“विजीलेंस हल्द्वानी में कानून नहीं, षड्यंत्र का शासन” – हाईकोर्ट ने IO और ट्रैप लीडर पर उठाए गंभीर सवाल, वही अधिकारी पुराने केस में भी कर चुके हैं झूठी गवाही

इस मामले के अन्वेषण अधिकारी (IO) श्री विनोद यादव और ट्रैप लीडर श्रीमती ललिता पांडे वही अधिकारी हैं, जिन्होंने अशोक कुमार मिश्रा केस में भी कोर्ट में झूठा हलफनामा दायर किया था कि ट्रैप की वीडियो रिकॉर्डिंग हुई थी। लेकिन जब कोर्ट ने समन भेजकर वीडियो प्रस्तुत करने को कहा, तो कोई रिकॉर्डिंग उपलब्ध नहीं थी। अब यही दोनों अधिकारी सन्ति भंडारी मामले में भी चार्जशीट दाखिल करने से पहले कोई FSL रिपोर्ट, वीडियो फुटेज या स्वतंत्र गवाह पेश नहीं कर सके हैं।

“विजीलेंस हल्द्वानी में कानून नहीं, षड्यंत्र का शासन” – हाईकोर्ट ने IO और ट्रैप लीडर पर उठाए गंभीर सवाल, वही अधिकारी पुराने केस में भी कर चुके हैं झूठी गवाही
“विजीलेंस हल्द्वानी में कानून नहीं, षड्यंत्र का शासन” – हाईकोर्ट ने IO और ट्रैप लीडर पर उठाए गंभीर सवाल, वही अधिकारी पुराने केस में भी कर चुके हैं झूठी गवाही

25 मार्च 2025 | विशेष रिपोर्ट, dharmyuddh.com

उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने एक बार फिर विजीलेंस सेक्टर हल्द्वानी की गैर-पेशेवर, भ्रामक और कानूनी प्रक्रिया के खिलाफ कार्यशैली पर कड़ी टिप्पणी की है। माननीय न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की एकलपीठ में भ्रष्टाचार के एक मामले में राजपत्रित अधिकारी संति भंडारी की जमानत याचिका पर सुनवाई हुई, जिसमें न केवल जांच की खामियों पर सवाल उठे, बल्कि विजीलेंस अधिकारियों की नीयत पर भी गंभीर शंका प्रकट की गई।

इस मामले के अन्वेषण अधिकारी (IO) श्री विनोद यादव और ट्रैप लीडर श्रीमती ललिता पांडे वही अधिकारी हैं, जिन्होंने अशोक कुमार मिश्रा केस में भी कोर्ट में झूठा हलफनामा दायर किया था कि ट्रैप की वीडियो रिकॉर्डिंग हुई थी। लेकिन जब कोर्ट ने समन भेजकर वीडियो प्रस्तुत करने को कहा, तो कोई रिकॉर्डिंग उपलब्ध नहीं थी। अब यही दोनों अधिकारी सन्ति भंडारी मामले में भी चार्जशीट दाखिल करने से पहले कोई FSL रिपोर्ट, वीडियो फुटेज या स्वतंत्र गवाह पेश नहीं कर सके हैं।

सुनवाई के दौरान जब कोर्ट ने IO विनोद यादव से पूछा कि वीडियोग्राफी की पुष्टि कैसे होगी, तो उन्होंने VC पर “Sorry” कहकर शर्मिंदगी जताई। लेकिन न्यायमूर्ति थपलियाल ने न्यायिक मर्यादा दिखाते हुए इस बात को रिकॉर्ड में दर्ज नहीं किया, यह दर्शाता है कि अदालत कितनी सहनशील है, लेकिन हर बार सहनशीलता की भी एक सीमा होती है।

BNSS 2023 की धारा 105 के अनुसार Trap की वीडियोग्राफी अनिवार्य है। बावजूद इसके, न तो Trap की रिकॉर्डिंग अदालत को दी गई, न ही उसकी FSL रिपोर्ट उपलब्ध है, और न ही स्वतंत्र गवाह की गवाही। इसके बावजूद, IO ने जल्दबाज़ी में चार्जशीट दाखिल कर दी — जो कानून की अवहेलना और प्रक्रिया की हत्या के समान है।

कोर्ट ने IO विनोद यादव और विजीलेंस के निदेशक दोनों को तीन दिन में व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करने का मौखिक आदेश दिया है, जिससे यह स्पष्ट हो सके कि जांच पूरी न होने पर आरोप पत्र कैसे दाखिल हुआ।

इतना ही नहीं — कोर्ट ने मौखिक रूप से यह भी कहा कि विजीलेंस विभाग किस SOP के तहत अखबारों में ट्रैप रेड के विज्ञापन दे रहा है? जब तक अदालत द्वारा दोष सिद्ध न हो, कोई व्यक्ति कानून की नज़र में अपराधी नहीं हो सकता — लेकिन विजीलेंस द्वारा मीडिया में प्रचारित किया जाना "Presumption of Innocence" की मूल संवैधानिक भावना को तार-तार करता है।

सुनवाई के दौरान यह दर्दनाक प्रसंग भी उठा कि रेलवे विभाग के अत्यंत ईमानदार अधिकारी श्री बलूनी, जिन्हें विजीलेंस द्वारा झूठे मामले में फंसाया गया था, उन्होंने मानसिक उत्पीड़न से तंग आकर आत्महत्या कर ली थी। कोर्ट ने इसे एक न्याय व्यवस्था पर कलंक बताते हुए गंभीर चिंता जताई।

कोर्ट का निष्कर्ष एवं आदेश:

  • Trap की वीडियो रिपोर्ट अभी तक FSL में लंबित है

  • जांच अधूरी है, फिर भी चार्जशीट दाखिल

  • IO विनोद यादव और निदेशक, विजीलेंस से हलफनामा तलब

  • आरोपी संति भंडारी को अंतरिम ज़मानत दी गई

  • अगली सुनवाई की तिथि 4 अप्रैल 2025 नियत की गई है

धर्मयुद्ध.कॉम की माँग:

-IO विनोद यादव और ट्रैप लीडर ललिता पांडे पर IPC 191, 193 के अंतर्गत मुकदमा दर्ज हो
-विजीलेंस हल्द्वानी की समस्त कार्रवाई की स्वतंत्र न्यायिक जांच कराई जाए
-Trial से पहले मीडिया में रेड प्रचारित करने की प्रवृत्ति पर प्रतिबंध लगे
-Presumption of Innocence जैसे संवैधानिक सिद्धांत की रक्षा के लिए विशेष दिशा-निर्देश जारी हों

यदि व्यवस्था में ईमानदारों को मारने की साजिश रची जाती रही, तो न्याय नहीं, अन्याय ही शासक बन जाएगा। धर्मयुद्ध.कॉम ऐसे हर अन्याय के खिलाफ खड़ा है — क्योंकि जब व्यवस्था अंधी हो जाए, तो कलम को तलवार बनाना पड़ता है।