पीपलसाना में बज़्मे सुखन की जानिब से आल इंडिया मुशायरा, पूरी रात हुई तालियों, वाहवाहियों की बौछार

फ्रंट न्यूज नेटवर्क ब्यूरो, बरेली। बज्मे सुखन पीपलसाना की जानिब से फ़राज़ अकादमी पीपलसाना में आल इंडिया मुशायरा आयोजित किया गया। मुशायरे में मुल्क के मशहूर और मारूफ शोरा हजरात ने हिस्सा लिया। मुशायरे की शुरुआत हाजी अमीर हुसैन ने शमा रोशन कर की। नूर कादरी ने आयत ए करीमा और नआत शरीफ पेश की।शुभम […] The post पीपलसाना में बज़्मे सुखन की जानिब से आल इंडिया मुशायरा, पूरी रात हुई तालियों, वाहवाहियों की बौछार appeared first on Front News Network.

पीपलसाना में बज़्मे सुखन की जानिब से आल इंडिया मुशायरा, पूरी रात हुई तालियों, वाहवाहियों की बौछार
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पीपलसाना में बज़्मे सुखन की जानिब से आल इंडिया मुशायरा, पूरी रात हुई तालियों, वाहवाहियों की बौछार

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फ्रंट न्यूज नेटवर्क ब्यूरो, बरेली। बज्मे सुखन पीपलसाना की जानिब से फ़राज़ अकादमी पीपलसाना में आल इंडिया मुशायरा आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम में देश के कई मशहूर शायरों ने अपनी शायरी के माध्यम से लोगों का दिल जीत लिया।

शुरुआत और विशेष अतिथि

मुशायरे की शुरुआत हाजी अमीर हुसैन ने शमा रोशन कर की, जिससे पूरे माहौल में एक अद्भुत ऊर्जा का संचार हुआ। इस उद्घाटन के बाद नूर कादरी ने आयत ए करीमा और नआत शरीफ का शानदार पाठ किया, जिसने सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया।

शायरों का जलवा

शुभम ने अपनी ग़ज़ल प्रस्तुत की, जो सुनने वालों की वाहवाही बटोरी:

“किसी का चाहने वाला किसी से दूर न हो,
मुहब्बतों में हलाला हराम होता है।”

मनोज मनु ने भी अपने लफ्जों से तालियों में इज़ाफा किया:

“ज़मीं पे पांव फलक पे निगाह याद रहे,
मियां बुजुर्गो की ये भी सलाह याद रहे।”

इसके बाद मुरसलीम ‘ज़ख्मी’ की ग़ज़ल पर पूरे महफिल में वाहवाहियों की गूंज सुनाई दी:

“सर कटाना तो हम जानते हैं,
सर झुकाने की आदत नहीं है।”

हर दिल अजीज़ गज़लें

इस अद्भुत आयोजन में इरफान हमीद काशीपुरी ने अपनी ग़ज़ल से लोगों को अनोखे अंदाज में मंत्रमुग्ध किया, जिससे तालियों की गूंज चर्चित हुई।

प्रोफेसर मुहम्मद हुसैन ‘दिलकश’ ने अपने खास कलाम के ज़रिए सभी उपस्थित जनों को भाव-विभोर कर दिया:

“लहू की किस्त चुकाई है मुद्दतों साहिब,
हमारी आंखों ने जब-जब ये ख्वाब देखे हैं।”

सामाजिक संदेश

शायर फरहत अली ‘फरहत’ ने अपने कलाम के माध्यम से यह संदेश दिया कि:

“हमने गुलशन से नहीं कोई शिकायत की है,
फूल तो फूल हैं कांटों से मुहब्बत की है।”

यहीं पर सैफ उर रहमान ने सुनाया:

“यूं भी तमाम दोस्तों का दिल बड़ा रहा,
मैं कहकहे लगाने की जिद पर अड़ा रहा।”

कार्यक्रम का समापन

सदर ए मुशायरा सय्यद गुफ़रान राशिद गुलावठी ने अपने समापन भाषण में कहा:

“तेरे ग़मों से ख़ुशियों के पहलू खंगाल के,
मुश्किल को आ गया हूं मैं मुश्किल में डाल के।”

कार्यक्रम के अंत में कन्वेनर रिजवाना नर्गिस ने सभी का धन्यवाद किया। इस अवसर पर सैकड़ों अदब परस्त लोगों ने खूबसूरत शेर-ओ-शायरी का जमकर लुत्फ उठाया। यह मुशायरा पीपलसाना की अदब की दुनिया में एक महत्वपूर्ण घटना साबित हुआ।

अंततः, यह मुशायरा न सिर्फ कला और संस्कृति का एक उत्सव था, बल्कि यह देशभक्ति और सामाजिक एकता का प्रतीक भी बना।

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