जातीय जनगणना से पहले अब जातियों की सूची बनेगी:सभी दलों की सहमति भी लेगी सरकार; SC-ST गिनती में हैं, लेकिन OBC जातियों पर असमंजस

जातीय जनगणना से पहले केंद्र सरकार जातियों की सूची बनाएगी, ताकि सुनियोजित डेटा जमा हो। जातियों पर राजनीतिक सहमति के लिए इसे सर्वदलीय बैठक में भी रखा जाएगा। राजनीतिक दलों के सुझावों-आपत्तियों के आधार पर सूची फाइनल होगी। गृह मंत्रालय और सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय की हाल में हुई बैठक में यह तय हुआ। जातीय जनगणना के लिए सामाजिक न्याय मंत्रालय समन्वयक रहेगा। जातियों की मान्य सूची जरूरी है, क्योंकि अनुसूचित जाति और जनजाति तो गिनती में हैं। लेकिन अन्य पिछड़े वर्ग की जातियों पर असमंजस है। देश में जनगणना की प्रक्रिया 2026 में शुरू होने की संभावना है। 2011 की जनगणना में जाति-उपजाति का आंकड़ा 46.73 लाख मिला था। यह अविश्वसनीय माना गया था। आखिरी जातीय जनगणना 1931 में हुई थी, जिसमें 4,147 जातियां बताई गई थीं। मंडल कमीशन ने 1980 में अनुमान लगाया था कि ओबीसी 52% हैं। अनुसूचित जाति में 28 राज्यों में 1109 जातियां हैं। अनुसूचित जनजाति में 705 जातियां हैं। सामान्य श्रेणी की जातियों की आबादी 30% और जातियों के बाहर मुस्लिम, ईसाई और अन्य वर्ग की आबादी 12.56% है। यह संख्या अनुमान और सर्वे आधारित हैं। केंद्र ने 30 अप्रैल को जाति जनगणना को मंजूरी दी थी केंद्रीय कैबिनेट ने 30 अप्रैल को जाति जनगणना को मंजूरी दी थी। देश में आजादी के बाद यह पहली बार होगा, जब जाति जनगणना कराई जाएगी। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया था कि इसे मूल जनगणना के साथ ही कराया जाएगा। देश में इसी साल के आखिर में बिहार विधानसभा के चुनाव होने हैं। ऐसे में कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दल जाति जनगणना कराने की मांग करते रहे हैं। कयास लगाए जा रहे हैं कि जाति जनगणना की शुरुआत सितंबर में की जा सकती है। हालांकि जनगणना की प्रोसेस पूरी होने में एक साल लगेगा। ऐसे में जनगणना के अंतिम आंकड़े 2026 के अंत या 2027 की शुरुआत में मिल सकेंगे। देश में पिछली जनगणना 2011 में हुई थी। इसे हर 10 साल में किया जाता है। इस हिसाब से 2021 में अगली जनगणना होनी थी, लेकिन कोविड-19 महामारी के कारण इसे टाल दिया गया था। जनगणना फॉर्म में 29 कॉलम, केवल SC-ST की डिटेल 2011 तक जनगणना फॉर्म में कुल 29 कॉलम होते थे। इनमें नाम, पता, व्यवसाय, शिक्षा, रोजगार और माइग्रेशन जैसे सवालों के साथ केवल SC और ST कैटेगरी से ताल्लुक रखने को रिकॉर्ड किया जाता था। अब जाति जनगणना के लिए इसमें एक्स्ट्रा कॉलम जोड़े जा सकते हैं। जातियों की गिनती के लिए एक्ट में संशोधन करना होगा जनगणना एक्ट 1948 में एससी- एसटी की गणना का प्रावधान है। ओबीसी की गणना के लिए इसमें संशोधन करना होगा। इससे ओबीसी की 2,650 जातियों के आंकड़े सामने आएंगे। 2011 की जनगणना के अनुसार, 1,270 एससी, 748 एसटी जातियां हैं। 2011 में एससी आबादी 16.6% और एसटी 8.6% थी। 2011 में सामाजिक-आर्थिक गणना हुई, आंकड़े जारी नहीं मनमोहन सिंह सरकार के दौरान 2011 में सामाजिक-आर्थिक और जातिगत जनगणना करवाई गई थी। इसे ग्रामीण विकास मंत्रालय, शहरी विकास मंत्रालय और गृह मंत्रालय ने करवाया था। हालांकि इस सर्वेक्षण के आंकड़े कभी भी सार्वजनिक नहीं किए गए। ग्रामीण विकास मंत्रालय की वेबसाइट पर इसके एससी-एसटी हाउसहोल्ड के आंकड़े ही जारी किए गए हैं। शाह ने कहा था- जनगणना 2025 में हो सकती है केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने अगस्त 2024 में कहा था कि जनगणना "उचित समय" पर होगी, और यह 2025 में शुरू हो सकती है, जिसमें डेटा 2026 तक प्रकाशित हो सकता है। राहुल जाति जनगणना कराने की मांग करते रहे हैं नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने 2023 में सबसे पहले जाति जनगणना की मांग की थी। इसके बाद वे देश-विदेश की कई सभाओं और फोरम पर केंद्र से जाति जनगणना कराने की मांग करते रहे हैं। नीचे ग्राफिक में देखें राहुल ने कब और कहां जाति जनगणना की मांग दोहराई... जातिगत जनगणना पर पार्टियों का स्टैंड जातिगत जनगणना की मांग कब-कब रही ====================== जाति जनगणना से जुड़ी ये खबरें भी पढ़ें जातिगत जनगणना के पीछे क्या है सियासी गणित, अचानक BJP क्यों हुई तैयार; 10 जरूरी सवालों के जवाब मोदी सरकार का जाति जनगणना कराने का फैसला चौंकाने वाला है, क्योंकि विपक्ष की मांग के बावजूद अब तक ‌BJP इसे टाल रही थी। इस घोषणा के बाद राहुल गांधी बोले- कहा था ना, मोदी जी को ‘जाति जनगणना’ करवानी ही पड़ेगी। जातिगत जनगणना कैसे और कब तक होगी , मोदी सरकार इसके लिए क्यों तैयार हुई। भास्कर एक्सप्लेनर में ऐसे 10 जरूरी सवालों के जवाब जानिए। पूरी खबर पढ़ें... लालू ने कहा-संघियों को अपने एजेंडे पर नचाता रहूंगा, जदयू बोली- नीतीश को मिले क्रेडिट केंद्र के जाति जनगणना कराने के फैसले पर बिहार में राजनीति शुरू हो गई है। सीएम नीतीश ने पीएम मोदी को थैंक्यू कहा है तो लालू यादव सरकार पर तंज कसा है। राजद सुप्रीमो लालू यादव ने कहा, 'जातिगत जनगणना की मूल पहल जनता दल की सरकार ने 1996-97 में की थी, जब वह राष्ट्रीय अध्यक्ष थे और देश में संयुक्त मोर्चा की सरकार सत्ता में थी।' पूरी खबर पढ़ें

