सब्र का ब्रेकर टूटा: गड्ढों से परेशान लोगों ने NH-130 पर लगाया जाम, भारी वाहनों की शहर के बीच आवाजाही पर लगाई रोक की मांग
रोहित कश्यप, मुंगेली। जिले के बरेला में गुरुवार को लोगों का सब्र जवाब दे गया। जब राष्ट्रीय राजमार्ग 130 की

सब्र का ब्रेकर टूटा: गड्ढों से परेशान लोगों ने NH-130 पर लगाया जाम, भारी वाहनों की शहर के बीच आवाजाही पर लगाई रोक की मांग
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रोहित कश्यप, मुंगेली। जिले के बरेला में गुरुवार को लोगों का सब्र जवाब दे गया। जब राष्ट्रीय राजमार्ग 130 की जर्जर हालत और उस पर बेलगाम दौड़ते भारी वाहनों की वजह से नाराज़ जनता ने खुद मोर्चा संभाल लिया और सड़क पर उतरकर चक्काजाम कर दिया। जिससे लगभग एक घंटे तक हाईवे ठप रहा और दोनों ओर वाहनों की लंबी कतारें लग गईं। इसी सूचना मिलते है पुलिस और प्रशासन को मौके पर आकर आक्रोशित लोगों को समझाइश देना पड़ा।
क्या है मामला?
बरेला से होकर गुजरने वाली NH-130 की सड़क गड्ढों से छलनी हो चुकी है। दिन-रात गुजरते भारी वाहनों की वजह से हालात और भी बदतर हो गए हैं। न पैदल चलना सुरक्षित, न दोपहिया चलाना आसान।यहाँ तक तखतपुर और बरेला के बीच में संकरे व जर्जर पुल राहगीर व स्थानीय लोगों के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है।
जनता की मांगें
प्रदर्शनकारियों ने कई मुख्य मांगें उठाईं, जिनमें शामिल हैं:
- भारी वाहनों की शहर के भीतर एंट्री पर तत्काल रोक लगे।
- ट्रकों और डंपरों की सभी आवाजाही केवल बायपास से हो।
- बरेला की सड़क की तत्काल मरम्मत और मजबूती की जाए।
- बरेला के पुल का नवनिर्माण किया जाए।
- ट्रैफिक नियमों का कड़ाई से पालन कराया जाए।
एक घंटे तक फंसा रहा NH-130
रात करीब 8 बजे से शुरू हुआ चक्काजाम लगभग एक घंटे तक चला। सड़क के दोनों ओर वाहनों की लंबी कतारें लग गईं। हालात को काबू में करने के लिए पुलिस और प्रशासन को मोर्चा संभालना पड़ा।
बायपास है तो शहर में ट्रक क्यों?
प्रदर्शन कर रहे लोगों का कहना है कि जब बायपास रोड बना हुआ है, तो ट्रक और डंपर क्यों शहर के भीतर से गुजरते हैं? ये न सिर्फ सड़क तोड़ते हैं, बल्कि हर दिन लोगों की जान पर भी बन आती है।
लोगों ने प्रशासन को दिया अल्टीमेटम
प्रशासन के समझाने पर प्रदर्शन कर रहे लोगों ने फिलहाल जाम हटा लिया, लेकिन उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर जल्दी समाधान नहीं निकला, तो आंदोलन और भी उग्र होगा।
बरेला जैसे सामुदायिक मुद्दों को ध्यान में रखते हुए, यह स्पष्ट है कि स्थानीय प्रशासन को समस्या का समाधान प्राथमिकता देकर करना होगा। अन्यथा, ऐसी प्रोटेस्ट और जन आंदोलन देश के विभिन्न भागों में बढ़ते नजर आ सकते हैं। इस संदर्भ में, लोगों की आवाज और समुदायों का सहयोग बेहद ज़रूरी है।