनी आवाज उठाएं। बिहार चुनावों की सबसे नई जानकारी के लिए हमसे जुड़े रहें। सटीक और सटीक जानकारी प्राप्त करने के लिए यहाँ क्लिक करें.

लेखिका: साक्षी और निधि, टीम धरमयुद्ध

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