उत्तराखंड विधानसभा का मानसून सत्र: महज डेढ़ दिन में खत्म हुई कार्यवाही
भराड़ीसैंण (चमोली) : उत्तराखंड विधानसभा का चार दिवसीय मानसून सत्र, जो 19 अगस्त से 22 अगस्त तक चलना था, हंगामे और विपक्ष के तीव्र विरोध के चलते महज लगभग 2 घंटे 40 मिनट की कार्यवाही के बाद अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया। इस अल्प अवधि में 9 महत्वपूर्ण विधेयक ध्वनिमत से पारित कर दिए […] The post डेढ़ दिन में सिमटा उत्तराखंड विधानसभा का मानसून सत्र appeared first on The Lifeline Today : हिंदी न्यूज़ पोर्टल.

उत्तराखंड विधानसभा का मानसून सत्र: महज डेढ़ दिन में खत्म हुई कार्यवाही
भराड़ीसैंण (चमोली): उत्तराखंड विधानसभा का चार दिवसीय मानसून सत्र, जो कि 19 अगस्त से 22 अगस्त तक चलने वाला था, हंगामे और विपक्ष के तीव्र विरोध के चलते केवल लगभग 2 घंटे 40 मिनट की कार्यवाही के बाद अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया। इस अल्प अवधि में 9 महत्वपूर्ण विधेयक ध्वनिमत से पारित किए गए, साथ ही 5315 करोड़ रुपये का अनुपूरक बजट भी मंजूर कर दिया गया।
पारित हुए 9 विधेयकों की सूची एवं प्रमुख बिंदु
- उत्तराखंड अनुपूरक विनियोग विधेयक, 2025 – अतिरिक्त वित्तीय व्यवस्था हेतु 5315 करोड़ रुपये शामिल।
- श्री बदरीनाथ एवं श्री केदारनाथ मंदिर (संशोधन) विधीयक, 2025 – धर्मस्थलों से जुड़े प्रावधानों में संशोधन।
- धर्म स्वतंत्रता और विधि-विरुद्ध धर्म परिवर्तन (संशोधन) विधेयक, 2025 – जबरन धर्मांतरण पर उम्रकैद और 10 लाख रुपये तक जुर्माने का प्रावधान।
- निजी विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक, 2025 – निजी विश्वविद्यालयों के नियमन संबंधी संशोधन।
- साक्षी संरक्षण निरसन विधेयक, 2025 – गवाह सुरक्षा कानून का निरसन/संशोधन।
- अल्पसंख्यक शिक्षा विधेयक, 2025 – सभी अल्पसंख्यक समुदायों के लिए प्राधिकरण स्थापित करना और मदरसों को मान्यता।
- समान नागरिक संहिता (संशोधन) विधेयक, 2025 – लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वालों के लिए दंड बढ़ाना।
- पंचायती राज (संशोधन) विधेयक, 2025 – पंचायतों के सन्दर्भ में संशोधन।
- लोकतंत्र सेनानी सम्मान विधेयक, 2025 – लोकतंत्र के लिए योगदानकर्ताओं को सम्मानित करने का प्रावधान।
तथ्य और विश्लेषण
चार दिन का सत्र महज़ डेढ़ दिन में क्यों समाप्त हुआ?
चार दिवसीय सत्र का केवल डेढ़ दिन में समाप्त होना—करीब 2 घंटे 40 मिनट की कार्यवाही—विधायी प्रक्रिया पर गंभीर प्रश्न खड़ा करता है। सदन का मुख्य उद्देश्य बहस और विमर्श है, लेकिन इस बार विधेयक बिना किसी महत्वपूर्ण चर्चा के पारित हो गए।
लोकतांत्रिक परंपरा पर प्रभाव
इतनी जल्दी विधेयकों को पारित करना लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं की अनदेखी माना जा सकता है। इसे सामान्यतः अपेक्षित प्रक्रिया के अनुसार विधेयक पर विस्तृत चर्चा की आवश्यकता होती है, ताकि जनता को सभी पहलुओं की जानकारी हो सके।
विपक्ष का प्रदर्शन
कांग्रेस विधायकों ने बेरोजगारी, भ्रष्टाचार और आपदा प्रबंधन जैसे मुद्दों पर सरकार को घेरते हुए सदन में विरोध प्रदर्शन किया। धरना, नारेबाजी और बहिर्गमन के कारण स्थिति तनावपूर्ण हो गई। विपक्ष का आरोप है कि सरकार ने उनकी आवाज़ों को दबाकर विधेयकों को पारित किया, जबकि सरकार का कहना है कि जनहित को ध्यान में रखते हुए विधेयक पारित करना आवश्यक था।
निष्कर्ष
इस प्रकार मानसून सत्र का अल्प समय में समाप्त होना न केवल राजनीतिक चर्चा को बढ़ावा देता है बल्कि लोकतांत्रिक कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े करता है। क्या तेज़ी से विधेयक पारित करना विकास के लिए आवश्यक था, या इससे लोकतांत्रिक विमर्श की गुणवत्ता को नुकसान पहुंचा है? अगली बार विधानसभा सत्र में क्या सरकार इस प्रक्रिया में पारदर्शिता और गहराई लाएगी, यह देखना दिलचस्प होगा।
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Written by: Team Dharm Yuddh