यशवंत वर्मा के आवास से जली हुई नकदी के बंडल मिलने के बाद, विपक्ष और सत्ता पक्ष के सांसदों ने उनके खिलाफ नोटिस सौंपे
एफएनएन, नई दिल्ली : न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा को उनके पद से हटाने की प्रक्रिया तेज हो गई है। दिल्ली में मौजूद उनके आवास से जली हुई नकदी के बंडल मिलने के बाद विपक्ष और सत्ता पक्ष के सांसदों ने लोकसभा अध्यक्ष और राज्यसभा के सभापति को उनके खिलाफ नोटिस सौंपे हैं। यशवंत वर्मा को इस […] The post यशवंत वर्मा के आवास से जली हुई नकदी के बंडल मिलने के बाद, विपक्ष और सत्ता पक्ष के सांसदों ने उनके खिलाफ नोटिस सौंपे appeared first on Front News Network.

यशवंत वर्मा के आवास से जली हुई नकदी के बंडल मिलने के बाद, विपक्ष और सत्ता पक्ष के सांसदों ने उनके खिलाफ नोटिस सौंपे
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एफएनएन, नई दिल्ली : न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा को उनके पद से हटाने की प्रक्रिया तेज हो गई है। दिल्ली में मौजूद उनके आवास से जली हुई नकदी के बंडल मिलने के बाद, विपक्ष और सत्ता पक्ष के सांसदों ने लोकसभा अध्यक्ष और राज्यसभा के सभापति को उनके खिलाफ नोटिस सौंपे हैं। इस घटनाक्रम ने पूरे राजनीतिक दंगल में हलचल पैदा कर दी है।
न्यायमूर्ति वर्मा की संलिप्तता पर सवाल
जानकारी के अनुसार, न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के दिल्ली स्थित आवास से बरामद जली हुई नकदी ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। इसकी गंभीरता को देखते हुए, न्यायमूर्ति वर्मा को दिल्ली हाई कोर्ट से वापस इलाहाबाद हाई कोर्ट भेज दिया गया है। क्या यह केवल एक संयोग है या इसके पीछे किसी बड़े षड्यंत्र की बू आ रही है? विपक्षी दल इससे जुड़े हर पक्ष को ध्यान में रखते हुए कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।
संसद में जारी हैं नोटिस
लोकसभा में 145 सांसदों ने एक साथ मिलकर न्यायमूर्ति वर्मा को हटाने के लिए नोटिस दिया है। इसमें विपक्ष के नेता राहुल गांधी, भाजपा के रविशंकर प्रसाद और अनुराग ठाकुर जैसे दिग्गज नेताओं के नाम शामिल हैं। साथ ही, राज्यसभा में 63 सांसदों ने भी इसी मांग के साथ नोटिस सौंपा है, जिसमें कांग्रेस सांसद सैयद नसीर हुसैन के नेतृत्व में आम आदमी पार्टी और विपक्षी इंडिया गठबंधन के सांसदों का समर्थन भी शामिल है।
संविधान की प्रक्रिया क्या है?
संविधान के अनुच्छेद 124, 217 और 218 के तहत न्यायाधीश को हटाने की प्रक्रिया स्पष्ट की गई है। इसमें अनिवार्य है कि लोकसभा में कम से कम 100 और राज्यसभा में कम से कम 50 सांसदों के हस्ताक्षर हों। अगर नोटिस स्वीकार किया जाता है, तो एक जांच समिति बनाई जाएगी जिसमें एक वरिष्ठ सुप्रीम कोर्ट जज, एक हाई कोर्ट के मौजूदा मुख्य न्यायाधीश और एक कानून विशेषज्ञ शामिल होंगे।
क्या है न्यायमूर्ति वर्मा पर आरोप?
जिन जले हुए नोटों की बरामदगी हुई है, वह सीधे तौर पर न्यायमूर्ति वर्मा से जुड़ी हुई हैं। प्रारंभिक जांच में यह सूचित किया गया है कि जिस कमरे में नकदी मिली, वहां न्यायमूर्ति वर्मा और उनके परिवार का सीधा या अप्रत्यक्ष नियंत्रण था। उन पर गंभीर अनुशासनहीनता का आरोप लगाया गया है।
राजनीतिक परिदृश्य में प्रभाव
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने उल्लेख किया कि इससे पहले 13 दिसंबर 2024 को न्यायमूर्ति शेखर यादव को हटाने के लिए राज्यसभा में इसी तरह का नोटिस दिया गया था। ऐसे मामलों से यह साफ है कि संवैधानिक कार्यप्रणाली कितनी मजबूत है, फिर भी राजनीतिक दबाव का सामना करना पड़ जाता है।
संक्षेप में, यशवंत वर्मा के मामले को लेकर कर्रवाई तेजी से आगे बढ़ रही है। इससे यह स्पष्ट होता है कि भारतीय राजनीति में पारदर्शिता और जवाबदेही की आवश्यकता कितनी महत्वपूर्ण है। ट्रैफिक बढ़ाने और सूचनाओं की प्रगति के लिए, अधिक अपडेट के लिए यहां क्लिक करें.