सुप्रीम कोर्ट के वक्फ एक्ट के फैसले पर हरीश रावत की प्रतिक्रिया: न्याय की उम्मीद

एफएनएन, देहरादून : कांग्रेस नेता हरीश रावत ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट वक्फ के इतिहास को भी जानता है और इसके साथ जुड़े हुए धार्मिक स्वतंत्रता के मुद्दे को भी जानता है और सरकार के उद्देश्य को भी जानता है। हम उम्मीद करते हैं कि अगर सरकार न्याय नहीं दे सकी है, सुप्रीम कोर्ट न्याय […] The post वक्फ एक्ट सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर हरीश रावत की प्रतिक्रिया, बोले- सरकार न्याय न दे तो कोर्ट देगा इंसाफ appeared first on Front News Network.

सुप्रीम कोर्ट के वक्फ एक्ट के फैसले पर हरीश रावत की प्रतिक्रिया: न्याय की उम्मीद
एफएनएन, देहरादून : कांग्रेस नेता हरीश रावत ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट वक्फ के इतिहास को भी जानता है और

वक्फ एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक निर्णय, हरीश रावत की प्रतिकिया

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कम शब्दों में कहें तो, कांग्रेस नेता हरीश रावत ने सुप्रीम कोर्ट के वक्फ एक्ट के केस में न्याय की उम्मीद जताई है और कहा है कि अगर सरकार न्याय प्रदान नहीं कर पाती, तो न्यायालय ही न्याय दिलाएगा।

एफएनएन, देहरादून: हाल ही में, कांग्रेस नेता हरीश रावत ने वक्फ एक्ट से जुड़े सुप्रीम कोर्ट के निर्णय पर अपनी राय व्यक्त की। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट वक्फ के इतिहास और इससे संबंधित धार्मिक स्वतंत्रता के मुद्दों को भली-भांति समझता है। उन्होंने यह भी बताया कि यह जानना महत्वपूर्ण है कि सरकार के इरादे स्पष्ट नहीं हैं और यदि वह न्याय नहीं दे पा रही है, तो उन्हें सुप्रीम कोर्ट पर विश्वास है कि वह उचित निर्णय देगा।

सुप्रीम कोर्ट का निर्णय और वक्फ संशोधन अधिनियम, 2025

सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ संशोधन अधिनियम, 2025 के एक महत्वपूर्ण प्रावधान पर रोक लगा दी है, जो किसी व्यक्ति से यह मांग करता था कि वह वक्फ बनाने के लिए कम से कम पांच वर्षों तक इस्लाम का अनुयायी रहा हो। न्यायालय ने कहा है कि यह प्रावधान तब तक लागू नहीं होगा जब तक इस बात को स्पष्ट करने के लिए नियम नहीं बन जाते कि कोई व्यक्ति इस्लाम का अनुयायी है या नहीं।

हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 के सभी प्रावधानों पर रोक लगाने से इनकार कर दिया, जबकि न्यायालय ने कुछ धाराओं को संरक्षण प्रदान करने की आवश्यकता को भी माना है।

कलेक्टर को अधिकार का विवाद

सर्वोच्च न्यायालय ने एक और महत्वपूर्ण प्रावधान पर रोक लगाई, जिसमें कलेक्टर को यह निर्धारित करने का अधिकार दिया गया था कि वक्फ के तहत घोषित संपत्ति सरकारी है या नहीं। अदालत ने यह स्पष्ट किया कि नागरिकों के व्यक्तिगत अधिकारों का न्याय देने के लिए कलेक्टर को ऐसा अधिकार नहीं दिया जा सकता, क्योंकि यह शक्तियों के पृथक्करण का उल्लंघन होगा।

वक्फ बोर्ड की संरचना में बदलाव

इसके अलावा, सुप्रीम कोर्ट ने यह निश्चित किया है कि वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम सदस्यों की संख्या तीन से अधिक नहीं होनी चाहिए। इससे पहले, वक्फ परिषदों में चार से अधिक गैर-मुस्लिम सदस्यों की मौजूदगी को स्वीकार नहीं किया गया।

निष्कर्ष

इस निर्णय से यह स्पष्ट होता है कि सुप्रीम कोर्ट वक्फ के मामलों में न्याय प्रणाली को मजबूती देने के लिए प्रतिबद्ध है। हरीश रावत के अनुसार, नागरिकों को न्याय मिलने की उम्मीदें अब न्यायालय पर टिकी हुई हैं। सरकार को चाहिए कि वह इन मुद्दों पर ध्यान दे और उचित कदम उठाए।

हम सभी को इन महत्वपूर्ण मुद्दों पर नज़र रखनी चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सभी को समान रूप से न्याय मिले। न्याय का मार्ग कठिन हो सकता है, लेकिन यह हम सभी के लिए आवश्यक है।

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सादर,

टीम धर्म युद्ध
स्मिता शर्मा