जातीय जनगणना से पहले अब जातियों की सूची बनेगी:सभी दलों की सहमति भी लेगी सरकार; SC-ST गिनती में हैं, लेकिन OBC जातियों पर असमंजस
जातीय जनगणना से पहले केंद्र सरकार जातियों की सूची बनाएगी, ताकि सुनियोजित डेटा जमा हो। जातियों पर

जातीय जनगणना से पहले अब जातियों की सूची बनेगी: सभी दलों की सहमति भी लेगी सरकार; SC-ST गिनती में हैं, लेकिन OBC जातियों पर असमंजस

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नई दिल्ली: भारत की केंद्र सरकार ने जातीय जनगणना प्रक्रिया से पहले जातियों की मान्य सूची बनाने का निर्णय लिया है। यह निर्णय राजनीतिक दलों की सहमति के साथ ही किया जाएगा। यह पहल राजनीतिक सहमति सुनिश्चित करने के लिए सभी पार्टियों को एक मंच पर लाने की कोशिश है। यह कदम इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि अनुसूचित जनजातियों (SC) और अनुसूचित जातियों (ST) की गिनती तो पहले से हो रही है, लेकिन अन्य पिछड़े वर्गों (OBC) के प्रति स्पष्टता की आवश्यकता है।

जातियों की सूची: आवश्यक कदम

गृह मंत्रालय और सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय द्वारा हाल में हुई बैठक में यह तय किया गया कि जातियों की मान्य सूची बनाने के लिए विभिन्न राजनीतिक दलों के सुझावों और आपत्तियों को लिया जाएगा। इस प्रक्रिया के तहत, जातियों की सूची को अंतिम रूप दी जाएगी। इस सूची का महत्व इसलिए बढ़ जाता है क्योंकि पिछली जातीय जनगणना 1931 में हुई थी, जिसके बाद से देश में जातियों का विवरण में कमी आई है। यह नई सूची गिनती को व्यवस्थित और योजनाबद्ध बनाने में सहायक सिद्ध होगी।

जातीय जनगणना की प्रक्रिया

अगली जनगणना प्रक्रिया 2026 में शुरू होने की संभावना है, जिससे देश के विभिन्न वर्गों के बारे में साफ आंकड़े प्राप्त होंगे। पिछली जनगणना से पता चला था कि SC और ST की आबादी क्रमशः 16.6% और 8.6% है। इसके अलावा, कब और कैसे OBC की जातियों को शामिल करना है, इस पर भी असमंजस बना हुआ है। इससे पहले 2011 की जनगणना में जातियों के आंकड़े अविश्वसनीय संदर्भित किए गए थे।

राजनीतिक पृष्ठभूमि

भारत में जातियों की जनगणना के लिए विभिन्न राजनीतिक दलों के बीच लंबी बहस रही है। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने खुलासा किया कि जाति जनगणना मुख्य जनगणना के साथ ही आयोजित की जाएगी। हाल ही में कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों ने जातीय जनगणना कराने की मांग की थी। बिहार विधानसभा के चुनाव के नजदीक आते ही यह मुद्दा और भी प्रमुख हो गया है।

आने वाले समय के संकेत

केंद्र सरकार की इस पहल के पीछे कई ऐसे राजनीतिक और सामाजिक कारक हैं जो इसे महत्वपूर्ण बनाते हैं। एक ओर जहां OBC की जातियों की गणना को लेकर राजनीतिक सहमति बनाने की कोशिशें तेज हैं, वहीं दूसरी ओर 2021 में कोविड-19 महामारी के कारण जनगणना की प्रक्रिया में आई रुकावट से न्यूज़ चैनल्स और मीडिया में चर्चा का विषय बना रहेगा।

निष्कर्ष

जातीय जनगणना की यह नई पहल न केवल भारतीय राजनीति में हलचल मचाएगी, बल्कि विभिन्न जातियों के विकास और कल्याण में भी अहम भूमिका निभाएगी। हम सभी को उम्मीद है कि यह प्रक्रिया निष्पक्षता और पारदर्शिता के साथ आगे बढ़ेगी, जिससे अंतिम आंकड़ों में सुधार की संभावनाएँ बढ़ेंगी।

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