Rajasthan News: राजस्थान में 12वीं की किताब पर विवाद; गांधी-नेहरू परिवार पर केंद्रित, पीएम मोदी और अन्य भाजपा नेताओं का जिक्र गायब
Rajasthan News: राजस्थान में कक्षा 12 की इतिहास पुस्तक ‘आज़ादी के बाद स्वर्णिम इतिहास’ को लेकर विवाद खड़ा हो गया

Rajasthan News: विवादित 12वीं की किताब में गहराई; गांधी-नेहरू परिवार पर केंद्रित, पीएम मोदी का जिक्र गायब
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राजस्थान में कक्षा 12 की इतिहास पुस्तक 'आज़ादी के बाद स्वर्णिम इतिहास' को लेकर एक नया विवाद खड़ा हो गया है। इस पुस्तक में महात्मा गांधी, पंडित नेहरू, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी और मनमोहन सिंह जैसे कांग्रेस से जुड़े नेताओं को बड़ी जगह दी गई है, जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अटल बिहारी वाजपेयी, भैरोंसिंह शेखावत और वसुंधरा राजे जैसे नेताओं का उल्लेख गायब है।
पुस्तक की सामग्री और विवाद
पुस्तक में 15 से अधिक तस्वीरें कांग्रेस के नेताओं की हैं, जिनमें सोनिया गांधी और अशोक गहलोत भी शामिल हैं। इस पुस्तक के कवर और अंदरूनी पन्नों पर मोदी का एक चित्र भी नहीं है। यह देखकर शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने इस पर आपत्ति जताते हुए कहा कि यह पूरी तरह से कांग्रेस की महिमा गान करती है और देश को आगे बढ़ाने वाले नेताओं को अनदेखा करती है।
राजकीय प्रतिक्रिया
मदान दिलावर ने स्पष्ट रूप से कहा कि ऐसी किताबें बच्चों को नहीं पढ़ाई जाएंगी। उनका मानना है कि पुस्तक में उन नेताओं का योगदान नहीं दिया गया है जिन्होंने देश को वैश्विक मंच पर स्थापित किया। इससे पता चलता है कि शिक्षा प्रणाली में राजनीतिक प्राथमिकताएं शामिल हो रही हैं। उन्हें चिंता है कि ये छात्रों के दृष्टिकोण को संकीर्ण कर सकती हैं।
पुनर्मुद्रण की चर्चा
राज्य के शिक्षा बोर्ड ने जानकारी दी है कि यह पुस्तक पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में तैयार की गई थी, जिसका केवल 2025 का जोड़कर पुनर्मुद्रण किया गया है। यह दो भागों में है, जिनमें से भाग-2 में सबसे ज्यादा विवाद छिड़ा है। बोर्ड ने स्पष्ट किया कि पाठ्यपुस्तकों के प्रकाशन से पहले सरकारी मंजूरी ली गई थी।
पुस्तक मंडल का स्पष्टीकरण
पुस्तक मंडल के सीईओ मनोज कुमार ने कहा कि उनकी जिम्मेदारी केवल छपाई और वितरण तक सीमित है। उन्होंने कहा, "कंटेंट की जिम्मेदारी हमारी नहीं है," जिससे यह स्पष्ट होता है कि पुस्तक के चयन और उसके विषय पर कोई भी कठोरता नहीं दिखाई गई है।
निष्कर्ष
राजस्थान में 12वीं कक्षा की इस विवादास्पद किताब का मामला एक महत्वपूर्ण राजनीतिक मुद्दा बन गया है, जो शिक्षा प्रणाली में निष्पक्षता की आवश्यकता को दर्शाता है। इसके माध्यम से यह भी सवाल उठता है कि क्या नयी पीढ़ी को सही और समग्र जानकारी प्रदान की जा रही है। इस मुद्दे को लेकर लगातार चर्चाएं होनी चाहिए ताकि भविष्य में ऐसी किताबें बच्चों को प्रभावित न कर सकें।
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