पशु क्रूरता की सारी हदे पार: JCB मशीन से धक्का देकर गोवंशों को फेंका, क्या अंतिम संस्कार करने का यही है संस्कार ?

हर्षित तिवारी, खातेगांव(देवास) किसी ने सच ही कहां है, गली से निकलते हैं जब वो, तो पत्थर मत मारा करो,

पशु क्रूरता की सारी हदे पार: JCB मशीन से धक्का देकर गोवंशों को फेंका, क्या अंतिम संस्कार करने का यही है संस्कार ?
हर्षित तिवारी, खातेगांव(देवास) किसी ने सच ही कहां है, गली से निकलते हैं जब वो, तो पत्थर मत मारा करो,

पशु क्रूरता की सारी हदे पार: JCB मशीन से धक्का देकर गोवंशों को फेंका, क्या अंतिम संस्कार करने का यही है संस्कार ?

हर्षित तिवारी, खातेगांव(देवास) किसी ने सच ही कहा है, गली से निकलते हैं जब वो, तो पत्थर मत मारा करो। बेजुबान मासूम जानवर हैं, उनको भी प्यार भरी नजरों से देख लिया करो। लेकिन कुछ लोगों में क्रूरता इतनी भरी हुई है कि बेज़ुबान के साथ क्रूरता की हदें पार कर दी गई हैं। हिंदू धर्म में गाय को माता कहा जाता है, और वही माता की क्या दूरदशा हो गई है, इसकी एक बानगी मध्य प्रदेश के देवास जिले से सामने आई है।

सड़क हादसे में 7 गौवंशों की हुई मौत

दरअसल, जिले के कांटाफोड़ थाना क्षेत्र के नयापुरा गांव के पास बीती रात एक दर्दनाक हादसा हुआ। अज्ञात वाहन ने सड़क पर बैठे (07) सात गोवंशों को कुचल दिया, जिससे मौके पर ही उनकी मौत हो गई। सूचना मिलते ही पशु चिकित्सा की टीम मौके पर पहुंची और मृत गोवंशों का पोस्टमार्टम किया गया। इसके बाद, नयापुरा पंचायत ने मृत गोवंशों को जेसीबी मशीन से एक के ऊपर एक धक्का देकर गड्ढे में फेंका। न कोई धार्मिक क्रिया, न कोई ढंकाव। मानो मलबा हो, शव नहीं।

क्या अब क्रूरता निवारण अधिनियम के तहत कार्रवाई होगी?

यह दृश्य न सिर्फ पीड़ादायक था, बल्कि समाज की संवेदनशीलता पर भी सवाल उठा गया। मामले में कन्नौद जनपद की सीईओ अल्फिया खान ने कहा कि मामला उनके संज्ञान में आया है। सचिव से चर्चा की गई है और सरपंच एवं सचिव को कारण बताओ नोटिस जारी किया जा रहा है। पशु क्रूरता निवारण अधिनियम 1890 कहता है कि किसी पशु के साथ क्रूरता करने पर दंड का प्रावधान है, जिसमें अनावश्यक पीड़ा पहुंचाना या उसे फेंकना भी शामिल है। क्या अब क्रूरताओं के खिलाफ कड़ाई से कार्रवाई होगी? यह सवाल सभी के मन में उत्पन्न होता है।

सामाजिक संदेश

इस तरह की घटनाओं ने केवल पशु अधिकारों के लिए ही नहीं, बल्कि मानवीय संवेदनाओं के प्रति भी एक प्रश्न खड़ा किया है। समाज को यह समझना होगा कि जानवर भी जीव-जंतु हैं और उनका भी जीवन मूल्यवान है। क्या हम सिर्फ मानवता का अस्तित्व बचाए रखने की कोशिश में हैं या सच में सभी जीवों के प्रति संवेदनशील हैं? हमें सभी जीवों के प्रति प्रेम और दया दिखाने की आवश्यकता है।

क्या हम कुछ कर सकते हैं?

पशु क्रूरता घटाने के लिए हमें जागरूकता फैलानी होगी। स्थानीय समुदायों में इस तरह के मुद्दों पर चर्चा करना और प्रावधानों की जानकारी देना महत्वपूर्ण है। शिक्षा और सामाजिक जागरूकता के माध्यम से, हम गोवंशों के प्रति इस तरह की क्रूरता को रोक सकते हैं और एक न्यायिक समाज बनाने में योगदान दे सकते हैं।

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निष्कर्ष

इस घटना ने हमें यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि क्या सच में हम मानव ही हैं? क्या हमें बेजुबान जानवरों के प्रति empathetic होना चाहिए? शायद, यह सोचने का समय है कि हम सभी को एक सशक्त समाज में बढ़ने के लिए एकजुट होना होगा। हम सभी को यह प्रयास करना होगा कि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।

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