रुहेलखंड के जलपुरुष जयदीप बरार: 85 वर्ष की उम्र में भी जिद, जज्बा और जुनून कायम

प्रेरणा कथा पिछले दस साल से पश्चिमी बैगुल नदी के खमरिया घाट पर सामूहिक श्रमदान से बनवाते आ रहे कच्चा बांध खमरिया घाट पर पक्का बांध बनवाने और ईको टूरिज्म स्पॉट के रूप में विकसित करवाने के लिए भी हैं निरंतर प्रयासरत अब छेड़ी ‘कारसेवा’ से माधोपुर बांध और रुकुमपुर माइनर निर्माण की बहुत बड़ी […] The post रुहेलखंड के ‘जलपुरुष’ जयदीप बरार, 85+ उम्र में भी वही जिद, जज्बा, जुनून बरकरार appeared first on Front News Network.

रुहेलखंड के जलपुरुष जयदीप बरार: 85 वर्ष की उम्र में भी जिद, जज्बा और जुनून कायम

कम शब्दों में कहें तो, जयदीप बरार, जिन्हें रुहेलखंड के 'जलपुरुष' के नाम से जाना जाता है, अपनी प्रेरक कहानी के जरिए आज भी लोगों को प्रेरणा दे रहे हैं। पिछले दस वर्षों से पश्चिमी बैगुल नदी के खमरिया घाट पर सामूहिक श्रमदान से वे कच्चा बांध बनवा रहे हैं और अब पक्का बांध तथा ईको टूरिज्म स्पॉट बनाने के लिए निरंतर प्रयासरत हैं। इसके साथ ही, उन्होंने कारसेवा के माध्यम से माधोपुर बांध और रुकुमपुर माइनर का निर्माण भी आरंभ किया है।

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एक अविस्मरणीय यात्रा

जयदीप बरार का जीवन एक प्रेरणा है, जो बताते हैं कि अंकित उम्र सिर्फ एक संख्या है। आज 85 वर्ष की उम्र में भी, उनका जुनून और समर्पण इस बात का उदाहरण है कि किसी भी उम्र में बड़े कार्य किए जा सकते हैं। पिछले एक दशक से, उन्होंने सामूहिक श्रमदान के माध्यम से खमरिया घाट पर कच्चा बांध बनाने का कार्य शुरू किया और अब पक्का बांध बनाने के लिए अपनी कोशिशें बढ़ा दी हैं। उनके प्रयासों ने grassroots स्तर पर जलस्रोतों के संरक्षण के लिए न केवल अन्य लोगों को प्रेरित किया है, बल्कि सामुदायिक भावना को भी सशक्त किया है।

सामुदायिक सशक्तिकरण

जयदीप बरार ने लकड़ी, धोती और श्रम के माध्यम से स्थानीय किसानों को सशक्त बनाने की दिशा में कई कदम उठाए हैं। उन्होंने हाल ही में ग्रामीणों को एकत्रित किया है ताकि माधोपुर बांध और रुकुमपुर माइनर का निर्माण किया जा सके। सिंचाई विभाग के साथ बैठक करके, उन्होंने अपने प्रस्ताव को स्वीकृति दिलाने में सफलतापूर्वक कार्य किया है। उनकी दृढ़ता न केवल खुद के भले के लिए, बल्कि पूरे क्षेत्र के विकास के प्रतीक के रूप में सामने आई है।

स्थायी भविष्य के प्रयास

बरार के प्रयासों का समर्थन करने के लिए स्थानीय किसानों, प्रधानों, और शिक्षकों की एक मजबूत टीम तैयार हो चुकी है। सभी का मानना है कि ये योजनाएँ न केवल पीढ़ियों को सशक्त बनाएंगी, बल्कि खेतों की उत्पादकता को भी बढ़ाएंगी। उन्होंने कहा, “सभी किसान एकजुट होकर अपने अपने गांवों और खेतों की समृद्धि के लिए काम कर रहे हैं। हम सब मिलकर अपने क्षेत्रों के जल संकट को दूर कर सकते हैं।”

इस प्रकार, बरार की जल संचयन योजना को अमलीजामा पहनाने का सपना अब एक नई दिशा में बढ़ रहा है। उन्होंने न केवल कल्पना की है, बल्कि इसे वास्तविकता में बदलने की दिशा में कार्य किया है।

प्रभाविशाली योजनाएँ

आने वाले दिनों में, जयदीप बरार का यह अभियान और भी व्यापक हो सकता है, क्योंकि उन्होंने इस योजना में स्कूल के छात्रों को शामिल करने का निर्णय लिया है। दिल्ली पब्लिक स्कूल (डीपीएस) भी इस कार्य में भागीदारी करेगा, जिससे युवा पीढ़ी को कृषि और पर्यावरण के प्रति जागरूक किया जाएगा।

इस प्रकार, जयदीप बरार की यात्रा उनके जज्बे और जिद का प्रतीक बन गई है। यह दर्शाता है कि वास्तव में समर्पण हो, तो हर कोई अपने सपनों को साकार कर सकता है। उनकी कहानी आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगी और यह हमें सिखाती है कि यदि हम सभी पर्यावरण और संसाधनों के प्रति जागरूक हों, तो जल संकट जैसे गंभीर मुद्दों का समाधान ढूंढ सकते हैं।

इसके लिए, हमें अपनी जिम्मेदारियों को समझते हुए कार्य करना होगा और सामूहिक प्रयासों से जल संरक्षण के प्रति हर संभव सहयोग प्रदान करना होगा।

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Written by: नंदिता शर्मा, Team Dharm Yuddh

Keywords:

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