छत्तीसगढ़: 10 दिन से बिजली गुल, ट्रांसफार्मर के खराब होने से ग्रामीणों में आक्रोश

एफएनएन, बिलासपुर : मस्तूरी क्षेत्र के ग्राम पंचायत कछार में पिछले 10 दिनों से बिजली समस्या ने ग्रामीणों की जिंदगी मुश्किल कर दी है। कलमाही तालाब के पास लगे 63 केवी का ट्रांसफार्मर खराब हो जाने के बाद से गांव अंधेरे में डूबा हुआ है। स्थिति यह है कि पीने के पानी से लेकर खेतों की […] The post Chhattisgarh: ट्रांसफार्मर खराब, 10 दिन से बिजली गुल – बिजली विभाग पर ग्रामीणों का घेराव appeared first on Front News Network.

छत्तीसगढ़: 10 दिन से बिजली गुल, ट्रांसफार्मर के खराब होने से ग्रामीणों में आक्रोश
एफएनएन, बिलासपुर : मस्तूरी क्षेत्र के ग्राम पंचायत कछार में पिछले 10 दिनों से बिजली समस्या ने ग्रा�

छत्तीसगढ़: 10 दिन से बिजली गुल, ट्रांसफार्मर के खराब होने से ग्रामीणों में आक्रोश

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कम शब्दों में कहें तो, छत्तीसगढ़ के मस्तूरी क्षेत्र के ग्राम पंचायत कछार में बिजली संकट ने स्थानीय निवासियों के जीवन को गंभीरता से प्रभावित किया है। पिछले 10 दिनों से बिजली बंद है, जिसके चलते ग्रामीणों को पीने का पानी और कृषि कार्य में गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।

बिलासपुर स्थित मस्तूरी क्षेत्र के कछार गांव में कलमाही तालाब के पास लगे 63 केवी के ट्रांसफार्मर के खराब होने के बाद से स्थितियां बिगड़ गई हैं। इस ट्रांसफार्मर की खराबी ने पूरे गांव को अंधकार में धकेल दिया है, जिससे लोगों की रोजमर्रा की जिंदगी पर असर पड़ा है। यह समस्या इतनी गंभीर है कि न केवल बिजली, बल्कि पेयजल और खेतों की सिंचाई भी प्रभावित हो रही है।

गांव में बिजली संकट का प्रदूषण

ग्राम पंचायत के सैकड़ों ग्रामीण सोमवार को मस्तूरी बिजली कार्यालय के बाहर जमा हुए और अपना विरोध जताते हुए घेराव किया। उनका मांग है कि जल्द ही 100 केवी का नया ट्रांसफार्मर स्थापित किया जाए। ग्रामीणों का कहना है कि बिजली न होने की वजह से उनकी जीवनशैली और कृषि पर प्रभाव पड़ रहा है, जिससे उन्हें काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

ट्रांसफार्मर की खराबी से संकट की स्थिति

इस प्रदर्शन में सरपंच प्रतिनिधि कमल भार्गव, उपसरपंच रामेश्वर खैरवार और जिला पंचायत सभापति प्रतिनिधि चंद्रप्रकाश सूर्या भी शामिल हुए। उन्होंने बताया कि ट्रांसफार्मर में आई खराबी और केबल जलने के कारण किसानों के पंपों की कार्यशीलता बाधित हो गई है। इससे धान की फसल को नुकसान होने की आशंका है, जो ग्रामीणों के लिए एक गंभीर समस्या बन गई है।

प्रशासन की लापरवाही पर सवाल

ग्रामीणों का कहना है कि जब उन्होंने अपने मुद्दों को लेकर जूनियर इंजीनियर (जेई) हिमांशी मेहर से संपर्क किया, तो उन्होंने उन्हें गंभीरता से नहीं लिया। ग्रामीणों का आरोप है कि जेई ने उनकी कठिनाईयों को नजरअंदाज करते हुए कोई सहानुभूति नहीं दिखाई। जेई का कहना है कि समस्या का समाधान कार्य प्रगति पर है, परंतु ग्रामीण इस उत्तर से संतुष्ट नहीं हैं।

ग्रामीणों की नाराजगी और समस्या का समाधान

स्थानीय निवासियों का कहना है कि यदि उनकी समस्याओं का जल्द समाधान नहीं हुआ, तो वे और भी कड़े उपाय अपनाने के लिए मजबूर होंगे। यह स्पष्ट है कि ऐसी स्थितियों में प्रशासन को ग्रामीणों की आवाज़ को सुनना और उनके मुद्दों का तत्काल समाधान करना चाहिए। यदि बिजली विभाग ने समय पर कार्रवाई नहीं की, तो यह समस्या और भी बढ़ सकती है।

फिलहाल, इस संकट से एकजुट होकर निपटने के लिए ग्रामीणों की योजनाएं दर्शाती हैं कि सामूहिक प्रयास महत्वपूर्ण हैं। सभी लोगों की आवाज सुनने की आवश्यकता है ताकि गांवों की समस्याओं का शीघ्र समाधान किया जा सके। यह स्थिति केवल कछार गांव की नहीं, बल्कि और भी कई अन्य क्षेत्रों में बिजली संकट का बड़ा मुद्दा बन चुकी है। ऐसे में बिजली विभाग को अपनी जिम्मेदारियों को भलीभांति निभाना होगा और तत्परता से कार्रवाई करनी पड़ेगी।

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