रोहतास की रंजू देवी और वोटर लिस्ट विवाद , सियासत में बड़ा ट्विस्ट , जानें कैसे हुआ विवाद?

अविनाश श्रीवास्तव/ रोहतास। जिले के नौहट्टा प्रखंड के चपला गांव में उस समय सियासी हलचल तेज हो गई जब कांग्रेस

रोहतास की रंजू देवी और वोटर लिस्ट विवाद , सियासत में बड़ा ट्विस्ट , जानें कैसे हुआ विवाद?
अविनाश श्रीवास्तव/ रोहतास। जिले के नौहट्टा प्रखंड के चपला गांव में उस समय सियासी हलचल तेज हो गई ज�

रोहतास की रंजू देवी और वोटर लिस्ट विवाद, सियासत में बड़ा ट्विस्ट

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अविनाश श्रीवास्तव/ रोहतास। जिले के नौहट्टा प्रखंड के चपला गांव में उस समय सियासी हलचल तेज हो गई जब कांग्रेस सांसद राहुल गांधी की ‘वोटर अधिकार यात्रा’ के दौरान रंजू देवी नामक महिला ने शिकायत की कि उसके परिवार के 6 सदस्यों का नाम वोटर लिस्ट से हटा दिया गया है। यह बयान राहुल गांधी के सामने आते ही मीडिया और राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बन गया, लेकिन कुछ ही घंटों बाद यह मामला नाटकीय मोड़ लेता है। जांच में सामने आया कि रंजू देवी के परिवार का नाम वोटर लिस्ट में बिल्कुल मौजूद है, किसी का नाम नहीं कटा है। खुद रंजू देवी ने बाद में स्वीकार किया कि उन्होंने यह बात इसलिए कही क्योंकि गांव के पंचायत सचिव ने उन्हें बताया था कि उनके परिवार का नाम सूची से गायब है। पंचायत सचिव ने ही उन्हें यह बात राहुल गांधी तक पहुंचाने को कहा था।

कैसे हुआ विवाद?

रंजू देवी ने बताया कि गांव में पढ़े-लिखे लोग कम हैं और जानकारी के अभाव में वह दूसरों की बातों पर भरोसा कर बैठीं। उन्होंने कहा कि गांव के ही कुछ लोगों ने उन्हें समझाकर राहुल गांधी से मिलने और वोटर लिस्ट से नाम कटने की शिकायत करने को कहा। जब राहुल गांधी से उनकी मुलाकात हुई तो उन्होंने वही बात दोहरा दी। लेकिन बाद में उन्हें सच्चाई पता चली कि परिवार का हर सदस्य मतदाता सूची में दर्ज है।

राहुल गांधी की यात्रा पर असर

गौरतलब है कि राहुल गांधी ने अपनी ‘मतदाता अधिकार यात्रा’ की शुरुआत सासाराम से की थी, जिसमें वे उन लोगों से मिलने का दावा कर रहे थे जिनका नाम मतदाता सूची से गायब कर दिया गया है। इस दौरान रंजू देवी का मामला भी प्रचारित किया गया। लेकिन जब सच सामने आया तो यह घटना विपक्ष और सत्ता पक्ष के बीच नए राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप का कारण बन गई।

भ्रम फैलाने वाली राजनीति

यह मामला केवल एक महिला की गलतफहमी नहीं बल्कि राजनीतिक रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है। बीजेपी और एनडीए इसे कांग्रेस की भ्रम फैलाने वाली राजनीति बता रहे हैं जबकि कांग्रेस का कहना है कि ग्रामीणों की समस्याओं को सामने लाने की कोशिश की जा रही थी। इस घटनाक्रम ने यह साफ कर दिया है कि बिहार विधानसभा चुनाव से पहले हर छोटा मुद्दा भी बड़े सियासी हथियार के रूप में इस्तेमाल किया जाएगा।

रंजू देवी का यह मामला रोहतास में सियासी गर्मी को बढ़ा रहा है और आगे आने वाले समय में इसके प्रभावी परिणाम देखने को मिल सकते हैं। अगर ग्रामीणों की समस्याओं पर ध्यान नहीं दिया गया, तो आगे चलकर यह एक बड़ी राजनीतिक लड़ाई बन सकता है।

इस मामले के अंतर्गत मीडिया की भूमिका भी महत्वपूर्ण है। जांच के दौरान सच्चाई के खुलासे के बावजूद, इसे प्रचारित किया गया। यह दर्शाता है कि कैसे कुछ घटनाओं को सियासत के रंग में रंगा जा सकता है।

इस घटना ने यह स्पष्ट कर दिया है कि सामाजिक मुद्दे और राजनीतिक मुद्दों के बीच की रेखा धीरे-धीरे मिटती जा रही है। चुनावी राजनीति में इस तरह के घटनाक्रम झूठे आरोपों और गलतफहमियों को जन्म देते हैं, जो केवल सत्ता संघर्ष को बढ़ावा देते हैं।

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