बारिश में नशे में चूर बुजुर्ग का हंगामा, राहगीर बने परेशान, देखें वीडियो

सुदीप उपाध्याय, बलरामपुर। बरसात का मौसम शौकिनों के लिए खुशी, आनंद और मौज-मस्ती का होता है, लेकिन अगर इस दौरान

बारिश में नशे में चूर बुजुर्ग का हंगामा, राहगीर बने परेशान, देखें वीडियो
सुदीप उपाध्याय, बलरामपुर। बरसात का मौसम शौकिनों के लिए खुशी, आनंद और मौज-मस्ती का होता है, लेकिन अग

बारिश में नशे में चूर बुजुर्ग का हंगामा, राहगीर बने परेशान, देखें वीडियो

सुदीप उपाध्याय, बलरामपुर। बरसात का मौसम जहां एक ओर लोगों के लिए खुशी, आनंद और मौज-मस्ती का प्रतीक होता है, वहीं दूसरी ओर यदि कोई इस दौरान नशे में धुत हो जाए, तो वह दूसरों के लिए परेशानी का सबब बन सकता है। ऐसा ही कुछ बलरामपुर के वाड्रफनगर के करमडीहा गांव में देखने को मिला, जहां एक बुजुर्ग शराब के नशे में सड़क पर अराजकता फैलाने लगा।

हंगामा का कारण - नशे की लत

जानकारी के मुताबिक, करमडीहा गांव के निवासी छोटेलाल कन्नौजिया, जो झाड़-फूंक का कार्य करते हैं, तेज बारिश के बीच शराब के नशे में धुत होकर अर्द्धनग्न अवस्था में सड़क पर उत्पात मचाने लगे। वे कभी कारों के सामने लेट जाते थे तो कभी अन्य वाहनों के सामने मार्ग अवरुद्ध कर देते थे। इस नज़ारे को देखकर राहगीरों और स्थानीय व्यापारियों में हड़कंप मच गया और सभी इस अप्रत्याशित स्थिति को लेकर चिंतित हो गए।

पुलिस का हस्तक्षेप

इस स्थिति से भयभीत राहगीरों ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए पुलिस को सूचित किया। पुलिस मौके पर पहुंची और काफी मशक्कत के बाद बुजुर्ग को काबू किया। उन्हें उनके परिजनों के हवाले कर दिया गया। इस घटना ने कई वाहनों की आवाजाही को प्रभावित किया क्योंकि बारिश के कारण गति धीमी थी, और ऐसा प्रतीत हुआ कि एक बड़ा हादसा टल गया।

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सुरक्षा एवं जागरूकता का महत्व

यह घटनाक्रम एक बार फिर से नशे की गंभीरता का अहसास कराता है। न सिर्फ एक व्यक्ति की जिंदगी पर इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ता है, बल्कि इससे समाज भी प्रभावित होता है। यह हम सबके लिए एक चेतावनी है कि हमें नशे के खिलाफ जागरूक रहना चाहिए ताकि ऐसी घटनाएं दोबारा न हों।

स्थानीय प्रशासन को नशे की रोकथाम के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए। जागरूकता कैंप और कार्यशालाओं का आयोजन कर लोगों को इस समस्या के प्रति सजग किया जा सकता है।

जैसे जैसे बारिश का मौसम हमें खुशी प्रदान करता है, वहीं नशे की समस्याएं एक अलग ही चिन्ता का विषय बन जाती हैं। इस स्थिति को दोबारा न बदलने देने के लिए समाज को एकजुट होकर कार्य करने की आवश्यकता है।

कम शब्दों में कहें तो, हमें एक सहानुभूतिपूर्ण और सुरक्षित समाज की स्थापना करनी होगी ताकि इस तरह की घटनाओं से बचा जा सके।

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सादर,
टीम धर्म युद्ध,
अनुश्री