दिव्यांगों का मुख्यमंत्री आवास की ओर कूच, प्रदर्शन में कई लोग हिरासत में लिए गए

दिव्यांगों का मुख्यमंत्री आवास कूच…जमकर किया प्रदर्शन, पुलिस ने कई लोगों को हिरासत में लिया दिव्यांगों ने मांग रखी कि उनकी पेंशन को 1500 से बढ़ाकर पांच हजार रुपये किया जाए। इसके अलावा बिना इंटरेस्ट के लोन दिया जाए। पेंशन बढ़ाने व रोजगार देने समेत विभिन्न मांगो को लेकर दिव्यांगों ने मुख्यमंत्री आवास कूच किया। […] The post दिव्यांगों का सीएम आवास कूच, जोरदार प्रदर्शन के बीच कई हिरासत में appeared first on The Lifeline Today : हिंदी न्यूज़ पोर्टल.

दिव्यांगों का मुख्यमंत्री आवास की ओर कूच, प्रदर्शन में कई लोग हिरासत में लिए गए
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दिव्यांगों का मुख्यमंत्री आवास की ओर कूच, प्रदर्शन में कई लोग हिरासत में लिए गए

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कम शब्दों में कहें तो

दिव्यांगों ने मुख्यमंत्री आवास की ओर कूच कर जोरदार प्रदर्शन किया, जिसमें कई लोगों को हिरासत में लिया गया। उनकी मुख्य मांगें पेंशन बढ़ाकर पांच हजार रुपये करने और बिना इंटरेस्ट के लोन प्रदान करने की थीं।

प्रदर्शन की पृष्ठभूमि

उत्तराखंड में, दिव्यांगों ने अपनी पेंशन को 1500 से बढ़ाकर 5000 रुपये करने और संबंधित रोजगार अवसर प्रदान करने के लिए मुख्यमंत्री आवास की तरफ कूच किया। इस दौरान, दिव्यांगों ने अपनी मांगों को लेकर जोरदार प्रदर्शन किया। उनके इस आन्दोलन में कई दिव्यांग संगठन भी शामिल हुए, जो उत्तराखंड के विभिन्न शहरों से आए थे।

पुलिस की प्रतिक्रिया

प्रदर्शन के दौरान, पुलिस ने हाथीबड़कला क्षेत्र में दिव्यांगों को रोकने का प्रयास किया। इसके बावजूद, वे मुख्यमंत्री आवास के सामने पहुंचने में सफल हुए और अपनी मांगों को लेकर एकजुट होकर प्रदर्शन किया। प्रदर्शन के दौरान, एसएसपी अजय सिंह और सिटी मजिस्ट्रेट प्रत्यूष सिंह ने भी दिव्यांगों से बातचीत की और उन्हें समझाने का प्रयास किया।

मांगों का महत्व

दिव्यांगों ने विभिन्न मांगें रखी, जिनमें मुख्यतः पेंशन बढ़ाने और रोजगार के अवसर सुनिश्चित करने की बात शामिल थी। दिव्यांगता के कारण आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को अधिक समर्थन की आवश्यकता है, और उनकी ये मांगें समाज के एक महत्वपूर्ण हिस्से की आवाज़ हैं।

डेमोक्रेटिक प्रक्रिया का सम्मान

यह प्रदर्शन इस बात का प्रतीक है कि दिव्यांगों की आवाज़ को सुना जाना चाहिए। सरकार को उनकी आवश्यकताओं पर ध्यान देने और उनकी मांगों को तत्परता से पूरा करने की आवश्यकता है। समाज में समर्पित समर्थन देकर हम एक समावेशी और जागरूक परंपरा का निर्माण कर सकते हैं।

निष्कर्ष

दिव्यांगों के इस प्रदर्शन ने न केवल उनकी समस्याओं को उजागर किया, बल्कि समाज के अन्य हिस्सों को भी यह सोचने पर मजबूर किया कि वे कैसे इनकी मदद कर सकते हैं। उम्मीद की जा रही है कि सरकार जल्द ही उनकी मांगों की गंभीरता को समझेगी और आवश्यक कदम उठाएगी।

इसके अलावा, दिव्यांगों को बिना इंटरेस्ट के लोन देकर उन्हें आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में भी अपनी नीति में बदलाव करना चाहिए। ऐसे कई दृष्टांत हैं, जहाँ दिव्यांगों ने अगर उन्हें सही अवसर मिला तो उन्होंने समाज में सकारात्मक बदलाव लाने में मदद की है।

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साभार,
टीम धर्म युद्ध
सुमन शर्मा