महाराष्ट्र में चुनावी फिक्सिंग के आरोप पर EC का जवाब:हमने कांग्रेस को बुलाया था, वो वक्त मांगने लगी; राहुल ने हमें खत नहीं लिखा
लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने पिछले साल नवंबर में हुए महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में धांधली के आरोप लगाने के 24 घंटे बाद भी चुनाव आयोग को कोई पत्र नहीं लिखा है। न ही बैठक के लिए समय मांगा है। यह बात चुनाव आयोग से जुड़े एक सोर्स ने न्यूज एजेंसी ANI को बताई। चुनाव आयोग ने कहा कि राहुल एक तरफ कहते हैं कि उनके बताए मुद्दे गंभीर हैं, लेकिन जब उन्हें चुनाव आयोग को लेटर लिखने की बात आती है, तो वे कतराते हैं। सूत्र के मुताबिक, प्रक्रिया के अनुसार कोई भी संवैधानिक संस्था औपचारिक रूप से तभी जवाब दे सकती है, जब राहुल गांधी से लेटर लिखेंगे। राहुल ने 7 जून इंडियन एक्सप्रेस को एक आर्टिकल लिखा था। इसमें उन्होंने दावा किया था था कि महाराष्ट्र चुनाव में मैच फिक्सिंग हुई, अब इसी तरह की फिक्सिंग बिहार चुनाव में भी होगी। राहुल ने आरोप लगाने के बाद EC से मांगा जवाब राहुल गांधी ने शनिवार को X पर लिखा था कि 'आप (चुनाव आयोग) एक संवैधानिक संस्था हैं। बिना साइन और टालमटोल वाले नोट जारी करके गंभीर सवालों के जवाब देने का तरीका सही नहीं है। अगर आपके पास छिपाने के लिए कुछ नहीं है, तो मेरे सवालों के जवाब दें और इसे साबित करें।' इस पर इलेक्शन कमीशन के सूत्र ने न्यूज एजेंसी से रविवार को कहा कि देश भर में आयोग के 10.5 लाख बूथ लेवल अधिकारी, 50 लाख मतदान अधिकारी और 1 लाख मतगणना पर्यवेक्षक भी राहुल गांधी की तरफ से लगाए जा रहे आरोपों से निराश हैं। आरोप कर्मचारियों की ईमानदारी और कड़ी मेहनत पर सवाल उठाते हैं। CCTV फुटेज पर आयोग ने वोटर्स की गोपनीयता का हवाला दिया सीसीटीवी फुटेज की मांग पर EC सूत्रों ने कहा, "चुनाव आयोग के निर्देशों के अनुसार, मतदान केंद्रों के सीसीटीवी फुटेज की जांच हाईकोर्ट कर सकता है। ऐसा मतदाताओं की गोपनीयता बनाए रखने के लिए किया जाता है। राहुल गांधी खुद या अपने एजेंटों के जरिए इस गोपनीयता का अतिक्रमण क्यों करना चाहते हैं। क्या राहुल गांधी अब हाईकोर्ट पर भी भरोसा नहीं करते।" चुनाव आयोग ने एक दिन पहले भी दिया था राहुल को जवाब 7 जून को भी इलेक्शन कमीशन ने राहुल के दावों को निराधार करार दिया था। आयोग ने कहा था, 'चुनाव के फैसले पक्ष में नहीं आने के बाद ऐसे आरोप लगाना बेतुके हैं। 24 दिसंबर 2024 को ही कांग्रेस को भेजे अपने जवाब में ये सभी तथ्य सामने रखे थे, जो चुनाव आयोग की वेबसाइट पर उपलब्ध हैं। ऐसा लगता है कि बार-बार ऐसे मुद्दे उठाते हुए इन सभी तथ्यों को पूरी तरह से नजरअंदाज किया जा रहा है।' आयोग ने यह भी कहा था कि कोई जब इस तरह की गलत सूचना फैलाता है तो इससे उन हजारों प्रतिनिधियों की बदनामी होती है, जिन्हें राजनीतिक पार्टियां चुनाव के दौरान तैनात करती है। उन लाखों चुनाव कर्मचारियों का उत्साह कम होता है, जो दिन रात बिना थके इलेक्शन ड्यूटी करते हैं। पूरा देश जानता है कि मतदाता सूची तैयार करने, मतदान और मतगणना सहित प्रत्येक चुनाव की पूरी प्रक्रिया सरकारी कर्मचारी करते हैं। वह भी मतदान केंद्र से लेकर निर्वाचन क्षेत्र तक राजनीतिक दलों/उम्मीदवारों की तरफ से नियुक्त प्रतिनिधियों की मौजूदगी में। राहुल ने महाराष्ट्र चुनाव पर कब और कहां दिया बयान महाराष्ट्र में 23 नवंबर 2024 को बनी थी महायुति सरकार पिछले साल 23 नवंबर को महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजे आए थे। महायुति को 230 सीटों पर जीत मिली थी। भाजपा ने 132, शिवसेना ( एकनाथ शिंदे) ने 57 और NCP (अजित पवार) ने 41 सीटें जीतीं। वहीं, कांग्रेस के नेतृत्व वाला महा विकास अघाड़ी (MVA) 46 सीटों पर सिमट गया। शिवसेना (उद्धव) 20, कांग्रेस 16 और NCP (शरद पवार) के हिस्से 10 सीटें आईं। 2 सीटें सपा ने जीती हैं। 10 सीटें अन्य के खाते में गईं। महाराष्ट्र विधानसभा की 288 सीटों पर 20 नवंबर को वोटिंग हुई थी। 2019 के मुकाबले 2024 में 4% ज्यादा वोटिंग हुई थी। 2019 में 61.4% वोट पड़े थे। 2024 में 65.11% वोटिंग हुई। महाराष्ट्र CM फडणवीस बोले-जनता ने राहुल को नकारा, वे जनादेश नकार रहे मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए कहा कि जिसे जनता ठुकरा देती है, वो जनादेश को ही ठुकरा देता है। फडणवीस ने रविवार को एक मराठी अखबार में लिखा, 'राहुल की नीति है कि अगर लोगों को समझा नहीं सकते, तो उन्हें उलझा दो।' कांग्रेस को जनता ने नकार दिया है, इसलिए अब वो लोकतंत्र की छवि बिगाड़ने के लिए ईवीएम को दोष दे रहे हैं। अब तो विपक्षी दलों की ये आदत बन गई है कि हर चुनाव में ईवीएम पर सवाल उठाते हैं। लेकिन सुप्रीम कोर्ट में इनसे जुड़ी सारी याचिकाएं खारिज हो चुकी हैं। पढ़ें पूरी खबर...

