नंदादेवी रामलीला का भव्य समापन: राम राज्याभिषेक और सांस्कृतिक कार्यक्रम
सांस्कृतिक नगरी अल्मोड़ा और समूचे कुमाऊँ की सबसे प्राचीन एवं ऐतिहासिक रामलीला — श्री नंदादेवी रामलीला मंचन का समापन श्री राम राज्याभिषेक, रंगारंग कार्यक्रमों और पारितोषिक वितरण के साथ हुआ। यह ऐतिहासिक मंचन सांस्कृतिक नगरी अल्मोड़ा में संपन्न हुआ। समापन और सांस्कृतिक कार्यक्रम राम राज्याभिषेक के उपरान्त, लोकगायक गोपाल चमयाल की टीम ने लोक गीतों […] The post ऐतिहासिक नंदादेवी रामलीला का राम राज्याभिषेक के साथ समापन appeared first on Creative News Express | CNE News.

नंदादेवी रामलीला का भव्य समापन: राम राज्याभिषेक और सांस्कृतिक कार्यक्रम
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कम शब्दों में कहें तो, सांस्कृतिक नगरी अल्मोड़ा की ऐतिहासिक नंदादेवी रामलीला का समापन रंगारंग कार्यक्रमों और श्री राम राज्याभिषेक के साथ हुआ।
नंदादेवी रामलीला का महत्त्व
सांस्कृतिक नगरी अल्मोड़ा और समूचे कुमाऊँ क्षेत्र की सबसे प्राचीन एवं ऐतिहासिक रामलीला, श्री नंदादेवी रामलीला, हर वर्ष भक्तों और दर्शकों के लिए एक विशेष अनुभव प्रदान करती है। यह न केवल धार्मिक उत्सव है, बल्कि इसमें स्थानीय संस्कृति, परंपरा और संगीत का अद्भुत संगम भी देखने को मिलता है।
समापन समारोह
हाल ही में, इस विशिष्ट रामलीला का समापन श्री राम राज्याभिषेक समारोह के साथ हुआ, जिसने सभी उपस्थित दर्शकों के हृदय में एक विशेष स्थान बना लिया। राज्याभिषेक के इस भव्य आयोजन के साथ-साथ कई रंगारंग कार्यक्रम और पारितोषिक वितरण भी हुआ, जिसने इस उत्सव को और भी खास बना दिया।
लोकगायक गोपाल चमयाल का योगदान
समापन समारोह के उपरांत, लोकगायक गोपाल चमयाल और उनकी टीम ने विशेष रूप से लोक गीतों का प्रदर्शन किया। इन गीतों ने दर्शकों को न केवल आनंदित किया, बल्कि सांस्कृतिक धरोहर को भी दर्शाया। उनकी मधुर आवाज़ और गीतों ने समारोह में चार चांद लगा दिए।
स्थानीय संस्कृति की अभिव्यक्ति
इस रामलीला का मंचन हर सर्दी में होता है और यह स्थानीय संस्कृति को जीवित रखने का प्रयास है। यह न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि पूरे प्रदेश के लिए एक सांस्कृतिक प्रतीक के रूप में भी कार्य करता है। लोग दूर-दूर से इस रामलीला का आनंद उठाने के लिए पहुँचते हैं, जिससे पर्यटन को भी बढ़ावा मिलता है।
निष्कर्ष
उपलब्धि नंदादेवी रामलीला केवल एक नाटकीय प्रस्तुति नहीं है, बल्कि यह हमारी परंपराओं और सांस्कृतिक जड़ों को भी संरक्षित करने का प्रयास करती है। हर वर्ष की तरह, इस बार भी इस ऐतिहासिक रामलीला ने सभी को एकता और धार्मिकता की भावना का अनुभव कराया है। आने वाले वर्षों में भी इस मंचन की वैभव और समृद्धि बनी रहेगी।
इसके साथ ही, हम आपको सूचित करते हैं कि इस प्रकार के एतिहासिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों की सूचना और भी अपडेट्स के लिए हमारी वेबसाइट धर्म युद्ध पर अवश्य जाएं।
धन्यवाद,
टीम धर्म युद्ध
प्रिया शर्मा