महाविद्यालय परिसर में छात्र-छात्राओं व शिक्षणगणों ने किया पौधारोपण
एफएनएन, नानकमत्ता: नगर के श्री गुरुनानक स्नातकोत्तर महाविद्यालय, नानकमत्ता साहिब के तत्वाधान में हरेला पर्व के उपलक्ष्य में महाविद्यालय में अध्ययनरत छात्र-छात्राओं शिक्षकगणों एवं शिक्षणेत्तर कर्मचारियों द्वारा महाविद्यालय परिसर में फलदार एवं छायादार पौधों का रोपण किया। महाविद्यालय प्राचार्य डॉ. सीता मेहता ने सभी उपस्थितजनों को पर्यावरण संरक्षण को संस्कृति से जोड़ने वाले पारंपरिक पर्व […] The post महाविद्यालय परिसर में छात्र-छात्राओं व शिक्षणगणों ने किया पौधारोपण appeared first on Front News Network.

महाविद्यालय परिसर में छात्र-छात्राओं व शिक्षणगणों ने किया पौधारोपण
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एफएनएन, नानकमत्ता: नगर के श्री गुरुनानक स्नातकोत्तर महाविद्यालय, नानकमत्ता साहिब के तत्वाधान में हरेला पर्व के उपलक्ष्य में महाविद्यालय में अध्ययनरत छात्र-छात्राओं, शिक्षकगणों एवं शिक्षणेतर कर्मचारियों द्वारा महाविद्यालय परिसर में फलदार एवं छायादार पौधों का रोपण किया गया। इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम का उद्देश्य न केवल पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देना था, बल्कि संस्कृति के इस पर्व को नई पीढ़ी से जोड़ना भी था। महाविद्यालय प्राचार्य डॉ. सीता मेहता ने सभी उपस्थितजनों को पर्यावरण संरक्षण की दिशा में प्रेरित करते हुए शुभकामनाएँ दी।
हरेला पर्व और पर्यावरण का महत्व
प्राचार्य महोदया ने कहा कि देवभूमि उत्तराखंड धर्म, अध्यात्म और संस्कृति का केन्द्र है। यहाँ की जैव विविधताओं और प्राकृतिक सौंदर्य की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि पर्यावरण संरक्षण हमारे लिए अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने सभी उपस्थितों से आग्रह किया कि वे प्रकृति की रक्षा में सक्रिय भागीदारी निभाएँ और इसे अपनी संस्कृति का एक अभिन्न हिस्सा मानें।
बीएड विभाग की प्रमुख डॉ. इंदु बाला ने भी हरेला पर्व की महत्ता को रेखांकित करते हुए कहा, "पौधारोपण और प्रकृति के संरक्षण से ही हम भविष्य में शुद्ध हवा और जल प्राप्त कर सकते हैं। यह हम सभी की जिम्मेदारी बनती है कि हम अपनी अगली पीढ़ी के लिए एक स्वस्थ वातावरण तैयार करें।"
छात्रों की सक्रिय भागीदारी
इस कार्यक्रम में छात्र-छात्राओं की सक्रिय भागीदारी देखने को मिली, जिसमें पंकज सिंह बोहरा, बरुण सक्सेना, प्रगति राना, पूनम राना, देव राम और दुर्गानाथ गोस्वामी जैसे कई छात्र शामिल थे। उन्होंने न केवल पौधों को रोपित किया, बल्कि यह जागरूकता भी फैलाई कि पौधों का संरक्षण सभी नागरिकों की जिम्मेदारी है।
संस्कृति और प्रकृति का जुड़ाव
इस कार्यक्रम के माध्यम से महाविद्यालय ने यह सिद्ध किया कि हमारे पारंपरिक पर्व न केवल उत्सव हैं, बल्कि ये हमें पर्यावरण संरक्षण की ओर भी प्रेरित करते हैं। आज के इस आधुनिक युग में भी, ऐसे आयोजन युवा पीढ़ी को सही दिशा में ले जा सकते हैं और हमें अपने पर्यावरण की रक्षा करने की प्रेरणा देते हैं।
निष्कर्ष
इन सभी प्रयासों से यह स्पष्ट होता है कि हमारे स्कूल और महाविद्यालय न केवल शिक्षा का केन्द्र हैं, बल्कि वे पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता फैलाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इस प्रकार के आयोजनों से भविष्य की पीढ़ी को सही दिशा में आगे बढ़ाने का एक आधार मिलता है। पौधों के प्रति हमारी यह प्रतिबद्धता हमें न केवल एक स्वस्थ वातावरण प्रदान करेगी, बल्कि पर्यावरण के प्रति हमारी जिम्मेदारी को भी उजागर करेगी।