बेटा कर रहा घर से बाहर बुजुर्ग की गुहार पर डीएम ने तलब की रिपोर्ट

देहरादून: जिलाधिकारी सविन बंसल की अध्यक्षता में ऋषिपर्णा सभागार कलेक्टेªट में जनता दर्शन कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जनता दर्शन में आज 150 से अधिक शिकायतें प्राप्त हुई अधिकतर मामले भूमि विवाद सम्बन्धी प्राप्त हुए इसके अतिरक्त नगर निगम, एमडीडीए, लोनिवि, जिला पंचायत, पुलिस, वन, विद्युत आदि विभागों से सम्बन्धित प्राप्त हुई। चुक्खुवाला निवासी सुशीला […] The post बेटा कर रहा घर से बाहर बुजुर्ग की गुहार पर डीएम ने तलब की रिपोर्ट appeared first on Pahadi Khabarnama पहाड़ी खबरनामा.

बेटा कर रहा घर से बाहर बुजुर्ग की गुहार पर डीएम ने तलब की रिपोर्ट
देहरादून: जिलाधिकारी सविन बंसल की अध्यक्षता में ऋषिपर्णा सभागार कलेक्टेªट में जनता दर्शन कार्य�

बेटा कर रहा घर से बाहर बुजुर्ग की गुहार पर डीएम ने तलब की रिपोर्ट

देहरादून: जिलाधिकारी सविन बंसल की अध्यक्षता में ऋषिपर्णा सभागार कलेक्टेªट में जनता दर्शन कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में आज 150 से अधिक शिकायतें प्राप्त हुई, जिनमें से अधिकतर मामले भूमि विवाद से संबंधित थे। इसके साथ ही नगर निगम, एमडीडीए, लोनिवि, जिला पंचायत, पुलिस, वन, विद्युत आदि विभागों से संबंधित शिकायतें भी प्रस्तुत की गईं। यह घटना बुजुर्गों की समस्याओं को लेकर समाज में हो रहे जागरूकता के संकेत देती है।

बुजुर्गों की गुहार और प्रशासन की जिम्मेदारी

जनता दर्शन में बुजुर्गों के अधिकारों की रक्षा और उनकी समस्याओं को सुलझाने का एक प्रमुख नेतृत्व स्थापित किया गया है। चुक्खुवाला निवासी सुशीला देवी ने अपने बेटे की कर्तव्यहीनता का हवाला देते हुए जिलाधिकारी के समक्ष अपने दर्द को व्यक्त किया। उन्होंने बताया कि उनका बेटा उन्हें घर से बाहर निकलने के लिए मजबूर कर रहा है, जिससे उनकी मानसिक और शारीरिक स्थिति प्रभावित हो रही है। इस घटना ने उस सोच को बढ़ावा दिया है कि आधुनिक समाज में बुजुर्गों का अधिकार और उनका सम्मान न केवल परिवारों, बल्कि सरकार पर भी निर्भर करती है।

डीएम का त्वरित एक्शन

जिलाधिकारी सविन बंसल ने सुशीला देवी की बात को गंभीरता से लेते हुए उनके मामले पर एक रिपोर्ट तलब की। उन्होंने स्पष्ट किया कि कोई भी बुजुर्ग अकेला महसूस न करे, और उनके अधिकारों की रक्षा करना प्रशासन की जिम्मेदारी है। इस तरह के मामलों पर त्वरित कार्रवाई करने का प्रशासन का यह प्रयास बुजुर्गों के प्रति संवेदनशीलता को दर्शाता है। यह घटना न केवल सुशीला देवी के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि अन्य बुजुर्गों के लिए भी एक प्रेरणा स्रोत बन सकती है, जो कि अपनी समस्याओं को व्यक्त करने में हिचकिचाते हैं।

शिकायतों का समाधान और समाज की भूमिका

जनता दर्शन के दौरान मिली शिकायतों के समाधान के लिए जिलाधिकारी ने अन्य विभागों को भी निर्देश दिए हैं कि वे समय सीमा के भीतर आवश्यक कार्यवाही करें। इसके अतिरिक्त, उन्होंने यह भी कहा कि समाज को भी बुजुर्गों के प्रति संवेदनशील होना चाहिए और उनके साथ सम्मानपूर्वक व्यवहार करना चाहिए। इस घटना के द्वारा यह स्पष्ट होता है कि बुजुर्गों की गरिमा और उनके अधिकारों का संरक्षण एक सामाजिक जिम्मेदारी है।

निष्कर्ष

इस घटना ने यह सिद्ध कर दिया है कि कोई भी बुजुर्ग अपने अधिकारों की रक्षा के लिए आवाज उठा सकता है और प्रशासन उनके समर्थन में खड़ा रहेगा। फिर चाहे वह भू-संबंधित विवाद हो या पारिवारिक समस्याएं, प्रशासन द्वारा हर संभव सहायता प्रदान की जाएगी। इस प्रकार, बुजुर्गों के सम्मान की दिशा में यह प्रयास केवल एक आरंभ है, जो न केवल उनके लिए बल्कि समस्त समाज के लिए महत्वपूर्ण है।

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