महाकालेश्वर मंदिर में भांग का मुखोटा गिरने की घटना: ज्योतिषाचार्यों ने दिए चौंकाने वाले तर्क
अजय नीमा, उज्जैन। मध्य प्रदेश के उज्जैन के विश्व प्रसिद्ध महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग में दो दिन पहले 18 अगस्त सोमवार को

महाकालेश्वर मंदिर में भांग का मुखोटा गिरने की घटना: ज्योतिषाचार्यों ने दिए चौंकाने वाले तर्क
अजय नीमा, उज्जैन। मध्य प्रदेश के उज्जैन में स्थित विश्व प्रसिद्ध महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग में 18 अगस्त, सोमवार को एक अद्भुत घटना घटित हुई। इस दिन रात्रि 8 बजे जैसे ही महाकाल शिवलिंग पर भांग से भगवान शिव का मुखोटा बनाया गया, उसके तुरंत बाद आरती प्रक्रिया शुरू होने वाली थी। लेकिन अचानक भांग का यह मुखोटा टूटकर गिर गया। शिवलिंग पर बने इस मुखौटे से नाक, होंठ और एक आंख टूटकर नीचे गिर गई। इस घटना को मंदिर के सीसीटीवी कैमरे ने रिकॉर्ड किया, जो अब सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बन गया है।
महाकाल मंदिर में उठे सवाल
इस घटना के बाद महाकाल मंदिर प्रबंध समिति और वहां के पुजारियों के कार्यों पर कई सवाल उठने लगे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि 2020 में सुप्रीम कोर्ट ने महाकाल शिवलिंग के संरक्षण के लिए कुछ दिशानिर्देश जारी किए थे, लेकिन वर्तमान में इन नियमों का पालन नहीं हो रहा है। विशेषकर भांग जैसे सामग्री के उपयोग में अतिक्रमण करने की बातें की जा रही हैं, जिसके कारण मुखोटा टूटकर गिरने की संभावना बढ़ गई थी।
प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य की टिप्पणी
देश के एक प्रमुख ज्योतिषाचार्य अमर त्रिवेदी का मानना है कि यह घटना एक अप्राकृतिक संकेत है। उनका कहना है कि देवताओं को वह सामग्री पसंद आती है, जिसमें श्रद्धा और सही धार्मिकता हो। अगर सामग्री में कोई दोष होता है, तो देवता उसे अस्वीकार कर देते हैं।
ऐतिहासिक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण
ज्योतिषाचार्य का आगे कहना है कि पत्थरों में प्राकृतिक आद्रता और उष्णता होती है। जब बाहरी तापमान और आद्रता वाली भांग शिवलिंग पर लगाई जाती है, तो उस पर पड़ने वाले दबाव से उसके टूटने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। यह घटना ऋतु परिवर्तन के संकेत भी दे सकती है, जिससे भविष्य में जलभराव और आपदाओं की आशंका होती है।
शिवलिंग पर भांग का श्रृंगार: विरोधाभास
धर्म विशारद और महर्षि पाणिनि वेद विद्या संस्थान के पूर्व कुलपति डॉ. मोहन गुप्त ने इस घटना पर यह कहा कि हिंदू शास्त्रों में शिवलिंग पर भांग का श्रृंगार करने का कोई उल्लेख नहीं है। उन्होंने मुद्दा उठाया कि शिवपुराण और लिंगपुराण में भी इस प्रकार की किसी परंपरा का कोई उल्लेख नहीं है। भांग के अतिक्रमण से शिवलिंग के क्षरण की संभावनाएं बढ़ जाती हैं।
निष्कर्ष और भविष्य की ओर
इस घटना के बाद यह स्पष्ट है कि महाकाल शिवलिंग पर भांग का श्रृंगार उचित नहीं है। इस घटना से यह संदेह उठता है कि भगवान शिव खुद यह स्वीकार नहीं कर रहे हैं। अब मंदिर की प्रबंधन समिति और पुजारियों को इस विषय पर गंभीरता से विचार करना चाहिए। हालांकि, इस घटना के बाद महाकाल मंदिर के पुजारी और मंदिर समिति के जिम्मेदार लोगों द्वारा कोई स्पष्ट टिप्पणी नहीं दी गई है।
Breaking News, Daily Updates & Exclusive Stories - Dharm Yuddh
For more updates, visit dharmyuddh.com