ISRO की सैटेलाइट तस्वीरों में दिखी उत्तराखंड की तबाही
धराली-हर्षिल क्षेत्र में 20 हेक्टेयर में फैला मलबा, नदी का रास्ता बदला उत्तरकाशी। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) द्वारा जारी सैटेलाइट तस्वीरों ने उत्तराखंड की हालिया आपदा की भयावहता को साफ उजागर कर दिया है। सैटेलाइट से ली गई बाढ़ से पहले और बाद की तस्वीरों में धराली और हर्षिल क्षेत्र में हुई तबाही स्पष्ट […] The post ISRO की सैटेलाइट तस्वीरों में दिखी उत्तराखंड की तबाही appeared first on The Lifeline Today : हिंदी न्यूज़ पोर्टल.

ISRO की सैटेलाइट तस्वीरों में दिखी उत्तराखंड की तबाही
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उत्तरकाशी। हाल ही में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) द्वारा जारी सैटेलाइट तस्वीरों ने उत्तराखंड की हालिया आपदा की भयावहता को साफ उजागर कर दिया है। इन तस्वीरों ने धराली-हर्षिल क्षेत्र में देखी गई भयंकर तबाही को बयान किया है, जिसमें 20 हेक्टेयर में फैला मलबा और एक सहायक नदी का मार्ग पूरी तरह बदल गया है। यह रिपोर्ट स्थानीय समुदाय के लिए चिंता का विषय बन गई है।
तबाही के मुख्य बिंदु
सैटेलाइट से ली गई बाढ़ से पहले और बाद की तस्वीरें इस आपदा की गंभीरता को दर्शाती हैं। बाढ़ के कारण कई गांवों और इमारतों को नुकसान हुआ है। धराली गांव की सैटेलाइट छवियों में आपदा से पहले के हरे-भरे खेत और बस्तियां मलबे में तब्दील हो चुकी हैं। न केवल इमारतें जलमग्न हुईं, बल्कि नदी के रास्ते में भी भारी बदलाव आया है।
विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह की आपदाएं पर्वतीय क्षेत्रों में लगातार बढ़ रही हैं, और इसका एक बड़ा कारण जलवायु परिवर्तन है। ISRO की रिपोर्ट में यह स्पष्ट किया गया है कि मलबे के बड़े फैलाव से क्षेत्र की भौगोलिक संरचना को दीर्घकालिक प्रभाव हो सकता है। वैज्ञानिकों का मानना है कि दक्षिण-पश्चिमी मानसून के दौरान इस तरह की अपेक्षित वृद्धि के कारण ऐसी प्राकृतिक आपदाएं और भी अधिक संभावित हो जाती हैं।
स्थानीय प्रशासन की तैयारी
स्थानीय प्रशासन और राहत एजेंसियां अब भी क्षेत्र में बचाव और पुनर्वास कार्य में जुटी हुई हैं। राज्य सरकार ने इस बार आपदा प्रबंधन के उपायों को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए योजना बनाई है। साथ ही, इंटरव्यू में जिला अधिकारी ने कहा, "हम सुनिश्चित करेंगे कि प्रभावित क्षेत्र के लोगों को त्वरित सहायता मिले और उन्हें सुरक्षित स्थानों पर भेजा जाएगा।" राहत कार्यों में भारतीय सेना की भी मदद मांगी जा रही है।
भविष्य की चुनौतियाँ
विशेषज्ञों का मानना है कि नदी के मार्ग में हुआ बदलाव भूगर्भीय परिवर्तनों का संकेत है, जो आने वाले समय में अधिक गंभीर समस्याएं उत्पन्न कर सकता है। मनमाने शासन या निर्माण गतिविधियों को अनुशासन में लाना अत्यंत आवश्यक है। यह लोगों की सुरक्षा और क्षेत्र की संतुलन के लिए आवश्यक है।
समापन
उत्तराखंड की इस भयंकर आपदा ने न केवल स्थानीय निवासियों को प्रभावित किया है, बल्कि यह राष्ट्रीय स्तर पर भी एक ज्वलंत मुद्दा बन गया है। इस तरह की प्राकृतिक विपदाओं को ध्यान में रखते हुए हमें सतर्क रहना होगा और सतत विकास के दिशा में प्रयास करना चाहिए। आने वाले दिनों में इस चुनौती से निपटने के लिए राज्य सरकार और नागरिकों को एकजुट होकर काम करने की आवश्यकता है।