महाराष्ट्र में चुनावी फिक्सिंग के आरोप पर EC का जवाब
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लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने पिछले साल नवंबर में हुए महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में धांधली के आरोप लगाए थे। इस मामले में चुनाव आयोग (EC) ने अब अपना जवाब पेश किया है। आयोग के अनुसार, राहुल गांधी ने 24 घंटे बाद भी आयोग को कोई पत्र नहीं लिखा है और न ही उन्होंने बैठक के लिए समय मांगा है। यह जानकारी चुनाव आयोग से जुड़े एक सूत्र ने न्यूज एजेंसी ANI को दी।
EC का स्पष्टीकरण
चुनाव आयोग ने बताया कि राहुल गांधी एक तरफ गंभीर मुद्दों की बात करते हैं, लेकिन जब उन्हें औपचारिक पत्र लिखने की आवश्यकता होती है, तो वे पीछे हट जाते हैं। सूत्र ने कहा कि प्रक्रिया के अनुसार कोई भी संवैधानिक संस्था आधिकारिक रूप से तब ही प्रतिक्रिया दे सकती है, जब राहुल गांधी खुद आयोग को पत्र लिखेंगे।
राहुल ने 7 जून को एक आर्टिकल लिखा था जिसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि महाराष्ट्र चुनाव में मैच फिक्सिंग हुई है। उन्होंने यह भी कहा कि इसी प्रकार की फिक्सिंग बिहार चुनाव में भी होगी। जब राहुल ने आरोप लगाया था, तब उन्होंने आयोग से इसका जवाब माँगा था।
राहुल गांधी का विवादास्पद बयान
राहुल गांधी ने शनिवार को सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म X पर लिखा था, "आप (चुनाव आयोग) एक संवैधानिक संस्था हैं। बिना साइन और टालमटोल वाले नोट जारी करके गंभीर सवालों के जवाब देने का तरीका सही नहीं है। अगर आपके पास छिपाने के लिए कुछ नहीं है, तो मेरे सवालों के जवाब दें और इसे साबित करें।"
चुनाव आयोग की प्रतिक्रिया
इस पर चुनाव आयोग के सूत्रों ने कहा कि आयोग के 10.5 लाख बूथ लेवल अधिकारी, 50 लाख मतदान अधिकारी और 1 लाख मतगणना पर्यवेक्षक राहुल गांधी द्वारा लगाए गए आरोपों से निराश हैं। सूत्रों ने कहा कि ये आरोप कर्मचारियों की ईमानदारी पर सवाल उठाते हैं।
CCTV फुटेज को लेकर आयोग ने कहा कि मतदान केंद्रों के फुटेज की जांच हाईकोर्ट द्वारा की जा सकती है ताकि मतदाताओं की गोपनीयता का ध्यान रखा जा सके। आयोग ने सवाल उठाया कि राहुल गांधी इस गोपनीयता का अतिक्रमण क्यों करना चाहते हैं। क्या उन्हें अब हाईकोर्ट पर भी विश्वास नहीं है?
मुख्यमंत्री का बयान
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए कहा कि जिस व्यक्ति को जनता ठुकरा देती है, वह जनादेश को भी ठुकरा देता है। फडणवीस ने आगे कहा कि कांग्रेस को जनता ने नकार दिया है, इसलिए वे ईवीएम पर सवाल उठा रहे हैं।
निष्कर्ष
चुनाव आयोग द्वारा राहुल गांधी के आरोपों का जवाब देना और उनके द्वारा उठाए गए मुद्दों का उचित तरीका अपनाना आवश्यक है। यदि राहुल गांधी सच में अपनी बातों को लेकर गंभीर हैं, तो उन्हें आयोग से संबद्ध संवाद में पारदर्शिता लानी चाहिए, और पत्र लिखकर आयोग को अधिकारिक रूप से अपने मुद्दों को उठाना चाहिए।
इस विवाद को लेकर पूरे देश में चर्चा हो रही है, और यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि आने वाले दिनों में इस संबंध में क्या कदम उठाए जाते हैं। जनादेश का सम्मान करना सभी राजनीतिक दलों की जिम्मेदारी होनी चाहिए।