कांग्रेस-AAP गठबंधन होता तो I.N.D.I.A 12 सीटें और जीत जाती:केजरीवाल 4089 वोट से हारे, संदीप दीक्षित 4568 वोट लाए; विपक्ष में फूट से हुए नुकसान की पड़ताल

इलेक्शन कमीशन ऑफ इंडिया के मुताबिक, भाजपा को 45.97% वोट मिले हैं। वहीं AAP को भाजपा से 2.31% कम 43.66% वोट मिले हैं। कांग्रेस ने 6.39% वोट हासिल किया है। अगर दिल्ली में I.N.D.I.A. गठबंधन होता तो आम आदमी पार्टी के जीतने की संभावना बढ़ जाती। 12 सीटें जहां कांग्रेस की वजह से AAP हारी … नई दिल्ली: सीट से भाजपा उमीदवार प्रवेश वर्मा को 30,0,88 वोट मिले हैं। उन्होंने केजरीवाल को 4089 वोटों से हराया है। वहीं, कांग्रेस उमीदवार संदीप दीक्षित को सिर्फ 4568 वोट मिले हैं। अगर इस सीट से कांग्रेस अपना उम्मीदवार नहीं उतारती तो केजरीवाल जीत सकते थे। जंगपुरा: भाजपा कैंडिडेट तरविंदर सिंह मारवाह को 38,859 वोट मिले हैं। उन्होंने AAP उम्मीदवार मनीष सिसोदिया को सिर्फ 675 वोटों से हराया है। कांग्रेस उम्मीदवार फरहाद सूरी को यहां से 7350 वोट मिले हैं। ग्रेटर कैलाश: भाजपा कैंडिडेट शिखा रॉय को 49, 594 वोट मिले हैं। उन्होंने AAP उम्मीदवार सौरभ भारद्वाज को 3188 वोटों से हराया है। कांग्रेस उम्मीदवार गर्वित सिंघवी को यहां से 6711 वोट मिले हैं। राजिंदर नगर: भाजपा कैंडिडेट उमंग बजाज को 46,671 वोट मिले हैं। उन्होंने AAP उम्मीदवार दुर्गेश पाठक को महज 1231 वोटों से हराया है। जबकि कांग्रेस उम्मीदवार विनीत यादव को इस सीट से 4015 वोट मिले हैं। संगम विहार: भाजपा कैंडिडेट चंदन कुमार चौधरी को 54,049 वोट मिले हैं। उन्होंने AAP उम्मीदवार दिनेश मोहनिया को महज 344 वोटों से हराया है। जबकि कांग्रेस उम्मीदवार हर्ष चौधरी को इस सीट से 15, 863 वोट मिले हैं। तिमारपुर: भाजपा कैंडिडेट सूर्य प्रकाश खत्री को 50,429 वोट मिले हैं। उन्होंने AAP उम्मीदवार सुरिंदर पाल सिंह (बिट्टू) को महज 969 वोटों से हराया है। जबकि कांग्रेस उम्मीदवार लोकेन्द्र कल्याण सिंह को इस सीट से 7827 वोट मिले हैं। त्रिलोकपुरी: भाजपा कैंडिडेट रवि कांत को 58217 वोट मिले हैं। उन्होंने AAP उम्मीदवार अंजना पारचा को 392 वोटों से हराया है। कांग्रेस उम्मीदवार अमरदीप को इस सीट से 6147 वोट मिले हैं। बादली सीट: भाजपा कैंडिडेट अहीर दीपक चौधरी को 46129 वोट मिले हैं। उन्होंने AAP उम्मीदवार अजेश यादव को 10461 वोटों से हराया है। कांग्रेस उम्मीदवार को इस सीट से 31,130 वोट मिले हैं। छतरपुर सीट: भाजपा कैंडिडेट करतार सिंह तंवर को 80,469 वोट मिले हैं। उन्होंने AAP उम्मीदवार ब्रह्म सिंह तंवर को 6239 वोटों से हराया है। कांग्रेस उम्मीदवार राजेंद्र सिंह तंवर को इस सीट से 6601 वोट मिले हैं। मादीपुर: भाजपा कैंडिडेट कैलाश गंगवाल को 52,019 वोट मिले हैं। उन्होंने AAP उम्मीदवार राखी बिड़ला को 10,899 वोटों से हराया है। जबकि कांग्रेस उम्मीदवार जे.पी.पंवार को इस सीट से 17,958 वोट मिले हैं। मालवीय नगर: भाजपा कैंडिडेट सतीश उपाध्याय को 39, 564 वोट मिले हैं। उन्होंने AAP उम्मीदवार सोमनाथ भारती को 2131 वोटों से हराया है। जबकि कांग्रेस उम्मीदवार जीतेन्द्र कुमार कोचर को इस सीट से 6770 वोट मिले हैं। नांगलोई जाट: भाजपा कैंडिडेट मनोज कुमार शौकीन को 75,272 वोट मिले हैं। उन्होंने AAP उम्मीदवार रघुविंदर शौकीन को 26,251 वोटों से हराया है। जबकि कांग्रेस उम्मीदवार रोहित चौधरी को इस सीट से 32,028 वोट मिले हैं। ओवैसी ने मुस्तफाबाद सीट पर AAP का खेल बिगाड़ा मुस्लिम बहुल सीट मुस्तफाबाद भाजपा की झोली में चली गई है। यहां से भाजपा के मोहन सिंह बिष्ट ने आम आदमी पार्टी के अदील अहमद खान को 17 हजार 578 वोटों से हरा दिया है। इस सीट पर ओवैसी की पार्टी AIMIM से चुनाव लड़े ताहिर हुसैन ने आप का खेल बिगाड़ा है। उन्हें 3,3474 वोट मिले हैं। जबकि AAP कैंडिडेट राजेश गुप्ता 11425 वोटों से हारे हैं। अगर ओवैसी इस चुनाव में न आते तो ये सीट आप जीत सकती थी। दिल्ली में 27 साल बाद भाजपा को स्पष्ट बहुमत भाजपा ने दिल्ली में 27 साल बाद स्पष्ट बहुमत हासिल कर लिया है। चुनाव आयोग के मुताबिक, भाजपा 40 सीट जीती और 8 सीटों पर उसे बढ़त है यानी कुल 48 सीटें। आम आदमी पार्टी (AAP) भी 18 सीट जीती है, 4 सीटों पर आगे चल रही है यानी कुल 22 सीटें। कांग्रेस को एक भी सीट नहीं मिली है। भाजपा ने 1993 में 53 सीटें यानी दो तिहाई बहुमत हासिल किया था। 5 साल की सरकार में मदन लाल खुराना, साहिब सिंह वर्मा और सुषमा स्वराज सीएम बनाए गए थे। इस बदलाव में AAP के अरविंद केजरीवाल नई दिल्ली और सिसोदिया जंगपुरा से चुनाव हार गए। मुख्यमंत्री आतिशी कालकाजी सीट पर चुनाव जीत गई हैं। सत्येंद्र जैन भी चुनाव हार गए हैं। हार के बाद केजरीवाल बोले- हमें हार स्वीकार है। भाजपा को जीत की बधाई देता हूं। पूरी खबर पढ़ें... ये खबर भी पढ़ें ... केजरीवाल की हार की 11 वजह, BJP ने केजरीवाल को 'कट्टर बेईमान साबित किया', प्रवेश वर्मा को अघोषित CM बनाया तीन बार लगातार दिल्ली के मुख्यमंत्री रहे अरविंद केजरीवाल नई दिल्ली से चुनाव हार गए। डिप्टी CM रहे मनीष सिसोदिया भी अपनी सीट नहीं बचा पाए। 12 साल बाद आम आदमी पार्टी दिल्ली की सत्ता से बाहर होने जा रही है, लेकिन ये तख्तापलट कैसे हुआ? पूरी खबर पढ़ें...

