मोदी 3 देशों के दौरे पर रवाना, पहले साइप्रस जाएंगे:इंदिरा, अटल के बाद साइप्रस जाने वाले तीसरे भारतीय PM; कनाडा में G7 समिट में शामिल होंगे
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार को 3 देशों की 4 दिन की यात्रा पर रवाना हो गए हैं। वे साइप्रस से इस दौरे की शुरुआत करेंगे, फिर कनाडा और क्रोएशिया जाएंगे। इस दौरान वे 27 हजार 745 किमी का सफर तय करेंगे। विदेश मंत्रालय के मुताबिक, पीएम 15-16 जून को साइप्रस में रहेंगे। 16 और 17 जून को कनाडा में G7 शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे। इसके बाद वे 18 जून को क्रोएशिया जाएंगे। 19 जून को भारत लौट आएंगे। साइप्रस जाने वाले तीसरे भारतीय पीएम होंगे मोदी साइप्रस जाने वाले तीसरे भारतीय प्रधानमंत्री होंगे। इससे पहले 1983 में इंदिरा गांधी और 2002 में अटल बिहारी वाजपेयी ने इस देश का दौरा किया था। भारत और साइप्रस के कूटनीतिक रिश्ते हमेशा मजबूत रहे हैं, लेकिन इतने उच्चस्तरीय दौरे बहुत कम हुए हैं। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 2018 में और विदेश मंत्री एस जयशंकर ने 2022 में साइप्रस का दौरा किया था। साइप्रस में पीएम का शेड्यूल मोदी राजधानी निकोसिया में राष्ट्रपति निकोस क्रिस्टोडोलाइड्स से मुलाकात करेंगे। इसके अलावा लिमासोल में व्यापारिक नेताओं को संबोधित करेंगे। साइप्रस में 2015 तक 2700 भारतीय रहते थे। एक अनुमान के मुताबिक, 10 साल में यह संख्या बढ़कर 4 हजार हो गई है। पीएम की यात्रा के 4 मकसद, चीन और तुर्किये को संदेश 1. IMEC कॉरिडोर में भागीदारी: साइप्रस भारत-मध्य पूर्व-यूरोप कॉरिडोर (IMEC) का हिस्सा है। इस प्रोजेक्ट के जरिए भारत से यूरोप तक ऊर्जा और व्यापारिक रिश्ते मजबूत होंगे। इसमें यूएई, सऊदी अरब, इजराइल और यूरोपीय संघ के देश शामिल हैं। अमेरिका ने भी इस पहल को चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) के जवाब में समर्थन दिया है। वहीं, साइप्रस और ग्रीस ने मिलकर इस साल ‘ग्रीस-इंडिया बिजनेस काउंसिल’ की शुरुआत की है। 2. पाकिस्तान का साथ देने पर तुर्किये को संदेश: तुर्किये और साइप्रस के बीच 1974 से विवाद चल रहा है। तुर्किये ने 1974 में साइप्रस के एक भाग पर अवैध कब्जा करके नॉर्थ साइप्रस नाम दिया था। वह लगातार पाकिस्तान के साथ मिलकर ‘नॉर्थ साइप्रस’ को मान्यता दिलाने की कोशिश कर रहा है। पाकिस्तान ने भी हाल ही में कश्मीर के मुद्दे पर ‘नॉर्थ साइप्रस’ का जिक्र किया, जिससे साइप्रस सरकार नाराज है। तुर्किये ने हाल ही में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के समय पाकिस्तान का समर्थन किया था। मोदी का दौरा इसी से जोड़कर देखा जा रहा है। 3. ऑपरेशन सुकून में साइप्रस ने साथ दिया: साइप्रस ने 2006 में लेबनान युद्ध के दौरान वहां फंसे भारतीयों को निकालने में अहम रोल निभाया था। इंडियन नेवी ने इसे 'ऑपरेशन सुकून' नाम दिया था। इसी तरह 2011 में लीबिया गृहयुद्ध के दौरान भारतीयों को बाहर निकालने में मदद की थी। इसे 'ऑपरेशन सेफ होमकमिंग' नाम दिया था। 4. कश्मीर मुद्दे पर भारत के साथ: साइप्रस 2026 में यूरोपीय यूनियन की परिषद की अध्यक्षता करने वाला है। साइप्रस ने कश्मीर मुद्दे पर हमेशा भारत का समर्थन किया है और POK से आने वाले आतंकवाद के खिलाफ भी EU में भारत के पक्ष में बात उठाने का वादा किया है। वहीं, भारत ने साइप्रस को 1960 में स्वतंत्रता मिलने के तुरंत बाद मान्यता दी थी। 1962 में राजनयिक रिश्ते बने। 