इंसानों की सुरक्षा बनाम पशुप्रेम, आवारा कुत्तों के मामले में सुप्रीम कोर्ट आज सुनाएगा फैसला
दिल्ली में आवारा कुत्तों (Stray dogs) को आश्रय गृहों में स्थानांतरित करने संबंधी आदेश पर रोक लगाने की मांग करने

इंसानों की सुरक्षा बनाम पशुप्रेम, आवारा कुत्तों के मामले में सुप्रीम कोर्ट आज सुनाएगा फैसला
दिल्ली में आवारा कुत्तों (Stray dogs) को आश्रय गृहों में स्थानांतरित करने संबंधी आदेश पर रोक लगाने की मांग करने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) आज अपना फैसला सुनाएगा। इस मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति विक्रम नाथ, न्यायमूर्ति संदीप मेहता और न्यायमूर्ति एनवी अंजारिया की तीन-न्यायाधीशों की पीठ कर रही है। याचिकाओं में मांग की गई है कि 28 जुलाई को दो-न्यायाधीशों की पीठ द्वारा दिए गए उन निर्देशों पर रोक लगाई जाए, जिनमें दिल्ली में आवारा कुत्तों को आश्रय गृहों में भेजने और इसके लिए बुनियादी ढांचा विकसित करने का आदेश दिया गया था।
दिल्ली में आवारा कुत्तों की संख्या बढ़ने के साथ-साथ इस समस्या को लेकर कई विवाद उत्पन्न हुए हैं। इन कुत्तों की सुरक्षा और मानव जीवन के खतरे के बीच संतुलन स्थापित करने की आवश्यकता महसूस की जा रही है। हाल के दिनों में, आवारा कुत्तों के हमले के मामलों में बाढ़ आई है, जिससे लोग डर के साए में जी रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट का पिछला आदेश
28 जुलाई को, सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार और संबंधित निकायों को आदेश दिया था कि दो महीने के अंदर डॉग शेल्टर स्थापित किए जाएं और आवारा कुत्तों को इन आश्रय गृहों में स्थानांतरित किया जाए। यह आदेश मानव सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए आया था और इसके तहत विशेष संस्थान बनाने की जरूरत बताई गई थी।
हालांकि, जैसे ही ये निर्देश जारी किए गए, पशुप्रेमियों और कानून की विभिन्न धाराओं के अधिवक्ताओं द्वारा इसका विरोध किया गया। उनका कहना है कि यह फैसला पशुपालन और संरक्षण के सिद्धांतों के खिलाफ है और इसे लागू करना व्यावहारिक रूप से मुश्किल होगा।
कुत्ता प्रेमियों का आक्रोश
इस आदेश के बाद से देशभर में कुत्ता प्रेमियों का आक्रोश बढ़ गया है। उनका मानना है कि कुत्तों पर इस तरह की दमनकारी नीति केवल समस्याओं को बढ़ाएगी और दीर्घकालिक समाधानों की जरूरत है। इन कार्यकर्ताओं का कहना है कि आगे बढ़ने के लिए अधिकारी को पशु कल्याण के नियमों का पालन करना होगा।
संवेदनशील क्षेत्रों में योजना का क्रियान्वयन
सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि विशेष रूप से संवेदनशील क्षेत्रों से आवारा कुत्तों को हटाने की प्रक्रिया में तेजी लाई जाए। इस दिशा में स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि किन परिस्थितियों में उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
अदालत ने यह भी बताया है कि जो भी कुत्ते आश्रय गृहों में भेजे जाते हैं, उनकी निगरानी सुनिश्चित की जाएगी, जिससे फिर से उन्हें सार्वजनिक स्थानों पर न छोड़ा जाए। यह कदम मानव जीवन की सुरक्षा के लिए उठाया गया है।
अवशिष्ट प्रतिक्रियाएं और अगले कदम
सुबह की सुनवाई के बाद, सभी की नजरें आज के निर्णय पर टिकी हैं। यह स्पष्ट है कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा लिया गया फैसला न केवल दिल्ली बल्कि पूरे देश में पशुप्रेम और मानव सुरक्षा के बीच संघर्ष की नई दिशा निर्धारित करेगा।
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सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद इस मुद्दे पर बहस करना आवश्यक है। सोशल मीडिया से लेकर राजनीतिक स्तर तक इस विशाल सोच को एक नई दिशा दी जा सकती है। आज का निर्णय सुनने के बाद इस पेचीदा समस्या का समाधान निकल सकता है।
दिल्ली में आवारा कुत्तों के मामले में सुप्रीम कोर्ट का निर्णय न केवल मनुष्यों की सुरक्षा बल्कि पशु प्रेम की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम होगा।