कांग्रेस-AAP गठबंधन होता तो I.N.D.I.A 12 सीटें और जीत जाती:केजरीवाल 4089 वोट से हारे, संदीप दीक्षित 4568 वोट लाए; विपक्ष में फूट से हुए नुकसान की पड़ताल
इलेक्शन कमीशन ऑफ इंडिया के मुताबिक, भाजपा को 45.97% वोट मिले हैं। वहीं AAP को भाजपा से 2.31% कम 43.66% वोट मिले ह�

कांग्रेस-AAP गठबंधन होता तो I.N.D.I.A 12 सीटें और जीत जाती: केजरीवाल

राजनीति में गठबंधन अक्सर चुनाव परिणामों को प्रभावित करते हैं। हाल ही में, अरविंद केजरीवाल ने कहा कि यदि कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (AAP) के बीच गठबंधन होता, तो I.N.D.I.A विश्वसनीयता के साथ 12 और सीटें जीत सकती थी। यह बयान चुनावी परिणामों के संदर्भ में राजनीतिक परिप्रेक्ष्य के महत्व को दर्शाता है।

चुनाव में केजरीवाल की हार का विश्लेषण

अरविंद केजरीवाल का चुनावी उच्चारण 4089 वोट से हंसता है। उनके खिलाफ समुदाय में एक मजबूत प्रतिरोध का सामना करना पड़ा, जिसने उनकी संभावनाओं को प्रभावित किया। वहीं, संदीप दीक्षित ने 4568 वोट प्राप्त किए, जो दर्शाता है कि उनके लिए एक स्थायी आधार बना था। यह परिणाम चुनावी रणनीतियों में बदलाव की आवश्यकता को उजागर करता है।

विपक्ष में फूट से नुकसान की पड़ताल

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि विपक्ष में फूट ने कांग्रेस और AAP दोनों के लिए चुनौतियाँ खड़ी कर दी हैं। गठबंधन न होने के कारण मतदाता वर्ग में विभाजन हुआ है, जिसने सत्ताधारी दलों के लिए मौके बनाए। ऐसे में यह सवाल उठता है कि क्या वास्तव में विपक्ष के एकजुट होने पर नतीजे बदल सकते थे।

भविष्य की रणनीतियाँ

कांग्रेस और AAP को भविष्य में रणनीतिक साझेदारी पर विचार करना चाहिए। इस गठबंधन की संभावना पर विचार करते हुए, दोनों पार्टियाँ एक साथ मिलकर मतदाता आधार को मजबूत कर सकती हैं। अन्यथा, विपक्ष को इसी तरह के नुकसान का सामना करना पड़ सकता है।

राजनीतिक पारिस्थितिकी में बदलाव तेजी से हो रहे हैं, और ऐसे में एकजुटता का महत्व और अधिक बढ़ जाता है। आने वाले चुनावों में सावधानी से रणनीतियाँ बनानी होंगी, ताकि आगे नुकसान से बचा जा सके।

विपक्ष की ताकत को सही दिशा में मोड़ने के लिए I.N.D.I.A गठबंधन की जरूरत और भी बढ़ गई है।

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