5. UN और NSG में भारत का समर्थन: साइप्रस भारत की संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में स्थायी सदस्यता, न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रुप (NSG) और अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) सदस्यता के लिए खुलकर समर्थन करता आया है। वहीं, भारत ने हमेशा अलग-अलग इंटरनेशनल मंचों पर साइप्रस की संप्रभुता और तुर्किये के अवैध कब्जे वाले क्षेत्र के पुनर्मिलन का समर्थन किया है। भारतीय जनरल केएस थिम्मैया, पीएस ग्यानी और डीपी चंद UN शांति मिशन में कमांडर रहे। जनरल थिम्मैया का 1965 में साइप्रस में निधन हुआ था, उन्हें वहां बड़े सम्मान से याद किया जाता है। जानिए साइप्रस को, 1960 में आजाद हुआ था साइप्रस, पूर्वी भूमध्य सागर (मेडिटेरेनियन सी) पर ग्रीस के पूर्व, लेबनान, सीरिया और इस्राएल के पश्चिम, मिस्र के उत्तर और तुर्की के दक्षिण में स्थित एक यूरेशियन द्वीप देश है। इसकी राजधानी निकोसिया है। मिस्र से इसकी दूरी 300 किमी है। पहले यहां ब्रिटेन का शासन था। 16 अगस्त, 1960 को स्वतंत्र हुआ। साइप्रस 1974 में दो हिस्सों से बट गया। ग्रीस समर्थित तख्तापलट के बाद तुर्किये ने साइप्रस के उत्तरी हिस्से पर हमला कर कब्जा कर लिया था। ईसाई बहुल दक्षिणी हिस्से पर ग्रीस का प्रभाव है। हालांकि उत्तरी हिस्से में मौजूद सरकार को सिर्फ तुर्किये मान्यता देता है। 16-17 जून: कनाडा में G7, मोदी लगातार छठी बार शामिल होंगे G7 समिट कनाडा के अल्बर्टा प्रांत के कनानास्किस में 15 से 17 जून तक होगा। भारत को यह न्योता समिट शुरू होने के ठीक 8 दिन पहले मिला है। कई मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया था कि कनाडा इस समिट को लिए भारत को न्योता नहीं भेज रहा है। 7 मई को प्रधानमंत्री मार्क कार्नी ने पीएम मोदी को फोन कर समिट के लिए बुलाया। भारत-कनाडा संबंधों में खटास क्यों आई 2023 में कनाडा के तत्कालीन प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने यह कहकर विवाद खड़ा कर दिया था कि खालिस्तान आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत सरकार के एजेंटों की भूमिका हो सकती है। भारत ने इन आरोपों को बेहूदा और राजनीति से प्रेरित कहकर सिरे से खारिज कर दिया था। इसके बाद दोनों देशों ने अपने राजनयिक संबंधों को डाउनग्रेड कर लिया था। कनाडा में खालिस्तान समर्थक, नहीं चाहते दोनों देशों के रिश्ते सुधरे पूरे कनाडा में 7 लाख से ज्यादा सिख रहते हैं। भारत के बाद सबसे ज्यादा सिख यहीं हैं। कनाडा की सरकारों में खालिस्तानी मूवमेंट को सपोर्ट करने वाले मंत्री मौजूद हैं। कनाडा में भारत का विरोध करने वाली एक बड़ी लॉबी है, जो नहीं चाहती कि भारत-कनाडा के संबंध बेहतर हों। JNU में इंटरनेशनल रिलेशंस के प्रोफेसर एके पाशा के मुताबिक, 'इसी लॉबी ने कनाडा की सरकार पर दबाव डाला कि पीएम मोदी को समिट में न बुलाया जाए। कनाडा में अभी भी खालि

मोदी 3 देशों के दौरे पर रवाना, पहले साइप्रस जाएंगे:इंदिरा, अटल के बाद साइप्रस जाने वाले तीसरे भारतीय PM; कनाडा में G7 समिट में शामिल होंगे
Breaking News, Daily Updates & Exclusive Stories - dharmyuddh
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार को तीन देशों की यात्रा पर रवाना हो गए हैं, जो चार दिनों तक चलेगी। इस यात्रा की शुरुआत साइप्रस से होगी, उसके बाद कनाडा और अंत में क्रोएशिया का दौरा किया जाएगा। इस अद्वितीय दौरे के दौरान, पीएम मोदी लगभग 27,745 किलोमीटर का सफर तय करेंगे। विदेश मंत्रालय के अनुसार, पीएम 15 और 16 जून को साइप्रस में रहेंगे, जबकि 16 और 17 जून को कनाडा में G7 शिखर सम्मेलन में शामिल होंगे। वे 18 जून को क्रोएशिया जाएंगे और 19 जून को भारत वापस लौटेंगे।
