भारत के अंतरिक्ष मिशन की नई ऊँचाई: शुभांशु शुक्ला ने साझा की अपनी चुनौतियाँ
KNEWS DESK- भारत ने अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में एक और ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है। ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर पहुंचकर इतिहास रच दिया…

‘अंतरिक्ष में पैरों को बांधकर बात कर रहा हूं’, शुभांशु शुक्ला ने PM मोदी से साझा की स्पेस मिशन की चुनौतियां
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KNEWS DESK- भारत ने अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में एक और ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है। ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर पहुंचकर इतिहास रच दिया, जहां उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ बातचीत की। उन्होंने इस दौरान अंतरिक्ष में काम करने की चुनौतियों और अनुभवों के बारे में चर्चा की।
शुभांशु शुक्ला का अंतरिक्ष अनुभव
ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने अपने अद्वितीय अनुभव को साझा करते हुए कहा, “अंतरिक्ष में पैरों को बांधकर बात कर रहा हूं।” यह वाक्य उनके द्वारा अनुभव किए गए शून्य गुरुत्वाकर्षण के वातावरण को दर्शाता है। उन्होंने यह भी बताया कि कैसे उन्हें मानसिक और शारीरिक चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।
चुनौतियाँ और समाधान
शुभांशु के अनुसार, अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर कार्य करते समय कई तकनीकी और मानसिक चुनौतियाँ सामने आती हैं। ऑक्सीजन की कमी और शून्य गुरुत्वाकर्षण हमारे शरीर पर नकारात्मक प्रभाव डालते हैं, वही दैनिक दिनचर्या में बदलाव से मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित हो सकता है। उन्होंने इस चुनौती का सामना करने के लिए वैज्ञानिक और स्वास्थ्य संबंधी प्रोटोकॉल का पालन करने की आवश्यकता पर जोर दिया।
शुभांशु ने बताया कि उनकी टीम लगातार अध्ययन और प्रयोगों के माध्यम से इन समस्याओं का समाधान खोजने में लगी हुई है। उन्होंने युवा पीढ़ी को प्रेरित करने के लिए सरकार के प्रयासों की प्रशंसा भी की है, ताकि वे भविष्य में विज्ञान के क्षेत्र में आगे बढ़ सकें।
भारत का अंतरिक्ष विज्ञान में योगदान
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुभांशु के अनुभव सुनकर कहा कि भारत एक उभरती हुए शक्ति के रूप में अंतरिक्ष मिशनों में अपने योगदान को बढ़ाता रहे। यह न केवल देश को वैश्विक मंच पर मान्यता दिलाता है, बल्कि युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत भी बनता है। मोदी ने कहा कि इस प्रकार के मिशनों से हमारे वैज्ञानिक और इंजीनियर अपनी क्षमताओं को बढ़ा सकते हैं, जो कि भविष्य में नई तकनीकों और आविष्कारों का रास्ता प्रशस्त करेंगी।
निष्कर्ष
शुभांशु शुक्ला का अंतरिक्ष मिशन वास्तव में भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। उनके अनुभव नई पीढ़ी के छात्रों और शोधकर्ताओं के लिए प्रेरणादायक हैं। जैसे-जैसे भारत अंतरिक्ष में अपनी उपस्थिति को बढ़ा रहा है, हमें अपनी वैज्ञानिक एवं तकनीकी प्रयासों में आगे बढ़ने की आवश्यकता है। यह कहानियाँ हमें प्रदर्शन की दिशा में प्रेरित करती हैं।
कम शब्दों में कहें तो, शुभांशु शुक्ला का अनुभव हमें दिखाता है कि भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम में विज्ञान की दुनिया के लिए कितनी संभावनाएं हैं। अधिक अपडेट के लिए, यहाँ क्लिक करें।
सादर, टीम धर्म युद्ध, (नेहा शर्मा)