हरियाणा सरकार को दिल्ली हाईकोर्ट से राहत:यमुना के कम पानी देने की याचिका खारिज; AAP सरकार ने दाखिल की थी रिट

दिल्ली हाईकोर्ट से हरियाणा सरकार को राहत मिली है। दिल्ली हाईकोर्ट ने एक आवेदन को खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया था कि दिल्ली को कोर्ट के आदेश के अनुसार पानी नहीं मिल रहा है और यह दिल्ली के लिए पानी से संबंधित एक महत्वपूर्ण और जरूरी मुद्दा है। कोर्ट के इस निर्णय से दिल्ली सरकार को भी बड़ा झटका लगा, क्योंकि वह लगातार यह दावा कर रही थी कि हरियाणा सरकार द्वारा पानी की तय आपूर्ति नहीं की जा रही है। हालांकि, हरियाणा सरकार ने कोर्ट में स्पष्ट रूप से यह प्रस्तुत किया कि वह सभी समझौतों और कोर्ट के आदेशों के अनुरूप आवश्यक मात्रा में पानी की आपूर्ति कर रही है और इस संबंध में उसकी ओर से कोई भी कमी नहीं हुई है। बता दें कि, इस मुद्दे पर पिछले वर्ष जून में भी सुप्रीम कोर्ट ने विचार किया था और तब दिल्ली सरकार द्वारा दायर रिट याचिका को खारिज कर दिया था। हरियाणा सरकार ने कोर्ट में दी ये दलील हरियाणा सरकार की ओर से प्रस्तुत दलील में कहा गया कि मूल रिट याचिका पहले ही निपटाई जा चुकी है और अवमानना याचिका दाखिल किए जाने के समय से ही निरर्थक थी तथा आज भी निरर्थक है। यह भी बताया गया कि दिल्ली सरकार द्वारा दायर रिट याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही निपटा दिया था, जिसका आदेश इस न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया जा चुका है। लास्ट बहस के लिए सूचीबद्ध हुआ केस हरियाणा सरकार की ओर से वरिष्ठ अतिरिक्त महाधिवक्ता लोकेश सिंहल और आदित्य शर्मा ने दलील दी कि यह मामला कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग है और पूरी तरह निराधार होने के कारण इसे खारिज किया जाना चाहिए। साथ ही, उन्होंने आग्रह किया कि मुख्य अवमानना याचिका को अंतिम सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जाए। इस पर कोर्ट ने आवेदन को खारिज करते हुए निर्देश दिया कि अवमानना याचिका को अंतिम बहस के लिए सूचीबद्ध किया जाए।

हरियाणा सरकार को दिल्ली हाईकोर्ट से राहत:यमुना के कम पानी देने की याचिका खारिज; AAP सरकार ने दाखिल की थी रिट
दिल्ली हाईकोर्ट से हरियाणा सरकार को राहत मिली है। दिल्ली हाईकोर्ट ने एक आवेदन को खारिज कर दिया, ज�

हरियाणा सरकार को दिल्ली हाईकोर्ट से राहत: यमुना के कम पानी देने की याचिका खारिज

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दिल्ली हाईकोर्ट का फैसला

हाल ही में, दिल्ली हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार को एक महत्वपूर्ण राहत प्रदान की है जब न्यायालय ने यमुना नदी में पानी की कमी से संबंधित दायर याचिका को खारिज कर दिया। यह याचिका आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार द्वारा प्रस्तुत की गई थी, जिसमें हरियाणा पर आरोप लगाया गया था कि वह यमुना नदी के जल के वितरण में उचित अनुपात का पालन नहीं कर रही है। दिल्ली हाईकोर्ट का यह निर्णय हरियाणा राज्य के लिए एक सकारात्मक संकेत है, जिससे राज्य सरकार की जल आपूर्ति की स्थिरता बढ़ेगी।

याचिका का背景

AAP सरकार ने याचिका में दावा किया था कि हरियाणा द्वारा यमुना में पानी की कमी ने दिल्ली के नागरिकों को गंभीर जल संकट का सामना करना पड़ रहा है। अतीत में, पानी की कमी के कारण कई बार विरोध प्रदर्शन और हंगामे भी हुए हैं। इस संदर्भ में, दिल्ली हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार की स्थिति को ध्यान में रखते हुए, याचिका को निराधार मानते हुए खारिज कर दिया।

जल प्रबंधन पर प्रभाव

इस मामले में न्यायालय का निर्णय न केवल हरियाणा के जल प्रबंधन को प्रभावित करेगा, बल्कि इससे दिल्ली में जल संकट को नियंत्रित करने की दिशा में भी महत्वपूर्ण कदम उठाए जा सकते हैं। यह निर्णय विभिन्न राज्यों के लिए जल वितरण नीति के सही कार्यान्वयन की आवश्यकता को भी दर्शाता है। साथ ही, यह साबित करता है कि उच्च न्यायालय जल आपूर्ति के मामले में संतुलन बनाए रखने के लिए तत्पर है।

भविष्य की संभावनाएँ

इस फैसले के बाद, हरियाणा सरकार को अपनी जल वितरण नीतियों पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता हो सकती है। इसके अलावा, दिल्ली में जल संकट के दीर्घकालिक समाधान हेतु ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि जल संकट को खत्म करने के लिए साझा जल प्रबंधन नीति अपनाने की आवश्यकता है।

अंत में, यह निर्णय हरियाणा तथा दिल्ली सरकारों के बीच बेहतर संवाद और सहयोग के लिए एक मंच स्थापित कर सकता है। आगे बढ़ते हुए, सभी पक्षों को मिलकर इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर विचार करना चाहिए।

निष्कर्ष

दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा दिया गया यह निर्णय हरियाणा सरकार के लिए एक नई दिशा दे सकता है। जल संसाधनों का सही उपयोग और प्रबंधन दोनों राज्यों के भविष्य के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। Keywords: हरियाणा सरकार, दिल्ली हाईकोर्ट राहत, यमुना नदी पानी, AAP सरकार याचिका, जल संकट दिल्ली, जल प्रबंधन हरियाणा, याचिका खारिज, यमुना जल वितरण, दिल्ली जल संकट समाधान, जल नीति सहयोग.