10 साल में सैलरी 1.26 करोड़, संपत्ति 8 करोड़ की:पूर्व IRS अफसर पर CBI का शिकंजा; जानिए 14 सम्पत्तियों की कीमत
इनकम टैक्स विभाग में पूर्व अपर आयुक्त अमित निगम अब CBI के रडार पर हैं। गाजियाबाद स्थित CBI की विशेष अदालत ने आय से अधिक संपत्ति मामले में उनकी 7.5 करोड़ रुपए से ज्यादा की अचल संपत्तियों को अड-इंटरिम ऑर्डर के तहत अटैच करने का आदेश दिया है। CBI जांच में यह खुलासा हुआ है कि अमित निगम को 10 वर्षों में 1.26 करोड़ रुपए सैलरी मिली और उन्होंने 8 करोड़ रुपए से अधिक की संपत्ति बना ली। उनमें से 14 संपत्तियां बेनामी हैं और इनका जाल लखनऊ, गाजियाबाद, हरदोई, बाराबंकी और गोवा तक फैला है। कौन हैं अमित निगम? अमित निगम भारतीय राजस्व सेवा (IRS) के अधिकारी रहे हैं। उन्होंने 2008 से 2018 तक मुरादाबाद, दिल्ली और लखनऊ जैसे शहरों में उप आयुक्त, संयुक्त आयुक्त और अपर आयुक्त जैसे पदों पर तैनाती के दौरान अकूत संपत्ति अर्जित की। CBI की FIR के अनुसार, निगम ने सरकारी पद का दुरुपयोग कर 7.52 करोड़ रुपए की अवैध संपत्ति इकट्ठी की, जो उनकी वैध आय से 6 गुना ज्यादा है। CBI ने उनके खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा 13(2) R/W 13(1)(e) के तहत केस दर्ज किया है। मामले की जांच गाजियाबाद CBI के डीएसपी कमल प्रकाश शर्मा को सौंपी गई है। लखनऊ में कहां-कहां और कितनी संपत्ति? CBI की चार्जशीट के अनुसार, लखनऊ में अमित निगम और उनके परिजनों के नाम कम से कम चार प्रमुख संपत्तियां हैं, जिनकी कुल कीमत करीब 8 करोड़ रुपए है। इनमें शामिल हैं... D-5, केंद्रीय विहार, सेक्टर-6, जानकीपुरम आम्रपाली योजना, लखनऊ-हरदोई रोड B-2470, इंदिरानगर C-2024, इंदिरानगर बाकी संपत्तियों का फैलाव जहांगीरपुरी, दिल्ली पारिवारिक बैकग्राउंड और रणनीति CBI को शक है कि अमित निगम ने पत्नी डॉली निगम और कुछ अन्य रिश्तेदारों के नाम पर संपत्ति खरीद कर अपने स्रोतों को छिपाने की कोशिश की। लखनऊ की दोनों कोठियों को भी पत्नी के नाम पर खरीदा गया, जो खुद डॉक्टर हैं। यह भी माना जा रहा है कि इन संपत्तियों की खरीद-फरोख्त के लिए फर्जी कंपनियों और शेल खातों का इस्तेमाल किया गया। CBI की जांच जारी, और खुलासों की उम्मीद है। CBI का कहना है कि ये सिर्फ शुरुआती आंकड़े हैं। जांच में कई अन्य संपत्तियों, लेन-देन और संभावित हवाला कनेक्शन का भी खुलासा हो सकता है। कोर्ट ने इन संपत्तियों को फिलहाल अस्थायी रूप से अटैच कर लिया है। -------------------- यह खबर भी पढ़िए... लखनऊ में IRS गौरव गर्ग के बयान दर्ज:पुलिस ने घटनास्थल का निरीक्षण किया, CCTV फुटेज खंगाले; अहम साक्ष्य मिले आयकर विभाग के डिप्टी कमिश्नर गौरव गर्ग और जॉइंट कमिश्नर योगेन्द्र मिश्रा के बीच 29 मई को हुए विवाद मामले में पुलिस ने जांच तेज कर दी है। हजरतगंज पुलिस ने बुधवार को डिप्टी कमिश्नर गौरव गर्ग के बयान... पूरी खबर पढ़ें

10 साल में सैलरी 1.26 करोड़, संपत्ति 8 करोड़ की: पूर्व IRS अफसर पर CBI का शिकंजा; जानिए 14 सम्पत्तियों की कीमत
