कोतवाली पुलिस के हत्थे चढ़ा आरोपी ; एसएसपी से सीएमओ तक की 100 रुपये में लगाता था मोहर
एफएनएन, बरेली : कोतवाली पुलिस के हत्थे चढ़ा नैनीताल रोड बिलवा पुल निवासी आरोपी अमानुद्दीन एसएसपी से लेकर सीएमओ तक की 100 रुपये में मोहरें लगाता था। इतना ही नहीं अगर कोई मोहरें खरीदना चाहे तो उसे पांच सौ रुपये में बेचता था। पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। साथ ही उसके […] The post कोतवाली पुलिस के हत्थे चढ़ा आरोपी ; एसएसपी से सीएमओ तक की 100 रुपये में लगाता था मोहर appeared first on Front News Network.

कोतवाली पुलिस के हत्थे चढ़ा आरोपी ; एसएसपी से सीएमओ तक की 100 रुपये में लगाता था मोहर
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एफएनएन, बरेली : कोतवाली पुलिस ने नैनीताल रोड बिलवा पुल के निवासी आरोपी अमानुद्दीन को गिरफ्तार कर लिया है। यह आरोपी सरकारी और गैर सरकारी संस्थाओं की फर्जी मोहरें बनाने का कार्य करता था। एक चौंकाने वाली बात यह है कि आरोपी एसएसपी से लेकर सीएमओ तक की मोहरें मात्र 100 रुपये में लगाता था। अगर कोई व्यक्ति मोहरें खरीदना चाहता था, तो वह उन्हें 500 रुपये में बेचता था। इस मामले में पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार करके जेल भेज दिया और उसके गिरोह के अन्य सदस्यों की तलाश शुरू कर दी है।
गिरफ्तारी की जानकारी
कोतवाली प्रभारी अमित पांडेय ने बताया कि बुधवार को आर्मी इंटेलीजेंस लखनऊ की सूचना पर एक पुलिस टीम ने इंदिरा मार्केट में छापा मारा और आरोपी को गिरफ्तार किया। पुलिस को पता चला कि अमानुद्दीन जाली दस्तावेज भी बनाता था। उसके पास से 44 सरकारी और गैर सरकारी संस्थाओं की मोहरें बरामद की गईं।
फर्जी मोहरों की पहचान
अमानुद्दीन के पास से जाली मोहरों के साथ-साथ कई अध-निर्मित मोहरें भी मिलीं। इन मोहरों में एसएसपी, सीएमओ, डीआईओएस, बीएसए जैसे कई उच्च अधिकारियों की मोहरें शामिल थीं। आरोपी की निशानदेही पर पुलिस ने सेना भर्ती ऑफिस के जाली कागजात भी बरामद किए। पुलिस की जांच में 212 मोहरों के प्रिंट भी मिले हैं।
उपकरण और सामग्री की बरामदगी
पुलिस ने आरोपी के कब्जे से स्टांप मेकिंग मशीन, लैपटॉप और प्रिंटर भी जब्त किए हैं। इन उपकरणों की मदद से वो अपने फर्जी काम को अंजाम देता था। इस मामले में आरोपी के अन्य सहयोगियों की तलाश तेज कर दी गई है, क्योंकि सोचने वाली बात है कि कैसे एक व्यक्ति इतनी बड़ी फर्जी गतिविधियों को अकेले अंजाम दे सकता है।
समाज पर प्रभाव
ऐसे मामलों ने समाज में बढ़ती जालसाजी की ओर इशारा किया है। जहां एक तरफ फर्जी दस्तावेजों के जरिए लोगों को ठगा जा रहा है, वहीं दूसरी तरफ देश की सुरक्षा में भी यह एक बड़ा खतरनाक संकेत हो सकता है। पुलिस विभाग इस बात को लेकर गंभीर है और ऐसे गिरोहों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की योजना बना रहा है।
निष्कर्ष
इस मामले ने सबके सामने यह स्पष्ट कर दिया है कि जालसाजी के मामलों में पुलिस की सजगता और तत्परता कितनी आवश्यक है। पुलिस ने इसे एक प्राथमिकता के तौर पर लिया है और जल्द ही गिरोह के अन्य सदस्यों को पकड़ने की योजना बना रही है। इस मामले से यह भी साफ हो गया है कि देश में फर्जी दस्तावेजों का कारोबार एक जटिल समस्या बनी हुई है, जिस पर ध्यान देने की जरूरत है।
कोतवाली पुलिस ने अपनी कार्रवाई के द्वारा एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। ऐसे मामलों में सख्त से सख्त सजा होनी चाहिए ताकि समाज में जालसाजी के प्रति एक सख्त संदेश जाए।
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