इजरायल और ईरान के बीच तनाव गहरा, ट्रंप के संघर्ष विराम प्रस्ताव पर संकट
एफएनएन, बीरशेबा : ईरान और इजराइल के बीच संघर्ष विराम लागू होने के कुछ वक्त के भीतर ही इजराइल ने दावा किया कि ईरान ने उसके हवाई क्षेत्र में मिसाइलें दागी हैं जिनका वह कड़ा जवाब देगा। इजराइल के इस बयान के साथ ही अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा प्रस्तावित अस्थायी संघर्षविराम पर संकट […] The post इजरायल और ईरान के बीच तनातनी तेज, डोनाल्ड ट्रंप के सीजफायर पर संकट appeared first on Front News Network.

इजरायल और ईरान के बीच तनाव गहरा, ट्रंप के संघर्ष विराम प्रस्ताव पर संकट
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लेखिका: प्रिया शर्मा, साक्षी नेगी, और टीम Dharm Yuddh
कम शब्दों में कहें तो, इजरायल और ईरान के बीच संघर्ष विराम लागू होने के बाद ही इजरायल ने आरोप लगाया है कि ईरान ने उसके हवाई क्षेत्र में मिसाइलें दागी हैं। इसने अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा प्रस्तावित संघर्षविराम पर संकट उत्पन्न कर दिया है। जानिए इन घटनाक्रमों की गहराई और उनके संभावित परिणाम।
तनातनी की शुरुआत
पश्चिम एशिया में जारी संघर्ष को समाप्त करने के लिए इजरायल और ईरान द्वारा संघर्षविराम स्वीकार किए जाने के कुछ समय बाद, उत्तरी इजरायल में विस्फोटों की आवाज सुनाई दी। इन विस्फोटों के साथ इजरायली सायरन भी बजने लगे, जिसके चलते इजराइल के रक्षा मंत्री इसराइल काट्ज़ ने यह आरोप लगाया कि ये मिसाइल हमले संघर्षविराम का उल्लंघन हैं। इसके बाद इजरायली सेना को ‘तेहरान पर हमले’ का आदेश दिया गया।
संघर्ष विराम का उल्लंघन
जब ट्रंप ने संघर्षविराम की घोषणा की, उसी समय इजरायल ने ईरान में हवाई हमलों को तेज कर दिया। बेंजामिन नेतन्याहू ने सोमवार रात एक बयान में कहा कि इजरायल ने इरानी ख़तरे को कम करने के अपने सभी लक्ष्यों को हासिल कर लिया है। लेकिन इसके बाद ईरान ने इजरायली शहरों की ओर मिसाइल दागना शुरू कर दिया, जिसके परिणामस्वरूप चार इजरायली नागरिकों की मौत हो गई। इस घटना ने तनाव को और बढ़ा दिया है।
ट्रंप का आपातकालीन हस्तक्षेप
ईरान को हमले रोकने के लिए दी गई समयसीमा खत्म होने के बाद, ट्रंप ने सोशल मीडिया पर लिखा, “संघर्ष विराम अब प्रभावी है। कृपया इसका उल्लंघन न करें!” हालांकि, ईरानी विदेश मंत्री अब्बास अरागची ने स्पष्ट किया कि ईरान की ओर से कोई समझौता नहीं हुआ है और हमले रोकने का कोई इरादा नहीं है। यह स्पष्ट करता है कि दोनों पक्षों के बीच स्थिति कितनी गंभीर है।
इस संघर्ष का ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य
ट्रंप ने इस संघर्ष को “12 दिवसीय युद्ध” के रूप में संदर्भित किया है, जो 1967 के अरब-इजरायली युद्ध के समान है। उस युद्ध के बाद इजरायल ने जॉर्डन, मिस्र और सीरिया के क्षेत्रों पर नियंत्रण प्राप्त किया था। वर्तमान निरंतरता भी उसी संघर्ष की एक नई कड़ी प्रतीत होती है।
आगामी चुनौतियां
इस संघर्ष से अनेक राजनीतिक और सैन्य चुनौतियाँ उठ खड़ी हुई हैं। ट्रंप प्रशासन ने इजरायल को समर्थन देने का आश्वासन दिया है, जबकि ईरान अपनी सैन्य क्षमताओं को और मजबूत बनाने में जुटा है। ऐसे में, दोनों देशों के बीच तनाव और बढ़ सकता है, जिससे क्षेत्र की सुरक्षा स्थिति और भी नाजुक हो सकती है।
निष्कर्ष
इजरायल और ईरान के बीच भले ही संघर्ष विराम हो चुका हो, लेकिन तनाव की बढ़ती हुई स्थिति इस बात का इशारा देती है कि यह संघर्ष समाप्त होने के बजाय और भी जटिल हो सकता है। डोनाल्ड ट्रंप का संघर्षविराम प्रस्ताव सफल होने की उम्मीद अब कम होती जा रही है, और इसे लेकर विश्व की नजरें इस विवाद पर टिकी हैं। इसके नतीजे न केवल क्षेत्रीय बल्कि वैश्विक अर्थव्यवस्था पर भी गहरा प्रभाव डाल सकते हैं।