Breaking News, Daily Updates & Exclusive Stories - dharmyuddh
इनकम टैक्स विभाग में पूर्व अपर आयुक्त अमित निगम अब CBI के रडार पर हैं। गाजियाबाद स्थित CBI की विशेष अदालत ने आय से अधिक संपत्ति मामले में उनकी 7.5 करोड़ रुपए से ज्यादा की अचल संपत्तियों को अड-इंटरिम ऑर्डर के तहत अटैच करने का आदेश दिया है। यह मामला उन्हें तब से कड़ी चुनौती देने वाला बन गया है जब से उनके वेतन और संपत्तियों के आंकड़े सामने आए हैं।
भ्रष्टाचार का आरोप
पिछले 10 वर्षों में, अमित निगम ने 1.26 करोड़ रुपए की सैलरी प्राप्त की, जबकि उनकी कुल संपत्तियां 8 करोड़ रुपए से अधिक की हो गईं। CBI जांच में यह खुलासा हुआ है कि इनमें से 14 संपत्तियां बेनामी हैं और इनका जाल लखनऊ, गाजियाबाद, हरदोई, बाराबंकी, और गोवा तक फैला हुआ है। CBI ने उनके खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा के तहत मामला दर्ज किया है।
कौन हैं अमित निगम?
अमित निगम एक पूर्व भारतीय राजस्व सेवा (IRS) के अधिकारी हैं। उन्होंने 2008 से 2018 तक कई प्रमुख शहरों जैसे मुरादाबाद, दिल्ली और लखनऊ में उप आयुक्त, संयुक्त आयुक्त और अपर आयुक्त जैसे पदों पर कार्य किया। उनके काम के दौरान, जिन संपत्तियों का निर्माण हुआ, वह उनकी वैध आय से 6 गुना ज्यादा है। CBI ने इस मामले को गंभीरता से लिया है और जांच की जिम्मेदारी गाजियाबाद CBI के डीएसपी कमल प्रकाश शर्मा को सौंपी गई है।
लखनऊ में संपत्तियों की स्थिति
CBI की चार्जशीट के अनुसार, लखनऊ में अमित निगम और उनके परिवार के सदस्यों के नाम पर कम से कम चार प्रमुख संपत्तियां स्थित हैं जिनकी कुल कीमत लगभग 8 करोड़ रुपए है। इनमें शामिल हैं:
- D-5, केंद्रीय विहार, सेक्टर-6, जानकीपुरम
- आम्रपाली योजना, लखनऊ-हरदोई रोड
- B-2470, इंदिरानगर
- C-2024, इंदिरानगर
इन संपत्तियों की खरीद में नियोजित पारिवारिक बैकग्राउंड और वित्तीय रणनीतियों का एक महत्वपूर्ण रोल है। CBI का मानना है कि अमित निगम ने अपनी पत्नी डॉली निगम और कुछ अन्य रिश्तेदारों के नाम पर संपत्तियां खरीदने के जरिए अपनी वित्तीय स्रोतों को छिपाने की कोशिश की है।
अगले कदम और संभावित खुलासे
CBI की जांच जारी है, और उम्मीद की जा रही है कि इसमें कई अन्य संपत्तियों और लेन-देन का भी खुलासा हो सकता है। CBI का कहना है कि यह सिर्फ शुरुआती आंकड़े हैं, और जांच में संभावित हवाला कनेक्शन भी सामने आ सकते हैं। अदालत ने इन संपत्तियों को फिलहाल अस्थायी रूप से अटैच कर दिया है।
किस प्रकार की संपत्ति बनते हैं और कैसे अधिकारी इनका अधिग्रहण करते हैं, यह एक महत्वपूर्ण सवाल है जो इस मामले में उठता है। कानूनी प्रक्रिया और जांच की दिशा में क्या कदम उठाए जाएंगे, यह देखने की बात है।
For more updates, visit dharmyuddh.com
इन घटनाओं से यह स्पष्ट होता है कि सरकारी अधिकारी पर होते दबाव और सैलरी के आंकड़े क्या जवाबदेही का संकेत देते हैं। जबकि सरकारी तंत्र में ऐसे कई बड़े मामले सामने आते हैं, यह मामला एक बार फिर हमें बताएंगा कि एक ईमानदार प्रशासन का क्या मूल्य है।