‘हर किसी को अपने लिए भी वक्त चाहिए’…सोनाक्षी सिन्हा ने दीपिका पादुकोण की 8 घंटे की शिफ्ट की मांग का किया समर्थन
KNEWS DESK – फिल्म इंडस्ट्री में शूटिंग शेड्यूल को लेकर एक नई बहस छिड़ गई है। हाल ही में अभिनेत्री दीपिका पादुकोण द्वारा निर्देशक संदीप रेड्डी वांगा की फिल्म ‘स्पिरिट’…

‘हर किसी को अपने लिए भी वक्त चाहिए’…सोनाक्षी सिन्हा ने दीपिका पादुकोण की 8 घंटे की शिफ्ट की मांग का किया समर्थन
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KNEWS DESK – फिल्म इंडस्ट्री में शूटिंग शेड्यूल को लेकर एक नई बहस छिड़ गई है। हाल ही में अभिनेत्री दीपिका पादुकोण द्वारा निर्देशक संदीप रेड्डी वांगा की फिल्म ‘स्पिरिट’ में काम करने के दौरान 8 घंटे की शिफ्ट की मांग करने पर कई चर्चा हुई है। इस मुद्दे पर सोनाक्षी सिन्हा ने भी अपनी राय रखी है और दीपिका के समर्थन में खड़ी हुई हैं।
क्यों है यह मांग?
दीपिका पादुकोण ने फिल्म के चलते लंबे समय तक काम करने से स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों की ओर ध्यान आकर्षित किया। उन्होंने कहा कि सभी कलाकारों को अपने काम के अलावा अपनी व्यक्तिगत ज़िंदगी के लिए भी समय चाहिए। 8 घंटे की शिफ्ट का मतलब है कि कलाकारों के पास अपने लिए कुछ समय होगा, जिससे वे अपनी मानसिक और शारीरिक सेहत का ख्याल रख सकें। ये सवाल फिल्म इंडस्ट्री की कार्यशैली पर उठती हैं, जो अक्सर लंबे समय तक काम करने की अपेक्षा करती है।
सोनाक्षी का समर्थन
सोनाक्षी सिन्हा ने दीपिका की मांग का समर्थन किया है। उन्होंने कहा, "हर किसी को अपने लिए वक्त चाहिए। यह सिर्फ हमें ही नहीं, बल्कि सभी पेशेवरों के लिए महत्वपूर्ण है।" उनका मानना है कि कलाकारों को काम के साथ-साथ अपना व्यक्तिगत जीवन भी जीने का अधिकार होना चाहिए। यह कथन फिल्म इंडस्ट्री में काम करने वाले सभी लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण संदेश है।
फिल्म इंडस्ट्री में बदलाव की आवश्यकता
यह चर्चा यह भी दिखाती है कि कैसे बॉलीवुड में काम करने की प्रक्रिया को अधिक मानव केंद्रित बनाया जा सकता है। फिल्म इंडस्ट्री में मानसिक स्वास्थ्य और काम के घंटों के मुद्दे को अधिक गंभीरता से लेना चाहिए। एक स्वस्थ कार्य संस्कृति न केवल कलाकारों के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि फिल्म की गुणवत्ता में भी सुधार कर सकती है।
विभिन्न लोगों की प्राथमिकताएँ और कार्य प्रणाली भिन्न होती हैं, लेकिन एक संतुलित जीवन जीना सभी के लिए आवश्यक है। इस मुद्दे पर सोनाक्षी और दीपिका जैसे कलाकारों की पहलकदमी निश्चित रूप से अन्य लोगों को प्रेरित करेगी कि वे अपने अधिकारों के लिए आवाज उठाएँ।
निष्कर्ष
बॉलीवुड में काम करने वाले कलाकारों ने लंबे समय तक कड़ी मेहनत की है, और अब समय आ गया है कि वे अपनी जरूरतों के लिए खड़े हों। यह सिर्फ एक पेशेवर आवश्यकता नहीं है, बल्कि मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य का भी विषय है। सोनाक्षी सिन्हा का समर्थन कम्युनिटी की ओर से एक सकारात्मक कदम है, जो बातचीत को आगे बढ़ाता है। हमें उम्मीद है कि फिल्म इंडस्ट्री में एक स्वस्थ कार्य संस्कृति का विकास होगा।
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