राहुल गांधी और तेजस्वी यादव ने माता जानकी की आरती की, कहा- धर्म का प्रयोग राजनीति में नहीं होना चाहिए

सीतामढ़ी/बिहार। बिहार में चल रही वोटर अधिकार यात्रा का गुरूवार को 12वां दिन है। इस मौके पर कांग्रेस नेता राहुल

राहुल गांधी और तेजस्वी यादव ने माता जानकी की आरती की, कहा- धर्म का प्रयोग राजनीति में नहीं होना चाहिए
सीतामढ़ी/बिहार। बिहार में चल रही वोटर अधिकार यात्रा का गुरूवार को 12वां दिन है। इस मौके पर कांग्रे�

राहुल गांधी और तेजस्वी यादव ने माता जानकी की आरती की, कहा- धर्म का प्रयोग राजनीति में नहीं होना चाहिए

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सीतामढ़ी/बिहार। बिहार में चल रही वोटर अधिकार यात्रा का गुरूवार को 12वां दिन है। इस खास मौके पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी और तेजस्वी यादव ने माता जानकी का आशीर्वाद लेने हेतु आरती की। इन दोनों नेताओं ने इस धार्मिक आयोजन के माध्यम से एक महत्वपूर्ण संदेश दिया कि धर्म का प्रयोग राजनीति में नहीं होना चाहिए। उनकी यह बात इस समय देशभर में चर्चा का विषय बनी हुई है और इसे एक अनूठी पहल के रूप में देखा जा रहा है।

आरती का महत्व और राजनीतिक दृष्टिकोण

माता जानकी के समक्ष आरती का आयोजन न केवल धार्मिक भावनाओं से जुड़ा है, बल्कि इसका राजनीतिक अर्थ भी गहरा है। राहुल गांधी और तेजस्वी यादव ने यह कदम उठाकर यह स्पष्ट किया कि धर्म और राजनीति के बीच की सीमा क्या होनी चाहिए। उनका मानना है कि धार्मिक आस्था का राजनीतिक लाभ के लिए दुरुपयोग नहीं होना चाहिए। जब धर्म और राजनीति एक-दूसरे से जुड़े होते हैं, तो यह अक्सर विवाद और असहमति को जन्म देता है, जो आज के समाज के लिए उचित नहीं है।

वोटर अधिकार यात्रा का उद्देश्य

इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य नागरिकों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करना है। राहुल गांधी ने इस यात्रा के दौरान उन महत्वपूर्ण मुद्दों की चर्चा की जो हमारे लोकतंत्र को प्रभावित कर सकते हैं। उन्होंने लोगों से अपील की कि वे वोट डालने के महत्व को समझें और अपनी आवाज़ उठाएं। तेजस्वी यादव ने भी इस यात्रा के दौरान जनता की परेशानियों पर जोर देते हुए कहा कि राजनीतिक दलों को जनता की चिंताओं को समझना चाहिए।

समाज में धर्म की भूमिका

राहुल गांधी और तेजस्वी यादव का यह प्रयास निश्चित रूप से समाज में धार्मिक सद्भाव के निर्माण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। उनके इस संवाद का मूल उद्देश्य यही है कि धर्म का उपयोग कभी भी राजनीतिक लाभ के लिए नहीं किया जाना चाहिए। इस प्रकार की सोच से भारत की सांस्कृतिक विविधता को बनाए रखने में मदद मिलती है, और साथ ही यह समाज में एकता को भी मजबूत करता है।

निष्कर्ष

यह आरती न केवल एक सांस्कृतिक परंपरा का हिस्सा थी, बल्कि यह एक सकारात्मक राजनीतिक संवाद की शुरुआत भी करती है। उन्होंने यह संदेश दिया है कि धर्म और राजनीति को अलग करके समाज में एकता को बढ़ावा देने की आवश्यकता है। सीतामढ़ी में हुए इस आयोजन ने सभी को यह सोचने पर मजबूर किया है कि क्या हमें धर्म को राजनीति के गलियारे में इस्तेमाल करने की जरूरत है, या हमें इसे अपनी सांस्कृतिक पहचान के रूप में रहना चाहिए।

इस तरह के आयोजनों से यह स्पष्ट संदेश निकलता है कि हमें एकजुट होकर अपने लोकतंत्र की रक्षा करनी है। अधिक जानकारी के लिए, विजिट करें dharmyuddh.

आपका धन्यवाद,

सीता देवी, टीम धर्म युद्ध

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