साइप्रस जाने वाले तीसरे भारतीय पीएम
प्रधामंत्री मोदी साइप्रस जाने वाले तीसरे भारतीय प्रधानमंत्री बनेंगे। इससे पहले, इंदिरा गांधी ने 1983 में और अटल बिहारी वाजपेयी ने 2002 में इस देश का दौरा किया था। भारत और साइप्रस के बीच कूटनीतिक संबंध हमेशा मजबूत रहे हैं, लेकिन इतने उच्चस्तरीय दौरे कम ही होते हैं। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 2018 में और विदेश मंत्री एस जयशंकर ने 2022 में साइप्रस का दौरा किया था।
प्रधानमंत्री का दौरा और उसका महत्व
पीएम मोदी का शेड्यूल बेहद महत्वपूर्ण है: वे राजधानी निकोसिया में राष्ट्रपति निकोस क्रिस्टोडोलाइड्स से मुलाकात करेंगे और लिमासोल में व्यापारिक नेताओं को संबोधित करेंगे। विशेष रूप से, 2015 में साइप्रस में लगभग 2,700 भारतीय निवास करते थे, जो अब एक अनुमान के अनुसार बढ़कर 4,000 हो गए हैं।
यात्रा के चार प्रमुख उद्देश्य
इस यात्रा के चार प्रमुख उद्देश्य हैं, जिनमें चीन और तुर्की को संदेश देना शामिल है:
- IMEC कॉरिडोर में भागीदारी: साइप्रस भारत-मध्य पूर्व-यूरोप कॉरिडोर का हिस्सा है। अमेरिका ने इस पहल को चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) के जवाब में समर्थन दिया।
- तुर्की को पाकिस्तान का साथ देने पर संदेश: तुर्की ने साइप्रस के एक भाग पर अवैध कब्जा कर रखा है। पीएम मोदी का दौरा इसी संदर्भ में महत्वपूर्ण है।
- साइप्रस का भारत के साथ सहयोग: साइप्रस ने 2006 में 'ऑपरेशन सुकून' में भारतीयों को निकालने में मदद की थी।
- कश्मीर मुद्दे पर समर्थन: साइप्रस ने हमेशा भारत का समर्थन किया है और यूएन में भारत की स्थिति को मजबूत करने का वादा किया है।
कनाडा में G7 सम्मेलन
16 और 17 जून को आयोजित होने वाले G7 समिट में पीएम मोदी लगातार छठी बार भाग लेंगे। इस समिट को लेकर कई मीडिया रिपोर्ट्स ने सुझाव दिया था कि कनाडा इस बार भारत को न्योता नहीं देगा, लेकिन अंततः मोदी को यहां आमंत्रित किया गया। कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी ने पीएम मोदी को फोन कर इस शिखर सम्मेलन के लिए बुलाया।
भारत-कनाडा के संबंधों में खटास
कनाडा में भारतीय वाणिज्य एवं व्यापार से संबंधित मुद्दों पर छिड़ी खटास की वजहें भी हैं। 2023 में कनाडा के पूर्व प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने विवाद खड़ा करते हुए आरोप लगाया था कि खालिस्तान आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत का हाथ हो सकता है। इसे भारत ने सिरे से खारिज कर दिया था।
निष्कर्ष
पीएम मोदी का यह दौरा न केवल भारत की कूटनीतिक नजरियों को मजबूत करेगा, बल्कि यह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत के अस्तित्व को भी उजागर करेगा। इस यात्रा के दौरान जिन मुद्दों पर चर्चा होगी, उनका न केवल वर्तमान में बल्कि भविष्य में भी गहरा प्रभाव पड़ेगा।
इस प्रकार, मोदी की यात्रा भारत के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर है, जो न केवल द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करेगा बल्कि वैश्विक मंचों पर भारत की उपस्थिति को भी बढ़ाएगा।
जानकरियां जुटाते रहिए, और अधिक अपडेट्स के लिए, विजिट करें: dharmyuddh