शादी के बाद हो रही हत्याओं पर शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद ने जताई चिंता, कही ये बड़ी बात…
नितिन नामदेव, रायपुर. शादी के बाद पति की हत्या की घटनाओं पर शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती महाराज ने चिंता जताई

शादी के बाद हो रही हत्याओं पर शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद ने जताई चिंता, कही ये बड़ी बात…
नितिन नामदेव, रायपुर. शादी के बाद पति की हत्या की घटनाओं पर शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती महाराज ने चिंता जताई और समाज को आत्ममंथन करने की सलाह दी है। रावणभाटा स्थित सुदर्शन संस्थानम शंकराचार्य आश्रम में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने कहा कि आजकल जिन पर फिदा होकर लोग शादी करते हैं, वही महिलाएं अपने पति को मरवा दे रही हैं। फिर सवाल उठता है कि जिनसे दूसरा विवाह किया, उसकी हत्या नहीं होगी, इसकी क्या गारंटी है? पहले प्रेम होता है, फिर विवाह और उसके बाद हत्या। यह प्रेम नहीं, आत्मिक पतन है। जब कोई महिला अपने पति को मरवाकर दूसरी शादी करती है, तो क्या भरोसा है कि वह अपने दूसरे पति के साथ ऐसा नहीं करेगी?
समाज का आत्ममंथन
स्वामी निश्चलानंद ने इस पर गहरी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि ये चिंतनीय है कि प्यार और शादी का जो आधार है, वह कितना कमजोर हो गया है। इस पर गंभीर चर्चा और introspection की आवश्यकता है। समाज को इस विषय पर सोचने और मंथन करने की आवश्यकता है ताकि सुनिश्चित किया जा सके कि भविष्य में इस तरह की घटनाएं घटित न हों।
हिंदी बोलने में शर्म क्यों?
महाराष्ट्र और तमिलनाडु जैसे राज्यों में हिंदी भाषा को लेकर चल रहे विरोध पर सवाल उठाते हुए स्वामी निश्चलानंद सरस्वती महाराज ने कहा, "महाराष्ट्र, तमिलनाडु जैसे राज्यों के लोग जब दिल्ली आते हैं, तो हिंदी में ही बात करते हैं। तो फिर अपने राज्य में हिंदी का विरोध क्यों?" उन्होंने कहा कि हिंदी का अनादर करना उचित नहीं है और इसे बोलने में किसी को शर्म नहीं महसूस करनी चाहिए।
गौहत्या ना हो, उनका पालन हो
छत्तीसगढ़ में आदिवासियों को गाय देने की योजना पर पूरी शंकराचार्य ने कहा, "गाय की रक्षा करना आवश्यक है।" उन्होंने बताया कि आदिवासियों को गाय देने का तात्पर्य गाय की रक्षा करना है। उन्होंने यह भी कहा कि दबाव से अधिक संवाद और वृद्धिशील प्रगति पर ध्यान देना आवश्यक है।
समापन विचार
स्वामी निश्चलानंद की चिंताएं आज के समाज में एक गंभीर मुद्दा हैं। उनका संदेश स्पष्ट है: हमें अपने पारिवारिक और समाजिक संबंधों को मजबूती प्रदान करने की आवश्यकता है। इसके लिए प्यार, समझ और विचारशीलता बहुत महत्वपूर्ण हैं। अगर हम एक बेहतर समाज की परिकल्पना करते हैं, तो हमें किसी भी तरह की हिंसा और नकारात्मकता को दूर करना होगा।
इस प्रकार स्वामी निश्चलानंद ने समाज को आत्ममंथन करने और वास्तविक प्रेम की गहराई को समझने की सलाह दी है।
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