कांग्रेस में गुटबाजी का नया चरण! कार्यकर्ताओं के अलग-अलग नारे PCC चीफ की नाराजगी का कारण बने

अमित पवार, बैतूल. कांग्रेस में जारी गुटबाजी एक बार फिर मंच पर ही दिखाई दी है. बैतूल में कार्यकर्ताओं ने

कांग्रेस में गुटबाजी का नया चरण! कार्यकर्ताओं के अलग-अलग नारे PCC चीफ की नाराजगी का कारण बने
अमित पवार, बैतूल. कांग्रेस में जारी गुटबाजी एक बार फिर मंच पर ही दिखाई दी है. बैतूल में कार्यकर्ताओ

कांग्रेस में गुटबाजी का नया चरण! कार्यकर्ताओं के अलग-अलग नारे PCC चीफ की नाराजगी का कारण बने

अमित पवार, बैतूल। कांग्रेस पार्टी में जारी गुटबाजी ने एक बार फिर से अपने असली चेहरे को सामने ला दिया है। बैतूल में एक कार्यक्रम के दौरान पार्टी कार्यकर्ताओं ने विभिन्न नेताओं के समर्थन में नारेबाजी की, जिससे PCC चीफ जीतू पटवारी खासी नाराजगी जताते नजर आए। उन्होंने मंच पर ही तीन वरिष्ठ नेताओं को गले लगाने का अनुरोध किया, जो पार्टी के आंतरिक मतभेदों को उजागर करने वाला एक प्रतीक बन गया।

कार्यक्रम और कार्यकर्ताओं की नाराज़गी

बैतूल स्थित प्रभातपट्टन में आयोजित कांग्रेस के संगठन सृजन अभियान के तहत जब यह कार्यक्रम शुरू हुआ, तभी कार्यकर्ताओं ने अलग-अलग नेताओं के समर्थन में नारे लगाना शुरू कर दिया। यह न केवल असंगत घटना थी, बल्कि यह दर्शाता है कि पार्टी में एकजुटता की गंभीर कमी है। PCC चीफ जीतू पटवारी ने इस पर अपनी गहरी चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि इसी वजह से कांग्रेस पिछले 25 वर्षों से सत्ता से दूर है।

जीतू पटवारी की प्रतिक्रिया

जीतू पटवारी ने तुरंत मंच पर तीन प्रमुख नेताओं को बुलाया और उन्हें गले लगाने का निर्देश दिया। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि यदि पार्टी एकजुट नहीं होगी तो उसके सत्ता में लौटने की कोई संभावना नहीं है। उनका यह बयान न केवल पार्टी के भीतर की असहमति का संकेत था, बल्कि यह कार्यकर्ताओं के मनोबल को भी कमजोर करने का कार्य कर रहा है। इस गुटबाजी ने कांग्रेस की छवि को भी धूमिल किया है।

सामाजिक संतुलन की आवश्यकता

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि कांग्रेस को अपने कार्यकर्ताओं के बीच सामंजस्य स्थापित करने के लिए अपनी रणनीतियों में सुधार करना होगा। यदि पार्टी इस समस्या का उचित समाधान नहीं करती, तो यह आगामी चुनावों में गंभीर चुनौती साबित हो सकती है। यह समय है कि पार्टी के नेता अपने पूर्वजों के मूल सिद्धांतों पर लौटें और सभी कार्यकर्ताओं को साथ लेकर चलें। ऐसे में, कार्यकर्ताओं को अपने मुद्दों को उठाने में एकजुटता का परिचय देना होगा।

वर्तमान स्थिति का विश्लेषण

कांग्रेस पार्टी की आंतरिक गुटबाजी ने एक बार फिर से सत्ता में लौटने की संभावनाओं को धूमिल कर दिया है। बैतूल के इस कार्यक्रम ने स्पष्ट कर दिया है कि पार्टी को अपनी आंतरिक समस्याओं का तुरंत समाधान करना होगा। आगामी चुनावों की तैयारी में यह आवश्यक है कि पार्टी के नेता और कार्यकर्ता मिलजुलकर काम करें। यदि गुटबाजी का यह सिलसिला जारी रहा, तो कांग्रेस को एक नई चुनौती का सामना करना पड़ सकता है।

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इस घटना ने न केवल बैतूल, बल्कि मध्य प्रदेश की राजनीति पर गहरा असर डाला है। क्या कांग्रेस अपने कार्यकर्ताओं को फिर से एकजुट कर पाएगी? यह एक महत्वपूर्ण प्रश्न है जिसका उत्तर आने वाला समय ही देगा।

कम शब्दों में कहें तो, कांग्रेस पार्टी की गुटबाजी ने आगामी चुनावों में उसकी स्थिति पर निगेटिव प्रभाव डाला है। कार्यकर्ताओं के बीच एकता की कमी गंभीर चिंता का विषय है।

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