हरियाणा ने दिल्ली को तीसरा CM दिया:इनमें से 2 महिलाएं, दोनों की शुरुआत RSS से, वकील भी रहीं; केजरीवाल IRS अफसर

‘देसां म्ह देस हरियाणा, जित दूध-दही का खाणा’ कहावत वाले इस छोटे से स्टेट ने नई दिल्ली को तीसरा सीएम दे दिया है। देश की राजधानी में आज मुख्यमंत्री की शपथ लेने जा रहीं रेखा गुप्ता का परिवार हरियाणा में जींद जिले से संबंध रखता है। इससे पहले सुषमा स्वराज और अरविंद केजरीवाल का नाता भी हरियाणा से रहा है। सुषमा का जन्म अंबाला में हुआ वहीं अरविंद केजरीवाल हिसार जिले के सिवानी मंडी में पैदा हुए। दिल्ली में आज तक 4 महिला सीएम बनी हैं। इनमें से दो सुषमा स्वराज व रेखा गुप्ता की जड़ें हरियाणा से हैं। दोनों ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से शुरुआत की और उसके बाद भाजपा के जरिए एक्टिव पॉलिटिक्स में आईं। दोनों वकील रहीं। अरविंद केजरीवाल ने IIT से ग्रेजुएशन के बाद सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी की और 1995 में UPSC एग्जाम क्लियर कर इंडियन रेवेन्यू सर्विस (IRS) में सिलेक्ट हुए। 2006 में केजरीवाल को भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहिम चलाने के लिए रेमन मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित किया गया। केजरीवाल ने 2011 में सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे के साथ मिलकर जन लोकपाल विधेयक को लागू करने की मांग करते हुए इंडिया अगेंस्ट करप्शन ग्रुप (IAC) बनाया और आंदोलन का प्रमुख चेहरा बनकर उभरे। 24 नवंबर 2012 को आम आदमी पार्टी (AAP) बनाने वाले केजरीवाल ने 2013 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की दिग्गज नेता और वहां की तत्कालीन CM शीला दीक्षित को हराकर इतिहास रच दिया। सुषमा स्वराज और रेखा गुप्ता दोनों में कॉमन बातें यह हैं कि दोनों ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ी रहीं। दूसरा दोनों कानून की पढ़ाई के बाद वकील रहीं। तीसरी सुषमा की तरह ही रेखा गुप्ता भी मुखर वक्ता हैं। अब सिलसिलेवार तीनों नेताओं की कहानी पढ़िए.... सुषमा स्वराज: हरियाणा में 25 की उम्र में मंत्री बनीं सुषमा स्वराज ने 11 अक्टूबर 1998 को दिल्ली की पहली महिला सीएम के रूप में शपथ ली थी। तब BJP की सरकार में CM की कुर्सी पर भयंकर खींचतान मची थी। एक तरफ थे पूर्व CM मदन लाल खुराना और दूसरी तरफ CM साहिब सिंह वर्मा। सुष्मिता दत्ता अपनी किताब 'सुषमा स्वराज: द पीपल्स मिनिस्टर्स' में लिखती हैं कि दोनों गुटों के कार्यकर्ता रोज भिड़ रहे थे। इससे धारणा बनी कि पार्टी दिल्ली पर शासन करने में समर्थ नहीं है। इधर प्याज की बढ़ी कीमत, बिजली की किल्लत और दिल्ली में बिगड़ती कानून व्यवस्था के चलते भी सरकार बदनाम हो रही थी। कांग्रेस शीला दीक्षित को CM फेस के तौर पर प्रदेश अध्यक्ष बनाकर मैदान में उतार चुकी थी। शीला के मुकाबले के लिए भाजपा नेतृत्व को तेजतर्रार और दिल्ली को समझने वाली महिला लीडर की जरूरत थी। किसी तरह लाल कृष्ण आडवाणी ने सुषमा स्वराज से दिल्ली की बागडोर संभालने के हामी भरवाई। सीएम के तौर पर दिल्ली का बागडोर संभालने के लिए सुषमा स्वराज शर्त के साथ राजी हुईं। शर्त ये कि अगर उनके नेतृत्व में पार्टी विधानसभा चुनाव हार गई तो वे फिर केंद्र में आएंगी। संगठन ने शर्त मानी और साहिब सिंह वर्मा ने 11 अक्टूबर 1998 को CM पद के लिए सुषमा स्वराज के नाम का ऐलान कर दिया। इस बार रेखा गुप्ता के नाम का प्रस्ताव साहिब सिंह वर्मा के ही बेटी परवेज वर्मा ने रखा। महज 52 दिन दिल्ली की सीएम रहीं, प्याज की महंगाई से सत्ता गई सुषमा स्वराज सिर्फ 52 दिनों तक CM रहीं। उन्हें विधानसभा सत्र तक बुलाने का मौका नहीं मिला। चुनाव हुए तो प्याज की महंगाई कंट्रोल न कर पाने के कारण भाजपा के हाथ से सत्ता निकल गई। हालांकि सुषमा हौज खास से अपनी सीट बचाने में कामयाब रहीं। बावजूद इसके सुषमा ने शर्त के अनुसार विधायक पद से इस्तीफा दिया व दक्षिणी दिल्ली से सांसद बने रहने का फैसला किया। अरविंद केजरीवाल: सिवानी मंडी में जन्मे, 2013 में पहली बार CM बने रेखा गुप्ता से पहले दिल्ली की राजनीति का मुख्य चेहरा रहे आम आदमी पार्टी (AAP) के संयोजक अरविंद केजरीवाल का जन्म हरियाणा के जिला हिसार की सिवानी मंडी में हुआ था। साल 2011 में अरविंद केजरीवाल ने सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे के साथ मिलकर जन लोकपाल विधेयक को लागू करने की मांग करते हुए इंडिया अगेंस्ट करप्शन ग्रुप (IAC) का गठन किया। जन लोकपाल विधेयक की मांग को लेकर 16 अगस्त को दिल्ली के रामलीला मैदान में अन्ना हजारे भूख हड़ताल पर बैठ गए। ये आंदोलन 28 अगस्त तक चला। अन्ना हजारे के बाद अरविंद केजरीवाल इस आंदोलन का प्रमुख चेहरा बनकर उभरे। 2013 में पार्टी बनाई, पहली बार बने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने 24 नवंबर 2012 को आम आदमी पार्टी (AAP) बनाई गई। 2013 में आम आदमी पार्टी ने दिल्ली विधानसभा चुनाव लड़ा और अरविंद केजरीवाल ने कांग्रेस की पूर्व CM शीला दीक्षित को हरा दिया। इस चुनाव में आम आदमी पार्टी को बहुमत नहीं मिला था, लेकिन कांग्रेस ने सरकार में शामिल न होकर बाहर से समर्थन किया, जिसके दम पर अरविंद केजरीवाल दिल्ली के मुख्यमंत्री पद की कुर्सी पर बैठे। फिर 2015 में पार्टी ने 67 सीटें जीतीं। केजरीवाल दूसरी बार मुख्यमंत्री बने। 2020 के विधानसभा चुनाव में 62 सीटें जीतीं और केजरीवाल तीसरी बार मुख्यमंत्री बने। गिरफ्तारी, जमानत और इस्तीफा 2024 के लोकसभा चुनाव से एक महीने पहले केजरीवाल को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने शराब घोटाले के आरोप में गिरफ्तार किया। 13 सितंबर, 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दे दी। जेल से छूटने के कुछ दिनों बाद ही उन्होंने दिल्ली के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। फरवरी 2025 में आतिशी ने उनकी जगह मुख्यमंत्री पद संभाला। इस चुनाव में आम आदमी पार्टी को 22 और भाजपा को 48 सीट मिली। केजरीवाल विधानसभा में अपनी सीट भी हार गए। रेखा गुप्ता: परिवार हरियाणा से, दिल्ली में पली-बढ़ीं दिल्ली की नई CM रेखा गुप्ता का जन्म 19 जुलाई 1974 को हुआ था। उनके दादा मनीराम और परिवार के लोग हरियाणा के जुलाना में रहते थे। रेखा के पिता जयभगवान 1972-73 में बैंक ऑफ इंडिया में मैनेजर बने। उन्हें दिल्ली में ड्यूटी मिली। इसके बाद परिव

