देहरादून में बाई-आर्टिकुलेटेड बस प्रणाली की तैयारी, दो नए कॉरिडोर बनेंगे

दून में मेट्रो, नियो नहीं अब बाई-आर्टिकुलेटेड बस चलाने की तैयारी, शुरुआत में बनेंगे दो कॉरिडोर दून में अब बाई-आर्टिकुलेटेड बस चलाने की तैयारी है। यूकेएमआरसी ने इस साल अप्रैल में स्विस कंपनी एचईएसएस से करार किया। रिपोर्ट तैयारी की गई। अगले महीने शासन के सामने उत्तराखंड मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन के अधिकारी प्रस्तुतीकरण देंगे। इस […] The post दून में मेट्रो, नियो नहीं अब बाई-आर्टिकुलेटेड बस चलाने की तैयारी, शुरुआत में बनेंगे दो कॉरिडोर appeared first on The Lifeline Today : हिंदी न्यूज़ पोर्टल.

देहरादून में बाई-आर्टिकुलेटेड बस प्रणाली की तैयारी, दो नए कॉरिडोर बनेंगे
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देहरादून में बाई-आर्टिकुलेटेड बस प्रणाली की तैयारी, दो नए कॉरिडोर बनेंगे

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लेखिका: अनामिका शर्मा, निधि गुप्ता - टीम धर्मयुद्ध

बाई-आर्टिकुलेटेड बसों की नई परिवहन योजना

देहरादून, जो अपनी प्राकृतिक सौंदर्य और आधुनिकता के लिए जाना जाता है, अब बाई-आर्टिकुलेटेड बसों के संचालन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठा रहा है। यह जानकारी उत्तराखंड मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन (यूकेएमआरसी) द्वारा साझा की गई है, जो इस योजना का संचालन कर रहा है। अप्रैल 2023 में, यूकेएमआरसी ने स्विस कंपनी एचईएसएस के साथ एक समझौता किया था, जिसका उद्देश्य शहर में सार्वजनिक परिवहन को अधिक प्रभावी और पर्यावरण अनुकूल बनाना है।

पहले चरण में दो प्रमुख कॉरिडोर का निर्माण

नई परिवहन योजना के पहले चरण में, दो प्रमुख कॉरिडोर विकसित किए जाएंगे। पहला कॉरिडोर आईएसबीटी से गांधी पार्क तक फैला होगा, जिसकी कुल दूरी लगभग 8.5 किलोमीटर है। वहीं, दूसरा कॉरिडोर एफआरआई से रायपुर तक होगा, जिसकी दूरी लगभग 13.9 किलोमीटर है। इस प्रणाली के माध्यम से शहर की 42 वार्डों में से 40% जनसंख्या को परिवहन सेवा प्रदान करने का लक्ष्य रखा गया है।

बाई-आर्टिकुलेटेड बसों के लाभ

बाई-आर्टिकुलेटेड बसों का विशेषता यह है कि ये बैटरी से संचालित होती हैं और इनमें दो कोच जुड़े होते हैं, जिससे यात्री परिवहन में अधिक स्थान और सुविधा का अनुभव करते हैं। ये बसें तेज गति, लगभग 30 से 40 किलोमीटर प्रति घंटे, से चलेंगी, जिससे यात्रियों को लंबी दूरी तय करने में पर्याप्त सुगमता मिल सकेगी।

मुख्य रिपोर्ट और प्रस्तुतीकरण

यूकेएमआरसी ने एचईएसएस के सहयोग से एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार की है, जिसमें शहर में यातायात दबाव और पिक आवर्स के आंकड़ों का विश्लेषण किया गया है। अगले महीने, यूकेएमआरसी इस रिपोर्ट को शासन के सामने पेश करेगा। यह प्रस्तुतीकरण इस परियोजना की मंजूरी के लिए बहुत महत्वपूर्ण होगा, क्योंकि इसके बाद ही केंद्र सरकार से अनुमोदन प्राप्त किया जा सकेगा।

पर्यावरणीय प्रभाव और स्थिरता

इन बाई-आर्टिकुलेटेड बसों की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि वे पर्यावरण के अनुकूल हैं। फ्लैश चार्जिंग तकनीक के माध्यम से ये बसें स्थानीय परिवहन समाधान के रूप में प्रभावी साबित होंगी। यह न केवल मेट्रो के लिए एक सस्ता विकल्प होगा, बल्कि रोपवे से भी लागत में कम पड़ेगा।

निष्कर्ष: नए परिवहन विकास का रास्ता

देहरादून में बाई-आर्टिकुलेटेड बसों का संचालन शहर की परिवहन व्यवस्था में एक नया अध्याय जोड़ने जा रहा है। यह योजना न केवल शहरी परिवहन के सुधार में सहायक होगी, बल्कि स्थानीय नागरिकों को बेहतर और सुरक्षित यात्रा सुविधाएं प्रदान करेगी। यदि इस योजना में सफलता प्राप्त होती है, तो यह राज्य के अन्य शहरों के लिए एक मॉडल बन सकती है।

कम शब्दों में कहें तो, देहरादून में बाई-आर्टिकुलेटेड बसों का चलन सार्वजनिक परिवहन में एक सकारात्मक बदलाव का संकेत है। इसके सफल कार्यान्वयन से एक नई परिवहन संस्कृति की शुरुआत हो सकती है। अधिक जानकारी के लिए, हमारे पोर्टल धर्म युद्ध पर आइए।

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