पीएम मोदी की चीन यात्रा: सात साल बाद शी जिनपिंग से वार्ता, महत्वपूर्ण मुद्दों पर होगी चर्चा
एफएनएन, बीजिंग: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी दो-राष्ट्र की यात्रा के दूसरे और अंतिम चरण में जापान से चीनी शहर तियानजिन पहुंचे हैं। यहां पीएम मोदी मोदी मुख्य रूप से 31 अगस्त और 1 सितंबर को शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के वार्षिक शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सात साल से ज्यादा के अंतराल […] The post सात साल बाद चीन पहुंचे पीएम मोदी, शी जिनपिंग से करेंगे अहम बातचीत appeared first on Front News Network.

पीएम मोदी की चीन यात्रा: सात साल बाद शी जिनपिंग से वार्ता, महत्वपूर्ण मुद्दों पर होगी चर्चा
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एफएनएन, बीजिंग: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी दो-राष्ट्र यात्रा के दूसरे और अंतिम चरण में जापान से चीनी शहर तियानजिन पहुंचे हैं। यहां, पीएम मोदी 31 अगस्त और 1 सितंबर को आयोजित होने वाले शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के वार्षिक शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे। यह यात्रा, विशेष रूप से सात साल के अंतराल के बाद, तीन महत्वपूर्ण मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करती है: भारत-चीन संबंध, वैश्विक आर्थिक स्थिरता और सामरिक संवाद। कम शब्दों में कहें तो, यह यात्रा दोनों देशों के लिए महत्वपूर्ण अवसर प्रदान करती है।
मोदी की यात्रा का महत्व
प्रधानमंत्री मोदी की यह यात्रा विश्व के राजनीतिक परिदृश्य में एक नया आयाम जोड़ने की संभावना लिए हुए है। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीतियों के चलते, भारत और अमेरिका के संबंधों में गिरावट आ रही है। इस संदर्भ में, मोदी और शी जिनपिंग के बीच होनेवाली बातचीत से भारत-चीन संबंधों में सुधार की उम्मीदें जगी हैं। अपनी यात्रा के दौरान, पीएम मोदी ने कहा कि यह समय है जब भारत-चीन को आपसी सहयोग को बढ़ाने की आवश्यकता है।
शी जिनपिंग से वार्ता
पीएम मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की यह बैठक विशेष रूप से वाशिंगटन के टैरिफ विवाद के चलते महत्वपूर्ण मानी जा रही है। इस वार्ता के माध्यम से, दोनों देश आर्थिक मुद्दों पर गहन चर्चा करेंगे, साथ ही पूर्वी लद्दाख में सीमा विवाद से उत्पन्न तनाव को दूर करने के उपायों पर भी विचार करेंगे। यह वार्ता भारत-चीन संबंधों को नई दिशा देने का संभावित अवसर प्रदान करती है।
भविष्य की दिशा
तियानजिन में पीएम मोदी ने यह स्पष्ट किया कि भारत-चीन सहयोग वैश्विक आर्थिक स्थिरता के लिए आवश्यक है। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच समर्पित और सहयोगात्मक संबंध न केवल उनके लिए, बल्कि वैश्विक सुरक्षा और समृद्धि के लिए भी महत्वपूर्ण हैं। यह दृष्टिकोण, जापान के योमिउरी शिंबुन को दिए गए साक्षात्कार में भी सामने आया है।
सामरिक और आर्थिक संबंधों की धारणा
इस दौरे का राजनीतिक महत्व इसलिए और बढ़ जाता है क्योंकि पिछले कुछ महीनों में भारत और चीन ने तनाव कम करने के लिए कई सार्थक कदम उठाए हैं। सीमा विवाद के बावजूद, दोनों देशों ने एक-दूसरे के साथ संवाद स्थापित करने के लिए बार-बार बातचीत की है। इसके पूर्व, दोनों देशों के विदेश मंत्रियों के बीच स्थिरता और सहयोगात्मक संबंधों के लिए कई उपायों पर विचार विमर्श हुआ था, जो इस यात्रा के महत्व को और बढ़ाता है।
निष्कर्ष
प्रधानमंत्री मोदी की यह यात्रा केवल औपचारिक वार्ता का नहीं, बल्कि सामरिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। मोदी और जिनपिंग के बीच होने वाली बैठक से द्विपक्षीय संबंधों में सुधार की संभावनाओं के साथ-साथ वैश्विक राजनीतिक वातावरण पर भी प्रभाव पड़ सकता है। इस बैठक के नतीजे, भारतीय और चीनी सामरिक नीतियों का भविष्य निर्धारित कर सकते हैं।
इस यात्रा के दौरान, पीएम मोदी दूसरे नेताओं के साथ द्विपक्षीय वार्ता भी कर सकते हैं, जिससे यह स्पष्ट हो सकेगा कि भारत और चीन किस दिशा में आगे बढ़ने की योजना बना रहे हैं। इस संदर्भ में, सभी की निगाहें रविवार को होने वाली बैठक पर रहेंगी।
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सादर,
टीम धर्म युद्ध