हरियाणा ने दिल्ली को तीसरा CM दिया:इनमें से 2 महिलाएं, दोनों की शुरुआत RSS से, वकील भी रहीं; केजरीवाल IRS अफसर
‘देसां म्ह देस हरियाणा, जित दूध-दही का खाणा’ कहावत वाले इस छोटे से स्टेट ने नई दिल्ली को तीसरा सीएम

हरियाणा ने दिल्ली को तीसरा CM दिया: इनमें से 2 महिलाएं, दोनों की शुरुआत RSS से, वकील भी रहीं; केजरीवाल IRS अफसर

हाल ही में हरियाणा ने दिल्ली के लिए तीसरे मुख्यमंत्री को चुना है। इस बार की बात यह है कि इनमें से दो महिलाएं हैं जो अपने करियर की शुरुआत राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से की थीं। इसके अतिरिक्त, दोनों ने पहले वकील के तौर पर भी कार्य किया है। यह बात निश्चित रूप से राजनीतिक क्षेत्र में एक नई दिशा की ओर इशारा करती है।

महिलाओं के लिए नया युग

दिल्ली की राजनीति में महिलाओं की भूमिका लगातार बढ़ रही है। RSS से जुड़े होने के कारण, ये महिलाएं न केवल सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों पर गहरी समझ रखती हैं, बल्कि वे कई राष्ट्रीय कार्यक्रमों में भी भाग ले चुकी हैं। उनका वकील होना उन्हें कानून व्यवस्था और न्यायिक प्रक्रिया की भी समझ देता है।

अरविंद केजरीवाल का IRS अफसर होना

दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, जो कि एक पूर्व IRS अधिकारी हैं, उनके कार्यकाल ने दिल्ली की राजनीति को एक नया मोड़ दिया है। उनके द्वारा उठाए गए मुद्दों और फैसले ने न केवल आम आदमी की ज़िंदगी पर असर डाला है, बल्कि राजनीतिक परिदृश्य को भी बदल दिया है।

इस नई परिस्थिति में, हम यह देखेंगे कि ये नए मुख्यमंत्री किस तरह से दिल्ली के विकास और कल्याण में योगदान देंगे। क्या उनकी पृष्ठभूमि इस नए दौर में कुछ अनोखा बदलाव ला सकेगी? समय ही बताएगा।

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